उच्च न्यायालय ने गोल्फ क्लब की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक आदिवासी महिला को दिल्ली गोल्फ क्लब के डाइनिंग रूम से कथित रूप से बाहर करने की घटना को लेकर मेघालय महिला आयोग द्वारा क्लब के सचिव को तलब करने को चुनौती देने वाली याचिका पर आज अपना आदेश सुरक्षित रखा।
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक आदिवासी महिला को दिल्ली गोल्फ क्लब के डाइनिंग रूम से कथित रूप से बाहर करने की घटना को लेकर मेघालय महिला आयोग द्वारा क्लब के सचिव को तलब करने को चुनौती देने वाली याचिका पर आज अपना आदेश सुरक्षित रखा। महिला को कथित रूप से ‘‘घरेलू सहायिका जैसे कपड़े’’ पहने होने के कारण बाहर जाने को कहा गया था। न्यायमूर्ति विभा बाखरू ने दिल्ली गोल्फ क्लब, याचिकाकर्ता और मेघालय राज्य महिला आयोग की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखा।
आयोग ने गत तीन जुलाई को क्लब के सचिव को तलब करने का आदेश जारी किया था। सुनवाई के दौरान क्लब की तरफ से पेश हुए वकील डी कृष्णन ने दलील दी कि एक अतिथि की कर्मचारी उस महिला को एक सदस्य ने वहां आमंत्रित किया था और क्लब बच्चों की देखभाल करने वाले कर्मचारियों को अपने परिसर में प्रवेश करने की मंजूरी नहीं देता। उन्होंने कहा, ‘‘क्लब के नियमों के तहत उन्हें वहां अतिथि के तौर पर लाया जा सकता है लेकिन बच्चों की देखभाल के लिए नहीं।’’
राज्य महिला आयोग ने यह कहते हुए उनकी दलील का विरोध किया कि महिला के साथ भेदभाव किया गया क्योंकि उसे अपनी पारंपरिक पोशाक पहने होने के कारण वहां से बाहर जाने को कहा गया था। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने कहा, ‘‘कई बार हम इन निजी इकाइयों के कुछ नियमों को अपमानजनक पाते हैं। आप तब अधिकारियों के समक्ष नियम वाली बात उठाएं लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आप उसका उल्लंघन करें।
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