चीन के बाद अब रूस के विदेश मंत्री आएंगे भारत

Sergei Lavrov

रूस यूक्रेन के जंग में भारत ने तटस्थ अपनाया हुआ है। उसने रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश हुए प्रस्तावों पर लगातार अपनी अनुपस्थिति दर्ज कराई है। भारत का मानना है कि इस मसले का हल रूस और यूक्रेन को आपस में बातचीत करके निकालना चाहिए और किसी पक्ष पर प्रतिबंध लगाने से कोई फायदा नहीं होगा।

रूस और यूक्रेन के बीच 1 महीने से भी ज्यादा वक्त से जंग जारी है। दोनों देश अभी तक किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाए हैं, और इसी वजह से जंग थमने के आसार नहीं नजर आ रहे हैं। रूस और यूक्रेन की इस जंग में दुनिया दो खेमों में बट गई है। पश्चिम के देश पूरी पूरी तरह से रूस से नाराज हैं तो वहीं कुछ देश रूस के साथ दिखाई दे रहे हैं। इन सब के बीच भारत की अहमियत बढ़ती जा रही है, क्योंकि भारत इस मामले में अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के चलते विश्व का पावर सेंटर बनता जा रहा है। हाल ही में चीन के विदेश मंत्री भारत दौरा करके गए हैं। अब खबर आ रही है कि रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत आ सकते हैं।

भारत दौरे पर आ सकते हैं रूसी विदेश मंत्री

हालांकि रूस के विदेश मंत्री  सर्गेई लावरोव के भारत दौरे के बारे में अभी कुछ तय नहीं हुआ है। लेकिन ये माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में सर्गेई लावरोव भी चीनी विदेश मंत्री वांग यी की तरह बिना किसी पूर्व घोषणा के भारत आ सकते हैं। सूत्रों के अनुसार रूस के विदेश मंत्री के इस भारत दौरे में चर्चा इस बात पर की जाएगी कि संकट में फंसी रूसी अर्थव्यवस्था को बाहर कैसे निकाला जाए। इस दौरे में भारत और रूस के बीच रुपये- रूबल में व्यापार शुरू करने की चर्चा की जाएगी।

बता दें यूक्रेन पर हमले के बाद से ही रूस ने कई बार भारत से सहायता के लिए संपर्क किया और भारत हर बार उसके लिए संकटमोचक बनकर आगे आया। भारत और रूस के विदेश मंत्रियों ने 24 फरवरी को एक दूसरे से बातचीत की थी। पिछले हफ्ते भी रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको ने रूस में भारतीय राजपूत पवन कुमार से मिलकर यूक्रेन के हालात के बारे में जानकारी दी थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रूस का जो प्रतिनिधि मंडल यूक्रेन के साथ जंग को खत्म करने को लेकर बातचीत कर रहा है रुडेंको उसका हिस्सा हैं।

भारत ने अपनाया हुआ है तठस्थ

रूस यूक्रेन के जंग में भारत ने तटस्थ अपनाया हुआ है। उसने रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश हुए प्रस्तावों पर लगातार अपनी अनुपस्थिति दर्ज कराई है। भारत का मानना है कि इस मसले का हल रूस और यूक्रेन को आपस में बातचीत करके निकालना चाहिए और किसी पक्ष पर प्रतिबंध लगाने से कोई फायदा नहीं होगा।

अप्रैल में होगी दोनों देशों के मंत्रियों की बातचीत

रूस और भारत के विदेश और रक्षा मंत्रियों की 2+2 वार्ता अप्रैल के दूसरे हफ्ते में रूस में होगी, जिसके लिए भारतीय विदेश और रक्षा मंत्री रूस जाएंगे। वहीं इस साल के अंत में प्रधानमंत्री मोदी के वार्षिक भारत और शिखर सम्मेलन के लिए भी रूस जाने की उम्मीद है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए पिछले साल 6 दिसंबर को दिल्ली आए थे।

आपको बता दें इससे पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी अचानक भारत के दौरे पर आ गए। लद्दाख सीमा पर तनाव शुरू होने के बाद कोई चीनी उच्च स्तरीय नेता का 2 साल में  भारत आया था। वांग यी ने प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात करने का प्रयास किया लेकिन उन्हें पीएमओ ने मुलाकात का वक्त नहीं दिया। वांगी यी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की, जिसमें जयशंकर ने उन्हें साफ शब्दों में यह समझा दिया कि सीमा पर हालात सामान्य किए बिना भारत और चीन के रिश्ते सामान्य नहीं रह सकते।

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