दिल्ली चुनाव नहीं लड़ने के लिये बहाने के तौर पर CAA का इस्तेमाल कर रहा है अकाली दल
ढींढसा ने हैरानी जताई कि शिअद नेतृत्व अगर मानता है कि क्षेत्र के सिख मतदाताओं पर उसका गहरा प्रभाव है तो वह अकेले दिल्ली चुनाव लड़ने से “घबरा क्यों” रहा है। राज्यसभा सदस्य ने कहा,“यह (सीएए के मुद्दे को लेकर दिल्ली चुनाव नहीं लड़ना) सिर्फ एक बहाना है।
चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल के बागी नेता सुखदेव सिंह ढींढसा ने मंगलवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून को लेकर दिल्ली विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का पार्टी का फैसला एक “बहाना” है और दावा किया कि वह जानती है कि एक भी सीट पर जीत नहीं मिलने वाली है। शिअद ने सोमवार को घोषणा की थी कि वह अगले महीने होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी। इससे पहले सहयोगी भारतीय जनता पार्टी ने उससे विवादास्पद संशोधित नागरिकता कानून पर अपना रुख बदलने को कहा था।
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ढींढसा ने हैरानी जताई कि शिअद नेतृत्व अगर मानता है कि क्षेत्र के सिख मतदाताओं पर उसका गहरा प्रभाव है तो वह अकेले दिल्ली चुनाव लड़ने से “घबरा क्यों” रहा है। राज्यसभा सदस्य ने कहा,“यह (सीएए के मुद्दे को लेकर दिल्ली चुनाव नहीं लड़ना) सिर्फ एक बहाना है। उन्होंने संसद में सीएए के पक्ष में मतदान किया। वे जानते हैं कि वे जीतने नहीं जा रहे हैं और इसलिये उन्होंने दिल्ली चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया।”
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ढींढसा ने पार्टी नेतृत्व खासकर उसके अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ बगावत के सुर बुलंद कर रखे हैं औरउनका प्रयास है कि शिअद को बादल परिवार से “मुक्त” कराया जाए और “इसकी खोयी गरिमा को फिर से हासिल” किया जाए। वयोवृद्ध नेता ने कहा कि किसी ने भी शिअद को अकेले चुनाव लड़ने से नहीं रोका है। वर्ष 2013 में शिअद ने तीन सीट जीती थी, लेकिन 2015 में वह एक भी सीट नहीं जीत पाई।
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