असैन्य अभियानों में भी सेना बहुत क्षमतावान: केंद्रीय मंत्री

Army too capable of civilian missions: Union minister
[email protected] । Feb 20 2018 6:18PM

केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह ने कहा कि सैन्य अभियानों के साथ ही संकट के समय असैन्य अभियानों को सफलतापूर्वक पूरा करने में भी सेना क्षमतावान है, क्योंकि वह धर्म, जाति, वर्ग और क्षेत्र स​बसे ऊपर है।

पिथौरागढ़। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह ने कहा कि सैन्य अभियानों के साथ ही संकट के समय असैन्य अभियानों को सफलतापूर्वक पूरा करने में भी सेना क्षमतावान है, क्योंकि वह धर्म, जाति, वर्ग और क्षेत्र स​बसे ऊपर है। यहां चल रहे छह दिवसीय बसंतोत्सव के दूसरे दिन सैनिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि चाहे उत्तराखंड की केदारनाथ आपदा का मामला हो या कोई त्रासदी, देश की सेवा करने के अपने मकसद और पेशेवर रवैये के कारण सेना हमेशा ही भरोसेमंद रही है। 

उन्होंने कहा, 'एक सैन्यकर्मी हमेशा सैनिक रहता है और सेवानिवृत्ति के बाद भी वह चाहे जहां रहे, उसका दृष्टिकोण राष्टभक्त ही रहता है।'बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में पूर्व सेना प्रमुख ने सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों से आग्रह किया कि वे अपनी जन्मभूमि खासतौर पर अपने सीमावर्ती गांवों में ही रहें और दूसरों के सामने उदाहरण प्रस्तुत करें। इस संबंध में उन्होंने कहा कि सरकार ने गांवों के लिए कई कल्याण योजनाएं शुरू की हैं।सिंह ने कहा कि हमारे क्षमतावान सैन्य बलों के कारण चीन और पाकिस्तान से लगी सीमायें पूरी तरह सुरक्षित हैं।

इससे पहले सिंह ने समारोह में अपने सेवाकाल के दौरान विभिन्न पदकों से सम्मानित सैनिकों तथा युद्ध विधवाओं को सम्मानित भी किया।उन्होंने कहा, 'देश के सीमावर्ती क्षेत्रों से होने वाले पलायन के संबंध में हम सेवानिवृत्त सैनिकों से कुछ पहल करने की अपेक्षा रखते हैं। यदि पूर्व सैनिक अपने गांव में रहने का ही निर्णय करें तो अन्य लोग भी उनका अनुसरण करेंगे। इससे सीमावर्ती गांवों से पलायन को कम करने में मदद मिलेगी।’ मौके पर मौजूद अल्मोडा के सांसद और केंद्रीय कपडा राज्य मंत्री अजय टम्टा ने कहा कि बसंतोत्सव जैसे उत्सव सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को जागरूक करने और उनमें राष्ट्रभक्ति पैदा करने का काम करते हैं। उन्होंने कहा, 'राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में ऐसे कार्यक्रमों की बहुत जरूरत है, क्योंकि इन क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं को देश की सुरक्षा के हित में सीमावर्ती गांवों के आबाद रहने के बारे में सतर्क करने की बहुत जरूरत है।'

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