ASEAN summit: दीपावली को देखते हुए पीएम मोदी सम्मेलन में वर्चुअली होंगे शामिल, अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता पर नजर

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Ankit Jaiswal । Oct 23 2025 9:59PM

भारत और अमेरिका के बीच रूस से तेल आयात को लेकर बढ़ते तनाव और भारतीय निर्यात पर लगे अमेरिकी टैरिफ के बीच, पीएम मोदी ने आसियान शिखर सम्मेलन में वर्चुअली जुड़ने का फैसला किया है। दीपावली को औपचारिक वजह बताया गया है, लेकिन यह कदम भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता और अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण रूस से तेल आयात पर उत्पन्न चुनौतियों के बीच भारत की रणनीतिक स्थिति को मज़बूत करने की कवायद है।

भारत-अमेरिका व्यापारिक टकराव और रूस से तेल आयात को लेकर तनाव बढ़ा हुआ है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मलेशिया में होने वाले ASEAN-India समिट में व्यक्तिगत रूप से शामिल न होकर इसे वर्चुअल रूप से संबोधित करने का निर्णय लिया है। मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने एक फेसबुक पोस्ट के ज़रिए जानकारी दी कि मोदी ने उन्हें फोन पर बताया है कि दीपावली पर्व के चलते वे ऑनलाइन जुड़ेंगे। अनवर ने इस फैसले का सम्मान करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी हैं।

बता दें कि यह वही समय है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार यह दावा कर रहे हैं कि भारत रूस से खरीदे जाने वाले कच्चे तेल में कटौती करेगा। भारत ने अभी तक इस दावे पर औपचारिक पुष्टि नहीं की है, जबकि अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों Rosneft और Lukoil पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। भारतीय रिफाइनिंग सेक्टर से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने भी माना है कि इन प्रतिबंधों के बाद रूस से तेल आयात करना लगभग असंभव हो जाएगा।

गौरतलब है कि ट्रंप सरकार ने भारतीय निर्यात पर 50% तक का टैरिफ लगा रखा है, जिसे रूस से तेल खरीदने की ‘सज़ा’ बताया गया है। इस वजह से बीते महीनों में भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव बढ़ा है। हालांकि दोनों देशों के अधिकारी समान शर्तों पर एक स्थायी ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत कर रहे हैं और अमेरिकी पक्ष ने संकेत दिए हैं कि यदि तेल आयात पर भारत सहयोग दिखाए तो टैरिफ में राहत दी जा सकती है।

इसी बीच पीएमओ और विदेश मंत्रालय की ओर से इस बात पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई कि मोदी स्वयं कुआलालंपुर जाने की यात्रा क्यों टाली गई। भारतीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस बार देश का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर कर सकते हैं। यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब ASEAN में भारत की भूमिका को रणनीतिक रूप से और मज़बूत बनाने पर जोर दिया जा रहा है, और अमेरिका एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन को बैलेंस करने के लिए भारत की सक्रिय भागीदारी चाहता है।

कुल मिलाकर फिलहाल संकेत यही हैं कि मोदी का वर्चुअल जुड़ना सिर्फ ‘शेड्यूलिंग या दीपावली’ का मामला भर नहीं बल्कि वैश्विक कूटनीति के एक नाज़ुक दौर में रणनीतिक संतुलन साधने की कोशिश का हिस्सा भी माना जा सकता है, क्योंकि भारत एक साथ अमेरिका, रूस और ASEAN के समीकरणों को संतुलित रखने की स्थिति में खड़ा है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपनी औपचारिक उपस्थिति से पहले कूटनीतिक दूरी बनाए रखने का विकल्प चुना है। यह देखना अहम होगा कि आने वाले दिनों में तेल आयात और टैरिफ मसले पर भारत की क्या आधिकारिक स्थिति सामने आती है, क्योंकि वैश्विक ऊर्जा बाज़ार और हिंद-प्रशांत कूटनीति दोनों ही इस फैसले पर कड़ी नज़र रखे हुए हैं।

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