चिदंबरम ने रेटिंग सुधार पर सरकार की प्रतिक्रिया का उड़ाया मजाक

Chidambaram mocks at Narendra Modi government''s sudden love for Moodys
[email protected] । Nov 18 2017 4:51PM

पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने मूडीज के रेटिंग बढ़ाने पर सरकार के उत्साहित होने की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि कुछ ही महीने पहले इसी सरकार ने इस रेटिंग एजेंसी के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए थे।

मुंबई। पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने मूडीज के रेटिंग बढ़ाने पर सरकार के उत्साहित होने की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि कुछ ही महीने पहले इसी सरकार ने इस रेटिंग एजेंसी के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए थे। टाटा लिटरेचर लाइव में उन्होंने आज कहा, ‘‘कुछ ही महीने पहले सरकार ने कहा था कि मूडी के तरीके गलत हैं। शक्तिकांत दास (आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव) ने मूडीज के रेटिंग के तरीके पर सवाल उठाते हुए लंबा पत्र लिखा था। उन्होंने मूडीज के रेटिंग के तरीके को कमजोर बताते हुए सुधार करने की मांग की थी।’’

मूडीज ने शुक्रवार को भारत की रेटिंग बीएए3 से सुधारकर बीएए2 कर दिया था। उसने वृद्धि की बेहतर संभावनाओं तथा मोदी सरकार के विभिन्न सुधार कार्यक्रमों का हवाला दिया था। इससे पहले रेटिंग में सुधार 2004 में किया गया था। चिदंबरम ने रेटिंग में सुधार पर सरकार की प्रतिक्रिया का मजाक उड़ाते हुए कहा कि इस सरकार के लिए मूडीज के तौर तरीके 2016 तक ही खराब थे। मूडीज द्वारा तेज वृद्धि का हवाला दिये जाने के बाबत पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा कि इसी एजेंसी और सरकार का चालू वित्त वर्ष का वृद्धि अनुमान 6.7 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘‘आर्थिक वृद्धि दर 2015-16 में यह आठ प्रतिशत थी। 2016-17 में यह 6.7 प्रतिशत थी और 2017-18 में यह 6.7 प्रतिशत है। यह उत्तर (उन्नति) है या दक्षिण (अवनति), आप ही तय करें।’’

उनके अनुसार, किसी भी अर्थव्यवस्था की स्थिति के लिए तीन कारक महत्वपूर्ण हैं- समग्र तय पूंजी निर्माण, ऋण वृद्धि और रोजगार। उन्होंने कहा, ‘‘ये तीनों ही सूचकांक लाल रेखा में हैं।’’ उन्होंने आंकड़े देते हुए कहा कि समग्र तय पूंजी निर्माण अपने सर्वोच्च स्तर से सात-आठ अंक नीचे है और निकट भविष्य में इसमें सुधार के भी चिह्न नहीं हैं। निजी निवेश पिछले सात साल के निचले स्तर पर है। कई परियोजनाएं रुकी हुई हैं और वे दिवाला एवं शोधन संहिता के विकल्प का चयन कर रही हैं। इन सब से रोजगार के अवसर कम होने वाले हैं। उन्होंने आगे कहा कि ऋण वृद्धि पिछले दो दशक के निचले स्तर पर है। उन्होंने कहा, ‘‘यह सालाना छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है पर मध्यम श्रेणी के उद्यमों के लिए इसकी वृद्धि दर नकारात्मक है।’’

पूर्व वित्त मंत्री ने रोजगार सृजन में कमी का हवाला देते हुए कहा, ‘‘सरकार इसके बारे में सही और भरोसेमंद आंकड़ा नहीं दे रही है। सेंटर फोर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी जो कि बेहतर भरोसेमंद संस्था है, ने कहा था कि जनवरी से जून 2017 के बीच 19,60,000 नौकरियां गयीं।

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