SC/ST act को लेकर दायर याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर सकता है कोर्ट
शीर्ष अदालत ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम) संशोधन कानून, 2018 पर रोक लगाने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अजा/अजजा) अधिनियम 2018 के संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं एवं केंद्र की पुनर्विचार याचिका को उचित पीठ के समक्ष एक साथ सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षा वाली एक पीठ ने कहा कि वह विचार करेगी और जो भी जरूरी होगा, किया जाएगा।
SC to look into setting up of a bench to hear pleas challenging SC/ST (Prevention of Atrocities)Amendment Act,that rules out provision for anticipatory bail for person accused of atrocities against SC/STs&review plea against Ma 20 judgement on automatic arrests&anticipatory bail pic.twitter.com/QKfzwmiD8M
— ANI (@ANI) January 25, 2019
अटॉर्नी जनरल (महान्यायवादी) के के वेणुगोपाल ने कहा कि न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने बृहस्पतिवार को यह कहते हुए एक आदेश पारित किया कि अजा/ अजजा कानून 2018 के खिलाफ दायर याचिकाओं एवं केंद्र की समीक्षा याचिका पर एक साथ सुनवाई करना उचित होगा। शीर्ष अदालत ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम) संशोधन कानून, 2018 पर रोक लगाने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया। इस संशोधित कानून के जरिए आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं दिए जाने के प्रावधान को बरकरार रखा गया है।
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संसद ने पिछले साल नौ अगस्त को शीर्ष अदालत के फैसले को पलटने के लिए विधेयक पारित किया था। यह फैसला एससी/ एसटी कानून के तहत गिरफ्तारी के खिलाफ निश्चित संरक्षण से जुड़ा हुआ था। अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें आरोप लगाया गया था कि संसद के दोनों सदनों ने कानून में ‘‘मनमाने” तरीके से बदलाव करने का निर्णय किया और पूर्व प्रावधानों को इस तरह से बरकरार रखा कि निर्दोष व्यक्ति अग्रिम जमानत के अधिकार से वंचित रहे।
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