MSME मंत्री बने दलित नेता Jitan Ram Manjhi, राजनीति की शुरुआत से आठ बार बदल चुके हैं दल

Jitan Ram Manjhi
प्रतिरूप फोटो
ANI
Anoop Prajapati । Jun 14 2024 4:13PM

एक सीट जीतने वाले हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी को लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) जैसा प्रमुख मंत्रालय मिला है। 2024-25 के बजट में एमएसएमई मंत्रालय का कुल बजट 22137.95 करोड़ रुपए था। बिहार की दलित राजनीति से उभरे मांझी एक बार राज्य में अपनी सरकार भी चला चुके हैं।

लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में सिर्फ एक सीट जीतने वाले हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी को लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) जैसा प्रमुख मंत्रालय मिला है। 2024-25 के बजट में एमएसएमई मंत्रालय का कुल बजट 22137.95 करोड़ रुपए था। बिहार की दलित राजनीति से उभरे मांझी एक बार राज्य में अपनी सरकार भी चला चुके हैं। इसके अलावा साधारण परिवार से राजनीति शुरु करने वाले मांझी बिहार के लगभग सभी दलों के साथ रह चुके हैं।

जीतन राम मांझी का जन्म बिहार के गया जिले के खिजरसराय के महाकर गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम रामजीत राम मांझी है जो एक खेतिहर मजदूर थे। मांझी ने 1966 में  गया कॉलेज से स्नातक किया। वह महादलित मुसहर समुदाय से आते हैं। 

1966 में, उन्होंने क्लर्क के रूप में काम करना शुरू किया और 1980 में नौकरी छोड़ दी। जीतन राम मांझी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1980 में की थी। अपने 43 साल के राजनीतिक सफर में बिहार के जीतन राम मांझी ने कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर अपने राजनीति करियर की शुरूआत की थी। कांग्रेस का साथ छोड़ने के बाद भी उन्होंने कई बार अपनी पार्टियां बदली हैं। कांग्रेस छोड़ने के बाद जीतन राम मांझी जनता दल, RJD, JDU और BJP में भी शामिल हुए थे। जीतन राम मांझी का राजनीतिक करियर लगभग 43 साल का है। इर दौरान मांझी अब तक लगभग 8 बार अपनी पार्टी बदल चुके हैं और वहीं, अब एक बार फिर से मांझी 9वीं बार अपनी पार्टी को बदलने का विचार कर रहे हैं। 

1980 में जीतन राम मांझी को कांग्रेस से टिकट मिलने वाला था। लेकिन उसी वक्त उनका टिकट काट दिया गया। इस घटना के बाद कांग्रेस नेता जगन्नाथ मिश्रा ने उनके लिए मदद का हाथ आगे बढ़ाया था। जगन्नाथ मिश्रा ने ही जीतन राम मांझी को लेकर आगे सिफारिश की थी जिसके बाद ही मांझी को फतेहपुर सीट से कांग्रेस का टिकट दिया  गया था। 1983 में चंद्रशेखर सिंह की कांग्रेस सरकार में जीतन राम मांझी राज्यमंत्री बने थे। 90 के दशक में कांग्रेस ने बिन्देश्वरी दुबे, सत्येंद्र नारायण सिन्हा और जगन्नाथ मिश्रा को मुख्यमंत्री बनाया था। ऐसे समय में जब बिहार के मुख्यमंत्री लगातार बदल रहे थे लेकिन उस वक्त भी मांझी का मंत्रीपद बना हुआ था। साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले ही नीतीश कुमार BJP से अपने नाते तोड़ चुके थे। 

भाजपा को साल 2014 में भारी मतों से जीत मिली थी जिसके कारण नीतीश कुमार को एक बड़ा झटका लगा था। वहीं, अब नीतीश कुमार ने एक बार फिर से जीतन राम मांझी को सत्ता सौंपने का फैसला किया। इसी क्रम में नीतीश कुमार ने 9 मई, 2014 को इस्तीफा दे दिया और बिहार की सत्ता जीतन राम मांझी के हाथों में सौंप दी थी। लेकिन उन्होंने 20 फरवरी 2015 को बिहार के मुख्यमंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया था। मुख्यमंत्री बनने के बाद बिहार के कई फैसले मांझी खुद अकेले ही लेने लगे थे। जिसके कारण दोनों लोगों के बीच में दूरियां बढ़ने लगी थी।

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