दिल्ली की अदालत ने रिश्वत मामले में डीयूएसआईबी के विधि अधिकारी को जमानत दी

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व्यवसायी की शिकायत के बाद संघीय एजेंसी ने जाल बिछाया और मग्गो को उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह कथित तौर पर रिश्वत की राशि का एक हिस्सा यानी 5 लाख रुपये ले रहा था।

दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) के विधि अधिकारी विजय मग्गो और एक ‘बिचौलिए’ को जमानत दे दी है, जिन्हें यहां एक व्यवसायी की दो दुकानों की सील खुलवाने के लिए पांच लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

अदालत ने इस आधार पर जमानत दी कि मुकदमे में समय लगने वाला है। विशेष न्यायाधीश सुधांशु कौशिक ने 13 फरवरी को आदेश पारित करते हुए कहा कि आरोपी को 8 नवंबर, 2024 को गिरफ्तार किया गया था और मामले में उनकी (आरोपियों की)हिरासत और पूछताछ की अब जरूरत नहीं है।

न्यायाधीश ने कहा कि आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है और अदालत ने इसका संज्ञान लिया है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि इन परिस्थितियों में आवेदक को हिरासत में रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होने वाला है।

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए और हिरासत में बिताई गई अवधि को ध्यान में रखते हुए, आवेदक/आरोपी विजय कुमार मग्गो को जमानत दी जाती है।’’ न्यायाधीश ने आरोपी को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो जमानतदारों को पेश करने पर राहत प्रदान की।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोपी के परिसरों की तलाशी के दौरान 3.79 करोड़ रुपये नकद और अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज भी जब्त किए थे। सीबीआई ने कहा कि आरोप है कि आरोपी ने शिकायतकर्ता से उसकी दो दुकानों की सील खुलवाने और उसे बिना किसी बाधा के उन्हें चलाने की अनुमति देने के लिए डीयूएसआईबी के एक अन्य अधिकारी के नाम पर 40 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी।

व्यवसायी की शिकायत के बाद संघीय एजेंसी ने जाल बिछाया और मग्गो को उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह कथित तौर पर रिश्वत की राशि का एक हिस्सा यानी 5 लाख रुपये ले रहा था। सीबीआई ने आरोपियों के आवासीय परिसरों की भी तलाशी ली, जिसमें 3.79 करोड़ रुपये नकद और कुछ संपत्ति के दस्तावेज बरामद हुए।

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