अमेरिकी कांग्रेस में कश्मीर मुद्दे पर हुई चर्चा पूरी तरह से एकतरफा रही: कश्मीरी पंडित
विदेश मामलों की समिति की ‘एशिया, प्रशांत एवं अप्रसार’ उप समिति के अध्यक्ष शरमन को लिखे पत्र में केओए ने कहा, ‘‘ हालांकि आपने अलग-अलग दृष्टिकोण के लोगों को आमंत्रित किया था, लेकिन चर्चा एक पक्षीय हुई, जिसमें स्पष्ट तौर पर छह में से केवल तीन पैनलिस्टों का जोर रहा।’’
वॉशिंगटन। कश्मीरी पंडितों के शीर्ष संगठन ने अमेरिकी कांग्रेस में कश्मीर मामले पर हुई चर्चा को पूरी तरह एकतरफा बताते हुए बहस की अध्यक्षता करने वाले ब्रैड शरमन को पत्र लिखा है। ‘कश्मीरी ओवरसीज एसोसिएशन’ (केओए) ने ब्रैड शरमन को लिखे एक पत्र में कहा कि 22 अक्टूबर को कांग्रेस में हुई चर्चा का लक्ष्य ‘‘ दक्षिण एशिया में मानवाधिकार’’ की स्थिति को सामने लाना था।केओए ने शरमन को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि उनका पक्ष सुने बिना, सुनवाई समिति ने हिंदू विरोधी भावना को बढ़ावा दिया जिससे अमेरिका और विश्वभर में मुस्लिम आबादी को खुश करने के लिए भारत विरोधी प्रचार को बल मिला।
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विदेश मामलों की समिति की ‘एशिया, प्रशांत एवं अप्रसार’ उप समिति के अध्यक्ष शरमन को लिखे पत्र में केओए ने कहा, ‘‘ हालांकि आपने अलग-अलग दृष्टिकोण के लोगों को आमंत्रित किया था, लेकिन चर्चा एक पक्षीय हुई, जिसमें स्पष्ट तौर पर छह में से केवल तीन पैनलिस्टों का जोर रहा।’’ उसने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार आरती टीकू सिंह 1990 में कश्मीरी हिंदुओं के क्रूर जबरन पलायन का शिकार हुईं। एक पखवाड़ा पहले तक वह घाटी में थीं। वह जमीनी स्थिति की चश्मदीद हैं। उनके अलावा और कौन वहां की स्थिति के बारे में बात कर सकता है ? यह स्पष्ट है कि उन्हें बोलने से बार बार रोका गया।
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केओए के अध्यक्ष डॉ. शकुन मलिक और केओए की सचिव अमृता कर ने पत्र में कहा, ‘‘ हमें काफी उम्मीद थी जब आपने 30 साल पहले घाटी छोड़ने वाले 4,00,000 कश्मीरी पंडितों के साथ हुए घटनाक्रम के बारे में पूछा..., लेकिन वह उम्मीद तुरंत ही टूट गई, आपने उन्हें अपने विचार रखने का मौका ही नहीं दिया। यह एकदम स्पष्ट था कि आप सच सुनना ही नहीं चाहते थे।’’ उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिंदू समुदाय के जबरन पलायन के खंडन, गलत सूचनाओं और चुप्पी की मीडिया के कई खेमों में काफी आलोचना की गई है।
भारत ने गुरुवार को अमेरिकी सांसदों द्वारा कश्मीर की स्थिति को लेकर की गई आलोचना को ‘‘ खेदजनक’’ बताते हुए कहा था कि टिप्पणियां देश के इतिहास और उसके बहुलतावादी समाज के बारे में बहुत ही सीमित समझ दिखाती है। कांग्रेस में चर्चा के दौरान अमेरिकी सांसदों की टिप्पणी की ओर इशारा करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि नयी दिल्ली की आलोचना करने के बजाय इस मौके का इस्तेमाल कश्मीर में सीमा पार से जारी, राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर तथ्यों का पता लगाने के लिए किया जाना चाहिए था।
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