मणिपुर में आर्थिक नाकेबंदी कांग्रेस का खेलः जावडेकर

[email protected] । Feb 18 2017 2:33PM

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आज कहा है कि मणिपुर में आर्थिक नाकेबंदी ‘कांग्रेस का खेल’ है और वह इसे सुलझाने के लिए गंभीर नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर भी आरोप लगाये।

इंफाल। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज कहा है कि मणिपुर में आर्थिक नाकेबंदी ‘कांग्रेस का खेल’ है और वह इसे सुलझाने के लिए गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि राजमार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भेजे गए केंद्रीय बलों को मुख्यमंत्री बैरकों में ही रखे हुए हैं। कांग्रेस ने नाकेबंदी का आह्वान करने वाले समूहों के साथ भाजपा की सांठ-गांठ होने का जो आरोप लगाया था, उसे खारिज करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि आर्थिक नाकेबंदी दरअसल ‘कांग्रेस का खेल’ है।

मणिपुर में भाजपा के प्रभारी जावड़ेकर ने कहा, ‘‘मणिपुर के मुख्यमंत्री और कांग्रेस सरकार बहुत अच्छी तरह से जानती है कि वे चुनाव में हार जाएंगे और तभी उन्होंने नाकेबंदी का सहारा लिया है। कांग्रेस की योजना सत्ता से धन जुटाने और धन से सत्ता हासिल करने की है।’’ मानव संसाधन विकास मंत्री ने एक साक्षात्कार में दावा किया, ‘‘नाकेबंदी से पहले भाजपा के पक्ष में समर्थन था और तभी कांग्रेस ने एक अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी की मदद ली। यह नाकेबंदी कांग्रेसी शासन द्वारा, कांग्रेसी शासन की और कांग्रेसी शासन के लिए है।’’

जावड़ेकर ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य को केंद्रीय अर्धसैन्य बलों की 175 कंपनियां उपलब्ध करवाई थीं लेकिन मुख्यमंत्री उनका इस्तेमाल नहीं कर रहे और उन्हें बैरकों में रखे हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने ये बल उपलब्ध करवाए थे, जो स्थिति को काबू में लाने के लिए मुख्यमंत्री के आदेशों का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन वह इन बलों को कोई आदेश नहीं दे रहे। उन्होंने इन्हें बैरक में रहने का आदेश दिया है।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘आपको मालवाहक वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजमार्गों पर केंद्रीय बलों के महज 2000 जवानों की तैनाती की जरूरत है। लेकिन वह इन बलों को काम नहीं करने दे रहे। यह इस बात का पहला सबूत है कि कांग्रेस की नाकेबंदी हटाने में दिलचस्पी नहीं है।’’

यूनाइटेड नगा काउंसिल ने एक नवंबर 2016 के बाद से अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी लगा रखी है। उसने यह नाकेबंदी राज्य सरकार के सात नए जिले बनाने के फैसले के विरोध में लगाई हुई है। राज्य सरकार का कहना है कि मौजूदा जिलों को बांटकर नए जिले बनाने का फैसला प्रशासनिक दक्षता सुधारने के लिए किया गया है।

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