विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ‘आपरेशन गंगा’ की प्रशंसा की, कहा- पूरा विदेश नीति तंत्र संलग्न हो गया था

S Jaishankar

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने युद्व प्रभावित यूक्रेन से भारतीयों को वापस लाने के अभियान ‘आपरेशन गंगा’ की सराहना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इस अभियान की सफलता के लिए रूस व यूक्रेन में सर्वोच्च स्तर पर हस्तक्षेप सहित विदेश विभाग का पूरा तंत्र झोंक दिया गया था।

नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने युद्व प्रभावित यूक्रेन से भारतीयों को वापस लाने के अभियान  ‘आपरेशन गंगा’ की सराहना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इस अभियान की सफलता के लिए रूस व यूक्रेन में सर्वोच्च स्तर पर हस्तक्षेप सहित विदेश विभाग का पूरा तंत्र झोंक दिया गया था। जयशंकर ने सेंट स्टीफंस कॉलेज एमआरएफ विशिष्ट पूर्व छात्र वार्षिक व्याख्यान में यूक्रेन से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिए राजनयिक स्तर पर क्या हुआ, इस बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘‘एक पल के लिए उस भारतीय छात्र के रूप में सोचें जो इस साल 24 फरवरी को यूक्रेन में था - आपकी प्रशासनिक संभावनाओं के बारे में चिंतित, आपने खुद को एक गंभीर संघर्ष के बीच में फंसा पाया और वह सिर्फ आप नहीं, आपके साथ 20,000 और साथी नागरिक थे। साथ ही यूक्रेन के लाखों नागरिक जो देश से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे।’’

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निकासी अभियान में आने वाली चुनौतियों पर विस्तार से बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि आंतरिक यात्रा अपने आप में खतरनाक और जटिल है, सीमाएं भीड़भाड़ के चलते और भी अधिक खतरनाक थीं। उन्होंने कहा कि वहीं अत्यधिक प्रभावित शहरों में, गोलाबारी और हवाई हमलों के कारण खतरा था। जयशंकर ने कहा, ‘‘ ऐसे में जब आप वास्तव में समर्थन के लिए अपनी सरकार की ओर देखते हैं। यह तब होता है जब विदेश विभाग का पूरा तंत्र तंत्र झोंक दिया जाता है, जैसा कि ऑपरेशन गंगा में हुआ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा परिवहन की सुविधा प्रदान करके करना था, इसमें ट्रेन और बसें शामिल थीं। यह सुरक्षित मार्ग के लिए गोलीबारी को रोकने के लिए रूस और यूक्रेन में उच्चतम स्तर पर हस्तक्षेप करना था,यह सीमा अधिकारियों को सीमा पार सुनिश्चित कराने के लिए शामिल करता है।’’

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उन्होंने कहा कि और सूमी जैसे स्थलों के मामलों में, यह संघर्ष क्षेत्रों को भी पार करता है। उन्होंने कहा कि निकासी में हंगरी, रोमानिया, स्लोवाकिया, पोलैंड और मोल्दोवा की पड़ोसी सरकारों के साथ काम करना शामिल है ताकि पारगमन शिविर स्थापित किए जा सकें और सुरक्षित वापसी के लिए उड़ानें संचालित की जा सकें। मंत्री ने कहा, ‘‘इन प्रयासों, हस्तक्षेपों और विभिन्न स्तरों पर संबंधों पर एक पल के लिए चिंतन करें, जो ऊपर से शुरू हो रहे हैं। और सोचें कि यह सब करने के लिए क्या आवश्यक है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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