साल 2020 में कोरोना महामारी के बीच मनाए गए त्यौहार तो मास्क में दिखाई दिए भक्त

Corona

कोरोना प्रोटोकॉल को फॉलो करते हुए भक्तों ने इस साल त्यौहार मनाएं। चाहे गणेश चतुर्थी हो, नवरात्रि, दीपावली या फिर छठ का त्यौहार हो। देशवासियों ने बड़ी सालीनता के साथ हर त्यौहार को मनाया।

साल 2020 कभी नहीं भूलने वाले सालों में शुमार हो गया है। कोरोना वायरस संक्रमण के आने के बाद यह साल पाबंदियों में ही गुजर गया। कभी पाबंदियों में ढील दे दी जाती तो कभी पाबंदियां बढ़ा दी जाती। समय-समय पर मौके की नजाकत को देखते हुए सरकार ने दिशा-निर्देश तय किए मगर सरकार का उद्देश्य सिर्फ इतना ही था कि कोरोना वायरस संक्रमण और न फैले और संक्रमण का जो प्रसार हो चुका है उसे जल्द-से-जल्द समाप्त किया जा सके। 

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ताली-थाली और 'रात 9 बजे 9 मिनट' बिजली बंद करने की अपील कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों को एक नया टास्क दे दिया ताकि घरों में रहकर जो लोग बोर हो गए, उन्हें रोमाचिंत होने का मौका मिल सके। इसके अतिरिक्त जब प्रदेश की अलग-अलग सरकारों ने ढील दी तो मंदिरों में भक्तों के जाने का सिलसिला भी शुरू हुआ। कोरोना वायरस की वजह मंदिरों के पट भक्तों के लिए पूरी तरह से बंद हो गए थे लेकिन धीरे-धीरे कई राज्यों ने संक्रमण में काबू पा लिया और मंदिर के पटों को भक्तों के लिए खोल दिया था।

कोरोना प्रोटोकॉल को फॉलो करते हुए भक्तों ने इस साल त्यौहार मनाएं। चाहे गणेश चतुर्थी हो, नवरात्रि, दीपावली या फिर छठ का त्यौहार हो। देशवासियों ने बड़ी सालीनता के साथ हर त्यौहार को मनाया।

मंदिरों के ऐसे खुले पट

लॉकडाउन में तमाम धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया गया था। किसी भी तरह के आयोजन की अनुमति नहीं थी। ऐसे में लोग मंदिर जाकर पूजा-अर्चना नहीं कर पा रहे थे और न ही नमाजी मस्जिदों में जाकर नमाज पढ़ पा रहे थे। अनलॉक-1 में सरकार ने धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाजत दे दी लेकिन राज्यों के हालातों को देखते हुए वहां की अलग-अलग सरकारों ने अपने मुताबिक धार्मिक स्थलों को खोला और बंद किया। 

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शुरुआत में जब मंदिर खोले गए तो वहां पर समय-समय पर सेनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई और भक्तों के लिए मास्क अनिवार्य कर दिया गया। इसके अलावा कतारों में समाजिक दूरी का पालन जैसे नियमों का भी कड़ाई से पालन हुआ। हालांकि, कुछ स्थानों पर कोरोना नियमों की खिल्ली भी उड़ी।

नवरात्रि में पहले मंदिर बंद थे हालांकि बाद में भक्तों के लिए खोल दिए गए। लंबी-लंबी कतारें लगीं और सभी ने सामाजिक दूरी के नियमों को मानते हुए मातारानी के दर्शन किए। रामलीला को डिजिटल माध्यमों की मदद से प्रसारित किया गया तो रावण दहन के सार्वजनिक कार्यक्रम पर रोक लगा दी गई और तय लोगों के बीच में रावण दहन का आयोजन किया गया। दिल्ली सरकार ने भी दशहरे के दौरान लगने वाले मेले, फूड स्टॉल, झूला, रैली, प्रदर्शनी और जुलूस पर प्रतिबंध लगा दिया था। रक्षाबंधन का त्यौहार भी घरों में रहकर ही मनाया गया था। वहीं, दीपावली की बात की जाए तो राजधानी दिल्ली जैसे इलाकों में प्रदूषण की वजह से पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था जबकि दूसरे राज्यों में पटाखे जलाने के लिए अतिरिक्त छूट दी गई तो कुछ राज्यों में समय तय कर दिया गया था। 

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क्रिसमस का पर्व भी धूमधाम से मनाया गया। चारों तरफ खुशियां छाई रहीं। लोगों ने चर्च में विशेष प्रार्थना कर कोरोना महामारी से निजात पाने की कामना की। वहीं, नए साल में ज्यादा भीड़ एकत्रित न हो इसके लिए सरकार ने अतिरिक्त इंतजाम कर लिए हैं। महाराष्ट्र सरकार ने तो रात्रि कर्फ्यू लगाया है तो उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में फिर से कोरोना के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन हो इसी को ध्यान में रखते हुए नए साल के जश्न पर निगरानी रखी जाएगी। वहीं, प्रशासन ने बिना अनुमति जश्न के कार्यक्रमों में रोक लगा दी है।

सरकार ने क्यों लगाई पाबंदियां

अनलॉक की व्यवस्था जब शुरू हुई तो सरकार ने धीरे-धीरे ढील देनी शुरू कर दी थी और कार्यक्रम आयोजित होने लगे थे। इसी बीच कोरोना वायरस संक्रमण के मामले भी बढ़ने लगे, जिसके बाद सरकार ने सख्ती दिखाई और मामलों में उछाल की आशंका व्यक्त करते हुए कड़ाई की। विशेषज्ञों ने बताया कि केरल में ओणम और महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के आयोजन के बाद कोरोना के मामलों में जबरदस्त उछाल दिखाई दिया। जहां एक तरफ बाकी के राज्यों में संक्रमण की दर धीरे-धीरे कम होने लगी थी वहीं, इन राज्यों में मामले लगातार बढ़ रहे थे। ऐसे में इन गलतियों से सीखते हुए सरकार ने सख्ती बढ़ा दी थी।

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