मंदिर में आने जाने के लिये सुरक्षा कारणों से अलग अलग रास्ते बनाए गए हैं मंदिर अधिकारी

D N Yadav

मंदिर अधिकारी डी एन यादव ने बताया कि मंदिर में आने जाने के लिये सुरक्षा कारणों से अलग अलग रास्ते बनाये गये हैं। व पूरी कोशिश की जा रही है कि कोई भी श्रद्धालु परेशान न हो। मंदिर की हर गतिविधि का सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से नजर रखी जा रही है। जिसका कंट्रोल रूम मंदिर अधिकारी का ऑफिस है।

ज्वालामुखी । ज्वालामुखी शक्तिपीठ में आज नवरात्र मेला के सातवें दिन बड़ी तादाद में श्रद्धालु अपनी आराध्य देवी के दर्शनों के लिये सुबह से मंदिर में जुटे है। माता के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज रहा है। जिससे माहौल भक्तिमय बना हुआ है। 

 

 

मंदिर प्रशासन की पूरी कोशिश है कि हर श्रद्धालु को आसानी से सुलभ दर्शन हों।  यही वजह है कि इस बार व्यवस्था में सुधार देखने को मिला है। लोग दर्शनों के लिये अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। मंदिर प्रशासन कोविड प्रोटोकॉल के तहत ही श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दे रहा है।  यहां उन्हीं लोगों को दर्शन की अनुमति मिल रही है। मंदिर अधिकारी डी एन यादव लगातार मंदिर में डटे हैं। 

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मंदिर अधिकारी डी एन यादव ने बताया कि मंदिर में आने जाने के लिये सुरक्षा कारणों से अलग अलग रास्ते बनाये गये हैं।  व  पूरी कोशिश की जा रही है कि कोई भी श्रद्धालु परेशान न हो। मंदिर की हर गतिविधि का सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से नजर रखी जा रही है।  जिसका कंट्रोल रूम मंदिर अधिकारी का ऑफिस है। वहां से लगातार नजर रखी जा रही है।  मंदिर अधिकारी यादव ने बताया कि मंदिर प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं को मुफ्त दवाई उपलब्ध करवाई जा रही है। व अपंग यात्रियों की सुविधा के लिये व्हीलचेयर का भी इंतजाम है। ऐसे लोगों को पहले दर्शन कराने की व्यवस्था है।  कोरोना प्रोटोकाल के चलते इस बार लंगर की अनुमति नहीं दी गई है।  

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ज्वालामुखी धूम्रा देवी धूमावती का स्थान है । व इसे 52 शक्तिपीठों में सर्वोच्च शक्ति सम्पन्न स्थान माना गया है । इस पवित्र स्थल में देवी ज्योति रूप में विराजमान है । तंत्र विद्या में इसे पवित्र एंव प्रचण्ड स्थल माना गया है । शिवालिक पहाडिय़ों के आंचल में यह मंदिर स्थापित है । मंदिर  के गर्भगृह में नौ ज्योतियां जल रही हैं । इनके नाम महाकाली , अन्नपूर्णा , चण्डी, हिंगलाज , विंध्यवासिनी , महालक्ष्मी , सरस्वती , अम्बिका तथा अन्जना हैं । इनकी  देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं । विश्व में शायद यही ऐसा देवालय है जहां प्रतिमा की पूजा नहीं होती । व जल रही ज्योति ही शक्ति का साक्षात स्वरूप है   ।  देश -दुनिया के तीर्थयात्रियों का यह पसंदीदा तीर्थ बन गया है ।

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