डीडीए का अपनी जमीन को सुरक्षित रखने का रिकार्ड हैरान करने वाला: उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस बात पर हैरानी जताई कि डीडीए दिल्ली में अपनी जमीन को सुरक्षित रखने में असफल रहा है। अदालत ने इसके साथ ही उसे भूमि प्रबंधन नीतियों के निर्माण तथा सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए एक इकाई बनाने का निर्देश दिया।
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस बात पर हैरानी जताई कि डीडीए दिल्ली में अपनी जमीन को सुरक्षित रखने में असफल रहा है। अदालत ने इसके साथ ही उसे भूमि प्रबंधन नीतियों के निर्माण तथा सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए एक इकाई बनाने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और एसपी गर्ग की खंडपीठ ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), दिल्ली सरकार और केन्द्र को निर्देश जारी किया जिसमें कहा गया है कि इकाई या प्रकोष्ठ को वैधानिक दर्जा दिया जाए और इसमें उच्च पदस्थ अधिकारियों को शामिल किया जाए।
अदालत ने कहा कि केंद्र को अपने कर्मियों के साथ ऐसा एक संगठन बनाने की व्यवहार्यता पर विचार करना चाहिए। खंडपीठ ने कहा, ‘‘अदालत के विचार में इस इकाई या प्रकोष्ठ को डीडीए की भूमि प्रबंधन नीतियों की लगातार निगरानी करनी चाहिए और जब कभी भी जरूरत हो तब सुनिश्चित करें कि अदालत का आदेश लागू हो और वह अन्य सभी प्रासंगिक पहलुओं की भी निगरानी करें।’’ अदालत ने 12 साल पुरानी एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई करते हुये यह निर्देश दिया।
पीआईएल में कहा गया था कि डीडीए दिल्ली में अपनी भूमि को सुरक्षित रखने में असमर्थ है और 42,000 एकड़ तक की भूमि पर या तो अतिक्रमण कर लिया गया है या इसका उस पर उसका कोई अधिकार नहीं है।
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