हिमंत बिस्वा सरमा बोले, असम-मेघालय सीमा विवाद पर संसद करेगी अंतिम फैसला
मुख्यमंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि सीमाओं को फिर से खींचने से संबंधित मामलों में संसद आम तौर पर राज्य विधानसभाओं की राय पूछती है और जब समझौता असम विधानसभा के समक्ष लाया जाएगा तब सदन या तो इसे स्वीकार कर सकता है या खारिज कर सकता है।
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मुख्यमंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि सीमाओं को फिर से खींचने से संबंधित मामलों में संसद आम तौर पर राज्य विधानसभाओं की राय पूछती है और जब समझौता असम विधानसभा के समक्ष लाया जाएगा तब सदन या तो इसे स्वीकार कर सकता है या खारिज कर सकता है। उन्होंने कहा, “ मामले पर सदन में चर्चा की जरूरत है, लेकिन आज नहीं।” सरमा ने कहा कि समाधान के पहले चरण में 36.79 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को लिया गया है और दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच हुए समझौते के तहत इसमें से असम को 18.46 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र मिलेगा तथा मेघालय को 18.33 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र मिलेगा।
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मुख्यमंत्री ने विवाद के छह बिंदुओं के समाधान को उम्मीद की नई किरण बताते हुए अरूणाचल प्रदेश के साथ इसी तरह के मुद्दों को हल करने के लिए इसी मॉडल का इस्तेमाल करने की इच्छा जताई। सरमा ने कहा कि राज्य के लिए सीमा विवाद को हल करने के लिए ‘यह बेहतरीन वक्त’ है। उन्होंने आरोप लगाया कि लोगों का एक तबका हमेशा परेशानी पैदा करना चाहता है। उन्होंने कहा, “ बुद्धिजीवियों का एक वर्ग हर क्षेत्र में विवाद पैदा करना चाहता है... तथाकथित वामपंथी अराजकतावादी विचारक।” मेघालय के अलावा असम का अरूणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम के साथ भी सीमा विवाद है।
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