स्वतंत्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए जर्मनी के साथ काम करने को आशान्वित है भारत: श्रृंगला
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क । Jun 10 2021 4:15PM
विदेश सचिव ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान तथा उच्चतर एवं व्यावसायिक शिक्षा जैसे क्षेत्रों में विस्तृत सहयोग ने भारत और जर्मनी के बीच छात्रों तथा पेशेवरों के आवागमन को भी विस्तार दिया है। समारोह में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया।
नयी दिल्ली। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र केलिए जर्मनी के साथ काम करने को लेकर आशान्वित है। उन्होंने जर्मनी को यूरोपीय संघ में भारत के सबसे महत्वपूर्ण मित्रों में से एक बताया। श्रृंगला ने कहा कि कोविड के बाद वैश्विक व्यवस्था को समान विचारों वाले देशों के इस दिशा में समन्वित प्रयासों की जरूरत होगी कि बहुपक्षवाद के सिद्धांतों तथा नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का सभी सम्मान करें। वह भारत और जर्मनी के बीच कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत के 70 वर्ष पूरे होने के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल जर्मनी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए दिशा-निर्देश जारी करने वाला यूरोपीय संघ का दूसरा देश बन गया जिसका हम स्वागत करते हैं। हम एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अपने साझा दृष्टिकोण पर जर्मनी के साथ मिलकर काम करने को आशान्वित हैं।’’ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी के मद्देनजर क्षेत्र में उभरती परिस्थितियां दुनिया की अग्रणी महाशक्तियों के बीच चर्चा का प्रमुख बिंदु बन गयी हैं। अनेक देश पहले ही क्षेत्र के लिए अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत कर चुके हैं। श्रृंगला ने अपने बयान में कहा कि भारत और जर्मनी को अपनी रणनीतिक साझेदारी का स्तर और गुणवत्ता बढ़ानी चाहिए क्योंकि दोनों के पास विशेष ताकत है जिसे दुनिया में भलाई के लिए एक शक्ति के रूप में जोड़ा जा सकता है।70yrs & counting🎉! @AmbLindnerIndia (virtual participation) & Indian FS @harshvshringla launched special postal stamp commemorating 70 years of diplomatic relations between 🇩🇪 & 🇮🇳🤝!@GermanyDiplo @MEAIndia @AmbLindnerIndia pic.twitter.com/6kfMiqO6UN
— German Embassy India (@GermanyinIndia) June 10, 2021
इसे भी पढ़ें: द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने कुवैत पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2000 में स्थापित भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी हर समय विस्तार लेते व्यापार और निवेश संबंधों से शक्ति प्राप्त करती है।’’ विदेश सचिव ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान तथा उच्चतर एवं व्यावसायिक शिक्षा जैसे क्षेत्रों में विस्तृत सहयोग ने भारत और जर्मनी के बीच छात्रों तथा पेशेवरों के आवागमन को भी विस्तार दिया है। समारोह में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया।
डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:
अन्य न्यूज़