भारत-रूस कट्टरपंथ, आतंकवाद के खतरे का कर रहे हैं सामना : रिजिजू
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि भारत और रूस कट्टरपंथ और आतंकवाद के विभिन्न रूपों का सामना कर रहे हैं और दोनों ही देश इन बुराइयों को खत्म करने के लिए साथ मिल कर लड़ेंगे।
नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि भारत और रूस कट्टरपंथ और आतंकवाद के विभिन्न रूपों का सामना कर रहे हैं और दोनों ही देश इन बुराइयों को खत्म करने के लिए साथ मिल कर लड़ेंगे। भारत में रूसी राजदूत निकोलय रिश्तोविच कुदाशेव के साथ एक बैठक में रिजिजू ने देश में आतंरिक सुरक्षा स्थिति से निपटने में सरकार के बहुआयामी रूख के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने रूसी राजदूत से कहा कि भारत और रूस कट्टरपंथ और आतंकवाद के विभिन्न रूपों का सामना कर रहे हैं। दोनों ही देश आतंकवाद की बुराई से निपटने के लिए वैश्विक लड़ाई में एक साथ हैं।
रिजिजू ने कहा कि आतंकवाद की बुराई को खत्म करने के लिए विश्व समुदाय के सहयोग से ठोस कोशिशें की जानी जरूरी हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि जाली नोटों और असमाजिक तत्वों के बीच धन के प्रवाह पर रोक लगाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले से आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने की कोशिश को बल मिला है। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक उन्होंने कहा कि राजग सरकार ने चरमपंथ पर रोक लगाने में पिछले तीन साल में मजबूत क्षमता का प्रदर्शन किया है।
रिजिजू ने कहा कि दुनिया में मुसलमानों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के बावजूद भारत में पश्चिम एशिया के आतंकी संगठन आईएसआईएस का प्रभाव बहुत कम है, इसका कारण समुदाय के नेताओं और माता पिता की समझदारी है। हालांकि, सरकार कट्टरपंथ को कम करने के लिये कार्यक्रम भी चला रही है। रूसी राजदूत ने दोनों देशों के लोगों के बीच मजबूत संपर्क बनाने की जरूरत पर जोर देते हुए दोहराया कि ये संबंध दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की आकांक्षाओं को जाहिर करते हैं।
उन्होंने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय मंच पर बढ़े हुए सहयोग के जरिए द्विपक्षीय सहयोग बढ़ता जा रहा है। उन्होंने दोनों देशों के बीच भविष्य में सहयोग के और अधिक अवसरों का समर्थन किया।रिजिजू ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और अधिक मजबूत करने के लिए हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।
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