मद्रास उच्च न्यायालय ने जयललिता का आवास स्मारक में तब्दील करने का आदेश रद्द किया

Madras High Court

न्यायमूर्ति एन सेशासायी ने आदेश पारित करते हुए सार्वजनिक धन के इस्तेमाल को लेकर सरकार पर कुछ सवाल भी उठाए हैं और मरीना बीच पर स्मारक होने के बावजूद स्मारक के लिए निजी जमीन लेने और प्रक्रिया का उल्लंघन करने पर तत्कालीन सरकार की आलोचना की है।

चेन्नई|  मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के चेन्नई के पोएस गार्डन स्थित आवास ‘वेद नीलयम’ को अधिग्रहीत कर स्मारक बनाने के लिए पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार द्वारा वर्ष 2017 से 2020 के बीच जारी सभी आदेशों को रद्द कर दिया है।अदालत ने इसके साथ ही आश्चर्य व्यक्त किया कि ‘‘ यह एक स्मारक बहुत नहीं है।’’

उच्च न्यायालय ने इस तथ्य पर भी गौर किया कि पोएस गार्डन से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध मरीना बीच पर दिवंगत नेता को समर्पित फिनिक्स थीम पर आधारित स्मारक है।

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न्यायमूर्ति एन सेशासायी ने आदेश पारित करते हुए सार्वजनिक धन के इस्तेमाल को लेकर सरकार पर कुछ सवाल भी उठाए हैं और मरीना बीच पर स्मारक होने के बावजूद स्मारक के लिए निजी जमीन लेने और प्रक्रिया का उल्लंघन करने पर तत्कालीन सरकार की आलोचना की है।

न्यायमूर्ति ने अपने 123 पन्नों के फैसले में इसे सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करार दिया है।

अदालत ने तत्कालीन सरकार के आदेशों को रद्द करते हुए तीन रिट याचिकाओं और दिवंगत अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता की भतीजी जे दीपा और भतीजे जे दीपक द्वारा विभिन्न अनुरोध के साथ दाखिल याचिकाओं को अनुमति दे दी।

न्यायमूर्ति ने कहा कि मुआवजा राशि जिसे सरकार ने जमीन के बदले निचली अदालत में जमा कराया है, उस पर प्राप्त ब्याज के साथ राज्य सरकार को लौटाना होगा।

न्यायाधीश ने फैसले में कहा, ‘‘जब राज्य की काफी आबादी संविधान के तहत सम्मानजनक जीवन के लिए संघर्ष कर रही है, जिनके लिए संविधान का तीसरा और चौथा हिस्सा अब भी प्रासंगिक होना बाकी है, अदालत असवेंदनशील नहीं रह सकती है और धृतराष्ट्र की भूमिका नहीं निभा सकती है, तब जब सरकार ने करोड़ो रुपये बिना सोचे विचारे खर्च करने का फैसला किया है। क्या जनता की वेदना सरकार के पास नहीं पहुंची?’’

गौरतलब है कि संविधान का तीसरा भाग मौलिक अधिकारों से संबधित है जबकि चौथा भाग राज्य के नीति निर्देशों से जुड़ा है।

अदालत ने 22 जुलाई 2020 को भू इस्तेमाल में बदलाव के आदेश और चेन्नई के जिला अधिकारी द्वारा जारी ‘वेद नीलयम’ के कब्जे का अधिकार सबंधी आदेश रद्द करते हुए तीन सप्ताह में संपत्ति याचिकाकर्ताओं को सौंपने का निर्देश दिया।

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उल्लेखनीय है कि इसी साल जनवरी में वेद नीलयम को स्मारक में तब्दील किया गया था और राज्य के मुख्यमंत्री रहे पलानीस्वामी द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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