Saudi-Pakistan Pact, Chabahar Port, Pak Terrorists के कबूलनामे, Nepal Situation और Mohammed Nizamuddin की मौत संबंधी मुद्दों पर MEA के जवाब ने दिये बड़े संकेत

Randhir Jaiswal
ANI

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल की टिप्पणियाँ इस बात का संकेत देती हैं कि दक्षिण एशिया और पश्चिम एशिया के बदलते परिदृश्य में भारत के लिए सामरिक सतर्कता और संतुलन बनाए रखना कितना आवश्यक है।

भारतीय विदेश मंत्रालय की साप्ताहिक प्रेस वार्ता में आज प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए रक्षा करार, अमेरिका की ओर से ईरान के चाबहार बंदरगाह पर प्रतिबंधों को वापस लागू करने, अमेरिका में भारतीय इंजीनियर की मौत तथा पाकिस्तान में आतंकवादियों की ओर से ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आतंकी ढाँचे को पहुँचे नुकसान की बात कबूलने वाले वीडियो से जुड़े मुद्दों पर प्रतिक्रिया दी। 

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल की टिप्पणियाँ इस बात का संकेत देती हैं कि दक्षिण एशिया और पश्चिम एशिया के बदलते परिदृश्य में भारत के लिए सामरिक सतर्कता और संतुलन बनाए रखना कितना आवश्यक है। देखा जाये तो सामयिक मुद्दों पर भारत की प्रतिक्रियाएँ सिर्फ कूटनीतिक बयान नहीं हैं, बल्कि भारत की दीर्घकालिक सुरक्षा, विदेश नीति और क्षेत्रीय हितों की दिशा तय करती हैं।

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हम आपको बता दें कि रियाद और इस्लामाबाद के बीच हुए "स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट" ने वैश्विक भू-राजनीतिक विश्लेषकों को चौकन्ना कर दिया है। सऊदी अरब की वित्तीय शक्ति और पाकिस्तान की सैन्य क्षमता, विशेषकर उसका परमाणु आयाम यदि एक साझा ढांचे में आते हैं, तो यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती हो सकती है। भारत ने इस पर सावधानीपूर्वक प्रतिक्रिया देते हुए यह स्पष्ट किया कि उसकी सऊदी अरब से साझेदारी गहरी और बहुआयामी है और वह अपेक्षा करता है कि इस समझौते में भारत की संवेदनशीलताओं का ध्यान रखा जाएगा।

देखा जाये तो यह रुख भारत की "बैलेंसिंग डिप्लोमेसी" को दर्शाता है। एक ओर भारत, सऊदी अरब के साथ ऊर्जा, निवेश और सुरक्षा सहयोग को और मज़बूत कर रहा है, तो दूसरी ओर उसे पाकिस्तान के साथ सऊदी समीकरणों से उत्पन्न संभावित जोखिमों को लेकर सतर्क भी रहना है। भारत के लिए यहाँ दोहरे आयाम हैं— एक, सऊदी अरब के साथ अपने हितों को और गहरा करना; दूसरा, पाकिस्तान को परमाणु सहयोग के किसी अप्रत्यक्ष लाभ से रोकना।

इसके अलावा, ईरान के चाबहार बंदरगाह पर अमेरिका द्वारा पुनः प्रतिबंध लगाए जाने का निर्णय भारत की रणनीतिक परियोजना को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। चाबहार भारत के लिए न केवल अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुँच का द्वार है, बल्कि यह चीन–पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के विकल्प के रूप में भी देखा जाता है। भारत ने इस संदर्भ में अमेरिका से संवाद जारी रखने की बात कही है। देखा जाये तो यह विषय केवल वाणिज्यिक नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यदि भारत की चाबहार परियोजना रुकती है, तो मध्य एशिया तक उसकी पहुँच सीमित हो जाएगी और पाकिस्तान–चीन धुरी को अप्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। इसलिए आने वाले समय में भारत को अमेरिका और ईरान दोनों के साथ लचीली कूटनीति अपनाकर अपने हितों की रक्षा करनी होगी।

इसके अलावा, भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान में हाल ही में सामने आए आतंकवादी संगठनों के वीडियो पर स्पष्ट किया कि दुनिया इस बात से भलीभांति परिचित है कि पाकिस्तान की सरकार और सेना आतंकवादियों के साथ गठजोड़ में हैं। हाल ही में भारत के ऑपरेशन "सिंदूर" के दौरान आतंकवादी गुटों को भारी नुकसान पहुँचा था और इसने पाकिस्तान के भीतर गहरी बेचैनी पैदा की है। भारत का संदेश स्पष्ट है कि आतंकवाद अब केवल द्विपक्षीय समस्या नहीं बल्कि वैश्विक संकट है। हम आपको बता दें कि भारत लगातार यह रेखांकित कर रहा है कि सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए दुनिया को साझा और ठोस प्रयास करने होंगे। इस संदर्भ में, पाकिस्तान के भीतर से ही आतंकवादियों के कबूलनामे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामने सबूत के रूप में काम करते हैं।

इसके अलावा, नेपाल में सुशीला कार्की के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन भारत की दृष्टि से पड़ोसी क्षेत्र में स्थिरता की ओर एक सकारात्मक संकेत है। भारत ने नेपाल को अपनी दीर्घकालिक विकास साझेदारी और लोकतांत्रिक स्थिरता के लिए समर्थन देने की प्रतिबद्धता दोहराई है। हिमालयी पड़ोसी में स्थिरता भारत की उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा और सांस्कृतिक–आर्थिक रिश्तों दोनों के लिए आवश्यक है।

इसके अलावा, कैलिफोर्निया में भारतीय इंजीनियर की पुलिस गोलीबारी में मौत ने भारतीय समुदाय को झकझोर दिया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वह स्थानीय अधिकारियों से लगातार संवाद में है और परिवार को सहायता प्रदान कर रहा है। देखा जाये तो यह घटना प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा के व्यापक प्रश्न से जुड़ी है, जो भारत–अमेरिका संबंधों के मानवीय आयाम को रेखांकित करती है।

इन सभी मुद्दों के सामरिक महत्व को देखें तो सऊदी–पाकिस्तान रक्षा करार भारत के लिए संकेत है कि उसे खाड़ी देशों के साथ अपने रिश्तों को और मज़बूत करना होगा ताकि पाकिस्तान को मिलने वाले किसी भी रणनीतिक लाभ को संतुलित किया जा सके। इसके अलावा, चाबहार परियोजना भारत की "कनेक्टिविटी डिप्लोमेसी" की रीढ़ है। इस पर अमेरिकी प्रतिबंध नई चुनौतियाँ खड़ी करते हैं, जिनका समाधान बहुपक्षीय संवाद से ही संभव है। वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान के भीतर से मिले सबूत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जागरूक करते हैं कि आतंकवाद केवल भारत की चिंता नहीं बल्कि वैश्विक खतरा है। इसके अलावा, नेपाल में राजनीतिक स्थिरता भारत की सीमा सुरक्षा और कूटनीतिक हितों के लिए शुभ संकेत है। उधर, अमेरिका जैसे देशों में भारतीयों की सुरक्षा अब भारत की विदेश नीति का संवेदनशील आयाम बन चुकी है।

समग्र रूप से देखा जाए तो रणधीर जायसवाल की प्रेस वार्ता इस बात की झलक देती है कि भारत बहुस्तरीय चुनौतियों के बीच अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए संतुलित, सतर्क और सक्रिय कूटनीति का प्रयोग कर रहा है। आने वाले समय में भारत को ऊर्जा, सुरक्षा, कनेक्टिविटी और प्रवासी समुदाय—इन सभी मोर्चों पर अपनी विदेश नीति को और व्यापक बनाना होगा। यही उसकी सामरिक स्वायत्तता और वैश्विक भूमिका को मज़बूत करेगा।

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