Kheer Bhawani Mela धूमधाम से मना रहे Kashmiri Pandits से Mirwaiz Umar Farooq ने कहा- घाटी लौट आओ भाइयों
मध्य कश्मीर में गांदेरबल जिले के तुल्लामुला गांव में चिनार के पेड़ों के बीच स्थित इस मंदिर में लगने वाले वार्षिक खीर भवानी मेले के दौरान कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र से कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ बड़ी संख्या में अन्य श्रद्धालु भी दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए चार आतंकवादी हमलों के बावजूद बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित मंदिरों में वार्षिक खीर भवानी मेले में शिरकत के लिए पहुंचे और कहा कि आस्था भय से अधिक शक्तिशाली है। हम आपको बता दें कि रंग्या देवी को समर्पित यह वार्षिक मेला ज्येष्ठ अष्टमी के दिन गांदरबल जिले के तुलमुल्ला में स्थित खीर भवानी मंदिर पर आयोजित किया जाता है। हालांकि जम्मू और कश्मीर के अन्य तीर्थ व मंदिरों में भी इसका आयोजन होता है। खीर भवानी मंदिर की कश्मीर पंडितों के बीच काफी मान्यता है। मध्य कश्मीर में गांदेरबल जिले के तुल्लामुला गांव में चिनार के पेड़ों के बीच स्थित इस मंदिर में लगने वाले वार्षिक खीर भवानी मेले के दौरान कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र से कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ बड़ी संख्या में अन्य श्रद्धालु भी दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
मेले के दौरान श्रद्धालु नंगे पांव गुलाब की पंखुड़ियां लेकर मंदिर पहुंचते हैं तथा उन्हें राज्ञा देवी को चढ़ाते हैं। मंदिर परिसर में सदैव मंत्रोच्चारण चलता रहता है। श्रद्धालु यहां दूध और खीर भी चढ़ाते हैं। इस मंदिर से जुड़ी एक विशेष बात यह है कि यह कश्मीर के विभिन्न समुदायों के बीच सदियों पुरानी उदार संस्कृति और भाईचारे का भी प्रतीक है। यहाँ लगने वाला मेला भी सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है क्योंकि खीर भवानी मंदिर के इलाके में भक्तों के लिए फूलों और अन्य प्रसाद के स्टालों की स्थापना सहित अन्य सभी व्यवस्था मुसलमान ही करते हैं।
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हम आपको यह भी बता दें कि खीर भवानी मेले में जम्मू-कश्मीर के कई बड़े नेता भी शामिल हुए और कश्मीरी पंडितों के साथ एकजुटता व्यक्त की। इस बीच, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने कश्मीरी पंडितों से अपनी मातृभूमि लौटने की अपील करते हुए कहा कि यह वक्त मेल-मिलाप और टूटे रिश्तों को फिर से जोड़ने का है। नौहट्टा क्षेत्र में ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में जुमे (शुक्रवार) की नमाज के लिए जुटे लोगों को संबोधित करते हुए फारूक ने ‘मेला खीर भवानी’ के मौके पर कश्मीरी पंडित समुदाय को मुबारकबाद दी। मीरवाइज़ ने कहा कि समुदाय को अपनी मातृभूमि पर लौट आना चाहिए जो उनका इंतजार कर रही है। गौरतलब है कि कश्मीर में आतंकवाद के भड़कने के बाद 1990 में बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित अपने घर छोड़कर घाटी से पलायन कर गए थे।
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