राम मंदिर पर मोदी सरकार का फैसला एक चुनावी कदम: मायावती

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[email protected] । Jan 30 2019 1:21PM

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की मिल्कियत वाली अधिगृहित भूमि में यथास्थिति बिगाड़ने का सरकारी प्रयास अनुचित और भड़काऊ है। घोर चुनावी स्वार्थ की राजनीति के तहत यह भाजपा सरकार का नया चुनावी हथकण्डा है।

लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती अयोध्या में अधिगृहित भूभाग राम जन्मभूमि न्यास को वापस लौटाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर किए जाने को 'सरकारी हस्तक्षेप' मानती हैं। मायावती का कहना है कि लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और यह चुनाव को प्रभावित करने की नीयत वाला 'विवादित' कदम है। बसपा सुप्रीमो ने बुधवार जारी एक बयान में कहा, 'इनकी (केन्द्र सरकार की) अयोध्या भूमि विवाद के सम्बंध में अधिगृहित भूमि का भूभाग रामजन्म भूमि न्यास को वापस लौटाने हेतु उच्चतम न्यायालय में अर्जी देने की कल की कार्रवाई जबर्दस्ती सरकारी हस्तक्षेप के साथ-साथ लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने की नीयत वाला संकीर्ण सोच का विवादित कदम है।'

उन्होंने कहा, 'इससे देश की आम जनता को बहुत ही सावधान रहने की ज़रूरत है।' मायावती ने आरोप लगाया कि भाजपा केन्द्र में जातिवादी, साम्प्रदायिक, धार्मिक उन्माद, तनाव, हिंसा के साथ-साथ संकीर्ण राष्ट्रवाद की नकारात्मक और घातक नीति तथा कार्यकलापों के आधार पर संविधान की मंशा के विरोधी तरीके से सरकार चला रही है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की मिल्कियत वाली अधिगृहित भूमि में यथास्थिति बिगाड़ने का सरकारी प्रयास अनुचित और भड़काऊ है। घोर चुनावी स्वार्थ की राजनीति के तहत यह भाजपा सरकार का नया चुनावी हथकण्डा है।


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मायावती ने कहा कि देश की सवा सौ करोड़ जनता का विश्वास खोकर बदनाम हो चुकी भाजपा सरकार के पास अब अयोध्या और धर्म के अन्य मामलों का गलत एवं राजनीतिक इस्तेमाल का आखिरी हथकण्डा बाकी रह गया था जो भाजपा पूरी तरह से इस्तेमाल करने में लग गई है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा को अहसास हो गया है कि उत्तर प्रदेश में बसपा—सपा गठबंधन के चलते वह केन्द्र की सत्ता में दोबारा आने वाली नहीं है।

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