Monsoon केरल में जल्द दे सकता है दस्तक, मौसम विभाग ने दी ये जानकारी

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रितिका कमठान । May 10 2025 3:01PM

आमतौर पर केरल में मॉनसून एक जून तक पहुंचता है। इससे पहले वर्ष 2023 में भारतीय मौसम विभाग ने दीर्घावधि औसत के 96% पर ‘सामान्य’ मानसून वर्षा की भविष्यवाणी की है। ये सामान्य से कम रहा और 94% बारिश दर्ज की गई, जो निश्चित रूप से एजेंसी की त्रुटि सीमा में ही थी।

भारत में इस वर्ष मॉनसून केरल में दस्तक देने वाला है। केरल में इस साल मानसून 27 मई तक दस्तक देने वाला है। मौसम विभाग ने ये अनुमान लगाया है। इस वर्ष मानसून सामान्य से चार दिन पहले भारत में दस्तक दे देगा। भारतीय मौसम विभाग ने बताया कि भारत की मुख्य भूमि पर दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने का संकेत केरल में इसके आगमन से मिलता है।

बता दें कि आमतौर पर केरल में मॉनसून एक जून तक पहुंचता है। इससे पहले वर्ष 2023 में भारतीय मौसम विभाग ने दीर्घावधि औसत के 96% पर ‘सामान्य’ मानसून वर्षा की भविष्यवाणी की है। ये सामान्य से कम रहा और 94% बारिश दर्ज की गई, जो निश्चित रूप से एजेंसी की त्रुटि सीमा में ही थी।

भारत में 2023 में एल नीनो वर्ष में ‘औसत से कम’ संचयी वर्षा हुई - 868.6 मिमी के एलपीए की तुलना में 820 मिमी। वर्ष 2023 से पहले भारत ने लगातार चार वर्षों तक ‘सामान्य’ और ‘सामान्य से अधिक’ वर्षा दर्ज की थी। आईएमडी ने अपने दीर्घकालिक पूर्वानुमान में कहा है कि इस वर्ष जून से सितंबर तक मानसून की वर्षा एलपीए के 105% के साथ ‘सामान्य से अधिक’ रहने की संभावना है, जिसमें मॉडल त्रुटि ± 5% है।

पिछले साल, मानसून अपने एलपीए के 108% के साथ ‘सामान्य से ऊपर’ था। 2023 में, जो कि अल नीनो वर्ष है, आईएमडी ने एलपीए के 96% के साथ ‘सामान्य’ मानसून की भविष्यवाणी की थी, लेकिन वास्तविक वर्षा सामान्य से कम 94% रही - जो अभी भी एजेंसी की त्रुटि सीमा के भीतर है। 

उपग्रह चित्रों से पता चल रहा है कि अंडमान सागर और केरल के आसपास घने बादल छाये हुए हैं। मानसून भारत में लगभग 70% बारिश लाता है और यह इसकी अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा है। भारत का 51% कृषि क्षेत्र, जो उत्पादन का 40% है, वर्षा पर निर्भर है और 47% आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है।

इस प्रकार, भारी या बहुत भारी वर्षा वाले दिनों के विपरीत, लगातार और मध्यम मात्रा में वर्षा होना देश के कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है। अच्छी बारिश से चीनी, दालें, चावल और सब्जियों जैसी प्रमुख वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने में मदद मिल सकती है, जिससे मुद्रास्फीति की समस्या पर भी अंकुश लग सकता है।

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