Prabhasakshi NewsRoom: सबूतों की मांग कर रहे नेताओं को भारतीय सेना का जवाब- ''राष्ट्र हम पर भरोसा करता है''

Indian Army
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पाकिस्तान में 2016 में की गयी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत की कुछ विपक्षी नेताओं की मांग के बीच थलसेना की पूर्वी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कालिता ने कहा है कि किसी भी अभियान को अंजाम देते समय सेना कभी भी कोई सबूत रखने के बारे में नहीं सोचती।

कांग्रेस नेताओं के बीच भारतीय सेना से उसके शौर्य का सबूत मांगने की होड़ लगी हुई है। हालांकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी कह चुके हैं कि सेना जो भी करती है उसका कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है लेकिन कांग्रेस नेताओं के जो बयान सामने आ रहे हैं वह दर्शाते हैं कि शायद पार्टी की सोच सेना से सबूत मांगने की ही है। कांग्रेस नेताओं के बयानों पर भाजपा नेता तो पलटवार कर ही चुके हैं लेकिन पहली बार सेना का भी इस मुद्दे पर बयान आया है।

हम आपको बता दें कि पाकिस्तान में 2016 में की गयी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत की कुछ विपक्षी नेताओं की मांग के बीच थलसेना की पूर्वी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कालिता ने कहा है कि किसी भी अभियान को अंजाम देते समय सेना कभी भी कोई सबूत रखने के बारे में नहीं सोचती। सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत की मांग कर रहे कुछ विपक्षी नेताओं की हाल की मांगों पर पत्रकारों के एक 'राजनीतिक सवाल' का जवाब देने से इंकार करते हुए उन्होंने कहा कि देश भारतीय बलों पर भरोसा करता है।

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प्रेस क्लब, कोलकाता में ‘प्रेस से मिलिए’ कार्यक्रम में यह पूछे जाने पर कि क्या अभियान के दौरान सेना कोई सबूत रखती है, उन्होंने ‘न’ में जवाब दिया। उन्होंने कहा, "जब हम कोई अभियान करने जाते हैं, तो हम उस अभियान का कोई सबूत नहीं रखते।" हम आपको याद दिला दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने हाल में जम्मू में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान सीमा पार सैन्य अभियान पर संदेह व्यक्त किया था। उन्होंने कहा था, "वे (केंद्र) सर्जिकल स्ट्राइक और कई लोगों को मारने की बात करते हैं, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है। वे झूठ का पुलिंदा दिखाकर शासन कर रहे हैं।" इसके बाद कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने कहा था कि यदि सर्जिकल स्ट्राइक का कोई वीडियो है तो वह दिखाइये और संदेह समाप्त करिये।

इसके अलावा, लेफ्टिनेंट जनरल कालिता ने कहा कि चीन के साथ पूर्वी सीमा पर हालात स्थिर हैं लेकिन सीमा अपरिभाषित होने के चलते पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। हम आपको बता दें कि अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की निगरानी का जिम्मा पूर्वी कमान पर है। लेफ्टिनेंट जनरल कालिता ने यह भी कहा कि सेना सीमा पार गतिविधियों की लगातार निगरानी कर रही है और किसी भी उभरती चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा, ‘‘पूरी समस्या इस तथ्य से उत्पन्न होती है कि भारत और चीन की सीमा अपरिभाषित है। वास्तविक नियंत्रण रेखा के बारे में अलग-अलग धारणाएं हैं, जिनसे समस्याएं पैदा होती हैं।’’ उन्होंने कहा, "हालांकि, मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में पूर्वी सीमा पर स्थिति स्थिर है, लेकिन उसको लेकर पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है और इसका कारण सीमाओं का निर्धारण नहीं होना है।" 

पूर्वी कमान के प्रमुख कालिता ने कहा, "हमने उन खबरों को पढ़ा है, जिसमें कहा गया है कि हमारे सेक्टर के सामने (चीन द्वारा) सैनिकों की तैनाती में वृद्धि की गई है...।" उन्होंने कहा कि एलएसी पर भारतीय सेना की तैयारी का स्तर "उच्च स्तर पर" बना हुआ है, और किसी भी स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए प्रत्येक सेक्टर में पर्याप्त बल हैं।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में पूर्वोत्तर में सुरक्षा की स्थिति में काफी हद तक सुधार हुआ है और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ क्षेत्रों से आफ्सपा हटाए जाने से सेना के अभियानों पर कोई असर नहीं पड़ा है। उन्होंने कहा कि पूर्वी थिएटर में सेना यह सुनिश्चित करने के लिए गांवों को मॉडल के रूप में विकसित करने पर काम कर रही है कि आजीविका की तलाश में कोई पलायन न हो। 

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