अस्पताल में जया से कभी नहीं मिल पायाः पनीरसेल्वम

[email protected] । Feb 8 2017 1:07PM

पनीरसेल्वम ने जयललिता के अस्पताल में भर्ती होने को लेकर आज कहा कि जयललिता के अस्पताल में 75 दिन तक भर्ती रहने के दौरान वह उनसे एक बार भी नहीं मिल पाए।

चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने जयललिता के अस्पताल में भर्ती होने को लेकर आज पहली बार सार्वजनिक बयान दिया। उन्होंने कहा कि जयललिता के अस्पताल में 75 दिन तक भर्ती रहने के दौरान वह उनसे एक बार भी नहीं मिल पाए। उन्होंने कहा कि अपोलो अस्पताल में किसी भी राजनेता की जयललिता से मुलाकात नहीं हुयी थी। इसी अस्पताल में पांच दिसंबर को उनका निधन हुआ था। पनीरसेल्वम ने एक तमिल टीवी चैनल से कहा, ‘‘मैं 75 दिनों तक अस्पताल गया। लेकिन मेरी एक भी बार उनसे मुलाकात नहीं हुयी। यहां तक कि मेरे परिवार से सदस्य भी मुझसे हर रोज पूछते थे कि मेरी अम्मा से मुलाकात हुयी है या नहीं। एक बार मुझे लगा कि मैं परिवार के सदस्यों से झूठ कह दूं कि मैंने उनसे मुलाकात की है। लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया।’’

जयललिता के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी पनीरसेल्वम को दी गई थी। पनीरसेल्वम के मुताबिक उन्होंने अपने परिजनों को बताया था कि जयललिता सघन चिकित्सा कक्ष में भर्ती हैं और संक्रमण फैलने की आशंका के मद्देनजर आगंतुकों को वहां जाने की इजाजत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें बताया गया था कि अम्मा की सेहत में सुधार हो रहा है। हम आश्वस्त थे। जब हमें पता चला कि अम्मा का निधन हो गया है तो हमें लगा कि शक्तिहीन हो चुके हैं।’’

पनीरसेल्वम से पूछा गया कि शशिकला के अलावा क्या कोई और जयललिता से उस दौरान मिला था तो उन्होंने कहा, ‘‘किसी अन्य राजनेता की उनसे मुलाकात के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। केवल राज्यपाल दो बार अंदर गये थे। मैंने किसी अन्य नेता को उनसे मुलाकात करने के लिए ना तो जाते देखा और ना ही ऐसा कुछ सुना।’’ उनकी टिप्पणियां इस मायने में महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जयललिता के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्री सहित कई नेता अपोलो अस्पताल गए थे।

पनीरसेल्वम से पूछा गया कि क्या जयललिता ने उनसे मिलने की इच्छा जताई थी या फिर खुद उन्होंने जया से मिलने का कोई प्रयास किया था तो इस बारे में अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्होंने कई बार इसका प्रयास किया लेकिन ‘‘सोचा कि यह मेरा दुर्भाग्य है और मैं पापी हूं जो अस्पताल में उन्हें देख भी नहीं सका।’’ मुख्यमंत्री कार्यालय से कुछ महत्वपूर्ण अधिकारियों के हाल में दिए इस्तीफों पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसके लिए अधिकारियों को उन्होंने बाध्य नहीं किया बल्कि यह उनका खुद का फैसला है।

पनीरसेल्वम अपने इस आरोप पर भी कायम रहे कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए विवश किया गया। हालांकि उन्होंने इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया कि वह राज्यपाल के समक्ष इस पद पर बने रहने का दावा करेंगे या नहीं। इसके जवाब में उन्होंने इतना ही कहा- ‘‘इंतजार कीजिए और देखिए’’। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसके बारे में कुछ नहीं कहना चाहता। मैं पहले ही अम्मा (जयललिता) के स्मारक पर उन स्थितियों के बारे में विस्तार से बता चुका हूं, जिनमें मुझे इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया।’’ शशिकला के पास उन्हें (पनीरसेल्वम) पार्टी पद से हटाने का कोई अधिकार न होने के अपने दावे पर उन्होंने कहा कि पार्टी पहले ही कानूनी समस्याओं का सामना कर रही है।

उन्होंने कहा कि जयललिता के निधन के बाद पार्टी के सामने पैदा हुई असाधारण स्थिति को देखते हुए महासचिव का चयन अस्थायी आधार पर किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘यह पार्टी का नियम है। संस्थापक एमजी रामचंद्रन द्वारा अन्नाद्रमुक के गठन के समय बनाए गए पार्टी के संविधान के अनुसार, इस पद को कानूनी मंजूरी तभी मिलेगी, जब सभी प्राथमिक सदस्य महासचिव का चयन करेंगे। इस तरह से चुने गए महासचिव के पास ही पार्टी के किसी अधिकारी को नियुक्त करने या हटाने का अधिकार होता है।’’ अन्नाद्रमुक के नेताओं द्वारा अपने खिलाफ बोले गए कड़े हमलों पर पनीरसेल्वम ने कहा कि यह ‘वक्त की मजबूरी’ है। इन नेताओं में उनके मंत्रिमंडल के कुछ साथी भी शामिल थे।

उन्होंने कहा, ‘‘वे ऐसा तभी बोल सकते हैं, जब वे वहां (शशिकला के साथ) हैं। उनके दिमाग में अगले चार साल तक अपना पद बचाए रखने की बात है। उन्हें यह सोचकर काम करना चाहिए कि उन्हें वापस जनता के बीच जाना है।’’ पार्टी आलाकमान के साथ विश्वासघात करने के आरोप पर उन्होंने कहा कि उन्होंने मजबूर होकर इस्तीफा इसीलिए दिया क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि वह किसी के निशाने पर आएं। कुछ विरोधियों द्वारा इस पूरे प्रकरण के पीछे भाजपा का हाथ बताए जाने से जुड़े आरोपों पर पनीरसेल्वम ने कहा, ‘‘उनके (विरोधियों के) पास मेरे खिलाफ कोई मजबूत आधार नहीं है। वे मेरे खिलाफ कोई आरोप नहीं लगा सकते।’'

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