राफेल सौदे पर जेपीसी की जरूरत नहीं, यह 2G या बोफोर्स नहीं: सीतारमण
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने मीडिया संस्थानों से 1980 के दशक के अंत में बोफोर्स पर कुछ भी प्रकाशित नहीं करने को कहा।
चेन्नई। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल सौदे की जांच के लिये संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग बुधवार को खारिज दिया। उन्होंने कहा कि यह 2 जी स्पेक्ट्रम या बोफार्स मुद्दे से भिन्न है, जिनमें धन के लेन-देन का पहलू सामने आया था। इस मुद्दे पर पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इसकी जरूरत नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि 2 जी मुद्दे के विपरीत नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक जैसी किसी भी संस्था ने राफेल सौदे के खिलाफ कुछ भी नहीं बोला है। उन्होंने कहा कि मामला उच्चतम न्यायालय भी पहुंचा। शीर्ष अदालत ने सौदे के लिये निर्णय प्रक्रिया या उसकी कीमत के मुद्दे पर संतोष जताया।
Smt @nsitharaman delivers keynote address at the Inaugural Session of Tamil Nadu Global Investors Meet 2019 pic.twitter.com/mYoxff3d71
— Raksha Mantri (@DefenceMinIndia) January 23, 2019
बाद में इस मुद्दे पर संसद में भी चर्चा हुई। सरकार ने जब उनका बिंदुवार जवाब दिया तो विपक्षी सदस्यों ने उसे सुनना भी मुनासिब नहीं समझा। उन्होंने कहा कि 2 जी स्पेक्ट्रम या बोफोर्स जैसे मुद्दे मुद्दों पर अतीत में जेपीसी का गठन किया गया था क्योंकि धन के लेन-देन और स्विट्जरलैंड में संबंधित बैंक खातों के बारे में मीडिया में काफी कुछ प्रकाशित हुआ था। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, राफेल में ऐसी स्थिति नहीं है, जिसमें क्वात्रोच्चि जैसा बिचौलिया या धन का लेन-देन नहीं हुआ है।’’उन्होंने कहा, ‘‘आप उस अवधि (1988-89) में बोफोर्स पर मीडिया कवरेज किस हद तक था इस बारे में जानते हैं। क्यों इसे अचानक रोक दिया गया। किसने मुंह बंद करने का प्रयास किया।’’
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उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने मीडिया संस्थानों से 1980 के दशक के अंत में बोफोर्स पर कुछ भी प्रकाशित नहीं करने को कहा। कांग्रेस के ‘फरमान’ का पालन करने के लिये मीडिया के एक हिस्से पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘किसी ने भी अपना मुंह नहीं खोला’’ और ‘उस तरह के लोग’ अब राफेल सौदे पर सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार में लगे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी जब ‘उनकी जुबान बंद कर रही थी’ तो किसी ने भी बोफोर्स मामले के समय में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर शोर नहीं मचाया था। उन्होंने कहा कि हालांकि अब वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के ‘हनन’ को लेकर हंगामा मचा रहे हैं।
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