Poorvottar Lok: Arunachal-Sikkim में बनी नई सरकार, Manipur से शांति अब भी दूर, बाल विवाह रोकने के लिए Assam ने उठाया नया कदम

Pema Khandu
ANI

इस सप्ताह पेमा खांडू ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। पिछली सरकार के तीन मंत्रियों को मुख्यमंत्री पेमा खांडू के नेतृत्व वाली नयी मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिली है। इस बार मंत्रिपरिषद में जगह पाने में नाकाम रहे नेताओं में होनचुन नगंदम, एलो लिबांग और नाकप नालो शामिल हैं।

देश का पूर्वोत्तर क्षेत्र इस सप्ताह काफी सुर्खियों में रहा क्योंकि अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में जहां नई सरकारों ने अपना कार्यभार संभाला तो वहीं असम सरकार ने बाल विवाह पर काबू पाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया। मणिपुर में शांति इस सप्ताह भी बाधित रही तो दूसरी ओर त्रिपुरा तथा मेघालय की राजनीति में नया मोड़ आ गया। इसके अलावा, नगालैंड में स्थानीय निकाय चुनावों की सरगर्मी जोर पकड़ रही है तो दूसरी ओर दिल्ली में मोदी मंत्रिमंडल में पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रभारी बनाये गये नये मंत्रियों ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुकांत मजूमदार ने अपना कामकाज संभालते हुए विश्वास दिलाया कि क्षेत्र के विकास को और गति प्रदान की जायेगी। असम के डिब्रूगढ़ से सांसद चुने गये सर्बानंद सोनोवाल ने भी केंद्रीय मंत्री का पदभार संभाल लिया। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर क्षेत्र से कई प्रमुख समाचार रहे। आइये सभी पर डालते हैं एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं अरुणाचल प्रदेश की।

अरुणाचल प्रदेश

पेमा खांडू ने लगातार तीसरी बार अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। पिछली सरकार के तीन मंत्रियों को मुख्यमंत्री पेमा खांडू के नेतृत्व वाली नयी मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिली है। इस बार मंत्रिपरिषद में जगह पाने में नाकाम रहे नेताओं में होनचुन नगंदम, एलो लिबांग और नाकप नालो शामिल हैं। मौजूदा मंत्रियों में उपमुख्यमंत्री चौना मीन, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण (पीएचई) मंत्री वांगकी लोवांग और पर्यावरण एवं वन मंत्री मामा नटुंग को नयी मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार पिछली सरकार के मंत्रियों को उनके खराब प्रदर्शन के कारण मंत्रिपरिषद में जगह नहीं दी गई। नयी मंत्रिपरिषद में आठ नए चेहरे हैं और 10 साल से अधिक समय बाद एक महिला मंत्री को शामिल किया गया है। हम आपको यह भी बता दें कि शपथ लेने के कुछ ही घंटों बाद अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने अपने पहले आधिकारिक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, जिसमें मुख्यमंत्री सामाजिक सुरक्षा योजना (सीएमएसएसएस) के तहत 100 करोड़ रुपये जारी करने को मंजूरी दी गई। इस योजना से राज्य भर में लगभग 80,000 लोगों को लाभ मिलेगा। इस योजना के तहत 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगजनों को पेंशन मिलती है।

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असम

असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने घोषणा की है कि उनकी सरकार बाल विवाह पर काबू पाने के लिए अगले पांच वर्षों तक कक्षा 11 से स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई करने वाली सभी लड़कियों को मासिक भत्ता देगी। शर्मा ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कैबिनेट ने 'निजुत मोइना' योजना को मंजूरी दी है और अनुमान है कि लगभग 10 लाख लड़कियों को प्रोत्साहन देने के लिए पांच साल में 1,500 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा, "विवाहित लड़की को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। वे विवाहित लड़कियां अपवाद होंगी जो पीजी पाठ्यक्रमों में पढाई कर रही हैं, उन्हें भी लाभ मिलेगा।" शर्मा ने कहा कि इस योजना का एकमात्र उद्देश्य लड़की की शादी में जल्दबाजी को रोकना है ताकि वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सके और अपने तथा अपने परिवार के लिए कमाई शुरू कर सके। उन्होंने जोर दिया, "इस योजना से लड़कियों के सकल दाखिला अनुपात में काफी वृद्धि होगी।"

शर्मा ने कहा कि कक्षा 11 और 12 में पढ़ने वाली सभी छात्राओं को हर महीने 1,000 रुपये मिलेंगे जबकि डिग्री छात्राओं को 1,250 रुपये और पोस्ट-ग्रेजुएशन की छात्राओं को 2,500 रुपये होंगे। उन्होंने कहा, "मंत्रियों, विधायकों और सांसदों की बेटियों और निजी कॉलेजों में पढ़ने वाली छात्राओं को छोड़कर, सभी लड़कियों को इस योजना में शामिल किया जाएगा, भले ही उनकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। जून और जुलाई में गर्मी की छुट्टियों के दौरान कोई राशि नहीं दी जाएगी। छात्राओं के बैंक खातों में साल में 10 महीने भत्ता जमा किया जाएगा।''

इसके अलावा, रिकॉर्ड अंतर से लोकसभा चुनाव जीतने वाले कांग्रेस नेता रकीबुल हुसैन ने मंगलवार को असम विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। हुसैन ने विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी को अपना त्याग पत्र सौंपा। इस दौरान विधानसभा के उपाध्यक्ष नुमाल मोमीन और कांग्रेस के कई नेता मौजूद थे। धुबरी से निर्वाचित सांसद के लिए कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) ने विदाई समारोह भी आयोजित किया। नगांव जिले के सामागुड़ी से पांच बार विधायक रहे हुसैन वर्तमान विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के उपनेता थे। विदाई समारोह में विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया और मुख्य सचेतक वाजिद अली चौधरी, भरत चंद्र नारा, जाकिर हुसैन सिकदर और नंदिता डेका सहित कई वरिष्ठ नेता और विधायक उपस्थित थे। समारोह को संबोधित करते हुए हुसैन ने कहा कि यह उनके लिए गर्व के साथ-साथ दुख का क्षण भी है। उन्होंने धुबरी के लोगों का आभार जताया जहां उन्होंने 10.12 लाख वोट के अंतर से जीत हासिल की है। यह राज्य में अब तक जीत का सबसे बड़ा अंतर है। उन्होंने सीट से एआईयूडीएफ के मौजूदा सांसद बदरूद्दीन अजमल को शिकस्त दी है। कांग्रेस नेता ने सामागुड़ी विधानसभा क्षेत्र के लोगों के प्रति भी आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "मैं 2001 से सामागुड़ी से जीतता आ रहा हूं, चाहे लहर कांग्रेस के पक्ष में रही हो या नहीं। मैं लोगों को लगातार मुझ पर विश्वास जताने के लिए धन्यवाद देता हूं।" हुसैन ने कहा कि हालांकि वह दिल्ली के राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं, लेकिन वह राज्य की राजनीति में वापस आएंगे। उन्होंने कहा कि शुरू में वह धुबरी से चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उन्हें बताया कि उनकी उम्मीदवारी "कुछ ताकतों" को हराने के लिए महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा, मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाओं से प्रभावित लोग आश्रय की तलाश में असम के कछार जिले में आ रहे हैं। स्थानीय विधायक कौशिक राय ने यह जानकारी दी। इस बीच पुलिस ने बताया कि अंतर-राज्यीय सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। पिछले शनिवार को संदिग्ध उग्रवादियों ने मणिपुर के जिरीबाम में दो पुलिस चौकियों, वन विभाग के एक कार्यालय और कम से कम 70 घरों में आग लगा दी थी जससे वहां फिर से तनाव पैदा हो गया। मणिपुर में पिछले साल मई से जातीय हिंसा जारी है। सीमावर्ती इलाकों के निवासियों ने दावा किया कि पिछले चार दिन में जिरी नदी पार कर राज्य में प्रवेश करने वाले करीब 600 लोगों ने कछार जिले के लखीपुर के विभिन्न हिस्सों में शरण ली है। उन्होंने बताया कि मणिपुर से आए लोग जिरीघाट और लखीपुर के गांवों में शरण ले रहे हैं, हालांकि उनके लिए कोई सरकारी राहत शिविर नहीं खोला गया है।

लखीपुर के विधायक कौशिक राय ने कहा, "मणिपुर से आए लोगों को यहां सुरक्षित रहने दिया जा रहा है। स्थानीय प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठा रहा है कि यहां कोई हिंसा नहीं हो।’’ कछार के पुलिस अधीक्षक नोमल महतो ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। उन्होंने भाषा से कहा, "कछार में किसी अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं है। सीमा पर जिरीघाट के साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग और आसपास के गांवों में पुलिस गश्त कर रही है।" उन्होंने कहा कि असम की तरफ स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और पुलिस कड़ी निगरानी रख रही है।

सिक्किम

सिक्किम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि उत्तरी सिक्किम के मंगन जिले में लगातार बारिश के कारण हुए भूस्खलन से कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और 1,500 से अधिक पर्यटक फंस गए। अधिकारियों ने बताया कि संगकालांग में एक नवनिर्मित पुल ढह गया, जिसके कारण मंगन का द्जोंगू व चुंगथांग से संपर्क टूट गया। अधिकारियों ने कहा कि भूस्खलन के कारण सड़कें अवरुद्ध हो गईं और कई मकान जलमग्न व क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि बिजली के खंभे बह गए। गुरुडोंगमार झील और युनथांग घाटी जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों के लिए जाने जाने वाले मंगन जिले के जोंगू, चुंगथांग, लाचेन और लाचुंग जैसे कस्बे का देश के बाकी हिस्सों से संपर्क टूट गया है। मंगन के जिला मजिस्ट्रेट हेम कुमार छेत्री ने बताया, "पाक्षेप और अम्बीथांग गांवों में तीन-तीन लोगों की मौत हो गई।" गेयथांग और नामपाथांग में कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए। छेत्री ने बताया कि विस्थापित लोगों के लिए पाक्षेप में एक राहत शिविर स्थापित किया गया है। भूस्खलन के कारण ब्रिंगबोंग पुलिस चौकी को निकटवर्ती स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया, जबकि संकलान में एक पुल की नींव क्षतिग्रस्त हो गई। अधिकारियों ने बताया कि लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन के चलते उत्तरी सिक्किम में मोबाइल नेटवर्क प्रभावित है। वहीं, जिला प्रशासन ने मंगन में राशन के साथ राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की एक टीम भेजने का अनुरोध किया। सड़क से मलबा हटाने के लिए मंगशिला डिग्री कॉलेज के पास एक ‘अर्थमूवर’ मशीन को लगाया गया है।

इसके अलावा, एसकेएम के अध्यक्ष प्रेम सिंह तमांग ने सोमवार को लगातार दूसरी बार सिक्किम के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। तमांग (56) को पालजोर स्टेडियम में आयोजित एक समारोह में राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनके साथ 11 अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में हजारों की संख्या में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) समर्थक मौजूद थे और उन्होंने नेपाली भाषा में शपथ लेने वाले तमांग का उत्साहवर्धन किया। तमांग के शपथ लेते ही स्टेडियम में पटाखों की तेज आवाज गूंज उठी। सिक्किम में पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध है। मुख्यमंत्री के साथ 11 अन्य मंत्रियों ने शपथ ली, जिनमें सोनम लामा, अरुण कुमार उप्रेती, समदुप लेप्चा, भीम हंग लिंबू, भोज राज राय, जी. टी. धुंगेल, पूरन कुमार गुरुंग, पिंट्सो नामग्याल लेप्चा, नर बहादुर दहल, राजू बसनेत और शेरिंग थेंडुप भूटिया शामिल हैं। सिक्किम में मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 12 सदस्य हो सकते हैं। तीन मंत्रियों अरुण कुमार उप्रेती, नर बहादुर दहल और राजू बसनेत ने नेपाली में, जबकि आठ अन्य मंत्रियों ने अंग्रेजी में शपथ ली।

पिछली सरकार के केवल चार मंत्रियों को ही इस बार मंत्री बनाया गया है। मुख्यमंत्री ने एसकेएम के दो विधायकों भोज राज राय और राजू बसनेत को क्रमश: पोकलोक-कामरांग और नामचेयबुंग विधानसभा क्षेत्रों में एसडीएफ प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग को हराने के लिए मंत्री पद से पुरस्कृत किया है। तमांग ने खामदोंग-सिंगताम से पहली बार विधायक बने नर बहादुर दाहाल को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया, जिन्होंने पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री के खिलाफ विद्रोह करने वाले मणि कुमार शर्मा को हराया है। हालांकि, मुख्यमंत्री की पत्नी कृष्णा कुमारी राय समेत एसकेएम के टिकट पर चार महिलाओं के निर्वाचित होने के बावजूद महिलाओं को तमांग मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका। शपथ ग्रहण समारोह में एसकेएम के करीब 30,000 नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए। इस समारोह को लेकर राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए आधे कार्य दिवस की घोषणा की थी और समारोह के लिए सुरक्षा प्रबंधों के तहत राज्य की राजधानी के आसपास के शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया था।

इसके अलावा, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी एसकेएम राजग को समर्थन देना जारी रखेगी क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने हिमालयी राज्य के विकास में सहायता की है। तमांग ने कहा, ‘‘इस कार्यकाल में हमारी सरकार की प्राथमिकता बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार होगी।’’ एसकेएम प्रमुख ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान गंभीर चुनौतियों का सामना करने के बावजूद उनकी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों के कारण उनकी पार्टी ने विधानसभा चुनाव जीता है। मोदी सरकार को अपनी पार्टी के समर्थन पर उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पहले कार्यकाल में भी हमने राजग का समर्थन किया था... हम हमेशा राजग का समर्थन करेंगे क्योंकि उसने हमारे राज्य का समर्थन किया है।’’ तमांग ने कहा, ‘‘इससे पहले सिक्किम को केंद्र सरकार से कोई समर्थन नहीं मिलता था, लेकिन मोदी जी के सत्ता में आने के बाद हमें राज्य के विकास के लिए पूरा समर्थन मिल रहा है।''

इसके अलावा, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग की पत्नी कृष्णा कुमारी राय ने शपथ लेने के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गयी है। वह हाल में विधानसभा चुनाव में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के बिमल राय को हराकर नामची-सिंघीथांग विधानसभा सीट से विजयी हुई थीं। सिक्किम विधानसभा के सचिव ललित कुमार गुरूंग ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष एमएन शेरपा ने कुमारी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। अरुणाचल प्रदेश के अपने समकक्ष पेमा खांडू के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत के लिए गए तमांग ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, "मेरी पत्नी के इस्तीफे की खबर के संबंध में... मैं सिक्किम के प्रिय और सम्मानित लोगों को सूचित करना चाहता हूं कि उन्होंने पार्टी के कल्याण और उद्देश्यों को प्राथमिकता देते हुए पार्टी के सर्वसम्मत निर्णय के अनुरूप अपनी सीट खाली कर दी है।" पोस्ट में तमांग ने कहा, "यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि, एसकेएम पार्टी की संसदीय समिति के अनुरोध पर, उन्होंने हमारी पार्टी के कल्याण के लिए चुनाव लड़ा। हमारी पार्टी की ओर से अध्यक्ष के रूप में, मैं उनके समर्पण और अटूट समर्थन के लिए उनका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं"। सिक्कम क्रांतिकारी मोर्चा(एसकेएम) प्रमुख ने कहा कि पार्टी सिक्किम के लोगों की सेवा करने के लिए वास्तविक और समर्पित पदाधिकारियों को अवसर देने के लिए प्रतिबद्ध है और नामची-सिंघीथांग निर्वाचन क्षेत्र के मामले में भी, निवासियों को एक 'समर्पित और वास्तविक विधायक मिलेगा जो उनके हितों की सेवा करेगा'।

मणिपुर

मणिपुर से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि संदिग्ध उग्रवादियों ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के अग्रिम सुरक्षा काफिले पर कांगपोकपी जिले में घात लगाकर सोमवार को हमला कर दिया, जिसमें एक जवान घायल हो गया। पुलिस ने बताया कि काफिला हिंसा प्रभावित जिरीबाम जिले की ओर जा रहा था, तभी राष्ट्रीय राजमार्ग 53 पर कोटलेन गांव के पास सुबह करीब साढ़े दस बजे उस पर हमला हुआ। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बलों के वाहनों पर कई गोलियां दागी गईं, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई की। अधिकारी ने बताया कि काफिले के एक वाहन के चालक के दाहिने कंधे पर गोली लगी है और उसे इंफाल के एक अस्पताल में ले जाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘सुरक्षा बल राज्य की राजधानी से करीब 36 किलोमीटर दूर घात लगाकर किए गए हमले की जगह पर पहुंच गए हैं और बंदूकधारियों का पता लगाने के लिए तलाश अभियान शुरू कर दिया गया है।’’ इसके अलावा, संदिग्ध उग्रवादियों ने शनिवार को जिरीबाम में दो पुलिस चौकियों, वन विभाग के कार्यालय और कम से कम 70 मकानों में आग लगा दी थी।

मेघालय

मेघालय से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि तुरा सीट से नवनिर्वाचित सांसद सलेंग ए. संगमा ने सोमवार को कहा कि राज्य की खासी और गारो भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराना और इनर लाइन परमिट को लागू कराना उनकी शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल हैं। कांग्रेस नेता ने मेघालय विधानसभा के आयुक्त सचिव एंड्रयू साइमन को लिखे एक पत्र में गाम्बेग्रे सीट से विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। विधानसभा में विपक्ष के मुख्य सचेतक रहे साइमन ने कहा कि गारो हिल्स के लोगों ने उन्हें वोट दिया है, क्योंकि उनका सत्तारूढ़ एनपीपी और उसकी उम्मीदवार अगाथा के. संगमा पर से विश्वास उठ गया है। उन्होंने तीन बार की सांसद अगाथा के. संगमा को 1.55 लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया है। उन्होंने कहा, “एक सांसद के रूप में, मैं विभिन्न मुद्दों को उठाऊंगा, लेकिन मेरी शीर्ष प्राथमिकताएं खासी और गारो भाषाओं को मान्यता दिलाना, इनर लाइन परमिट (आईएलपी) का कार्यान्वयन और मेघालय में स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में सुधार होगा।श्

त्रिपुरा

त्रिपुरा से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि :लोकसभा चुनाव से पहले, त्रिपुरा की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में बनी सरकार में मंत्री बने टिपरा मोथा नेता अनिमेष देबबर्मा ने कहा कि वह उन्हें आवंटित विभागों से नाखुश हैं और इस मुद्दे को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष उठाने पर विचार कर रहे हैं। संवाददाताओं से बातचीत में अनिमेष देबबर्मा ने कहा कि वह मुख्यमंत्री मणिक साहा के सामने इस मुद्दे को उठा चुके हैं। मंगलवार को उन्होंने कहा, "मुझे आवंटित विभागों से मैं खुश नहीं हूं। वन विभाग तो ठीक है, लेकिन प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (टीआरईडीए को छोड़कर)... इससे मैं खुश नहीं हूं। मैंने कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और उनसे कुछ महत्वपूर्ण विभाग आवंटित करने का आग्रह किया था, ताकि मैं ग्रामीण लोगों की मदद कर सकूं। इसमें कुछ भी छिपाने जैसा नहीं है।" देबबर्मा ने कहा कि वह जल्द ही दिल्ली जाकर गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे और उन्हें दोबारा गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालने के लिए बधाई देंगे। उन्होंने कहा कि अपने मुद्दे को भी शाह के सामने उठाएंगे।

उन्होंने कहा, "मैं पिछले 22 साल से राजनीति में हूं। कई विधायकों को राजनीति में केवल पांच वर्ष पूरे करने के बाद ही कई चीजें मिल जाती हैं। अगर मुझे (महत्वपूर्ण विभाग) नहीं मिलता तो कोई बात नहीं है। मैं सरकार के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन मुझे काम करना है।" अनिमेष देबबर्मा ने आगे कहा, "अगर कोई मेरे अनुभव को देखे तो मैं कई साल पहले विधायक चुना गया था और उसके बाद मैंने त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) में कार्यकारी सदस्य के रूप में काम किया। इसके साथ ही विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी मैंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। मैं मुख्यमंत्री से आग्रह करता हूं कि वे मुझे महत्वपूर्ण विभाग प्रदान करें और मैं उस विभाग के लिए कुशलता से काम करूंगा।" मार्च में टिपरा मोथा पार्टी के राज्य सरकार में शामिल होने के बाद विपक्ष के नेता अनिमेष देबबर्मा और बृषकेतु देबबर्मा को मंत्री बनाया गया है। बृषकेतु देबबर्मा को उद्योग एवं वाणिज्य विभाग में राज्य मंत्री बनाया गया है। वहीं, अनिमेष देबबर्मा को वन विभाग के साथ साथ प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की जिम्मेदारी दी गई है।

नगालैंड

नगालैंड से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) ने नगालैंड के लोगों से 26 जून को होने वाले 39 शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में ऐसे उम्मीदवारों को चुनने की अपील की, जो मूल रूप से नगा लोगों की संतान हों, न कि उन्हें जिन्हें गोद लिया गया हो। छात्र संघ ने दावा किया कि स्थानीय प्रशासन के पदों पर गैर-नगाओं को चुना जाना नगा सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है। संघ के उपाध्यक्ष मत्सीसुडिंग ने बुधवार को कहा, ''एनएसएफ, हमारे संघीय और अधीनस्थ निकायों के साथ मिलकर आगामी शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) चुनावों में मूल रूप से नगालैंड में जन्मे प्रतिनिधित्व के महत्व पर अपने दृढ़ रुख को दोहराता है।'' उन्होंने कहा कि एनएसएफ प्रदेश के सभी निर्णय लेने वाली प्रक्रियाओं में मूल नगा आबादी की आवाज और आकांक्षाओं के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी जोर देता है।

मत्सीसुडिंग ने कहा कि नगा लोगों का एक समृद्ध इतिहास और उनकी जीवंत संस्कृति है, जो शासन संरचनाओं के ताने-बाने में सघनता से बुनी हुई है। उनके अनुसार, शासन का केन्द्र बिन्दु प्रथागत कानूनों और पारंपरिक प्रथाओं का पालन करना है, जो महज प्रतीकात्मक संकेत नहीं बल्कि नगा पहचान का सार हैं। उन्होंने कहा कि ये प्रथाएं पीढ़ियों से चली आ रही हैं और सामाजिक एकता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, ''इस संदर्भ में एनएसएफ ऐसे व्यक्तियों को चुनने की आवश्यकता पर जोर देता है, जो इन परंपराओं का पालन और सम्मान करते हों इसलिए गोद लिये हुए नगा उम्मीदवारों के बजाय मूल रूप से यहां जन्मे उम्मीदवारों को चुनने की आवश्यकता है।'' उपाध्यक्ष ने कहा कि एनएसएफ को डर है कि गैर-नगाओं की नियुक्तियां राज्य की पारंपरिक प्रणालियों को बाधित करेंगी और सांस्कृतिक विरासत को कमजोर करेंगी।

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