आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 10 सालों में 429 मानव तस्करी के मामलों में केवल तीन साबित हुए दोषी

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[email protected] । Sep 3 2019 5:20PM

अध्ययन में यह भी पता चला है कि 429 मानव तस्करों में से 31 मानव तस्करी के कई मामलों में आरोपी हैं और उनके पीड़ित बच्चियां और किशोरियां हैं। इन 31 आरोपियों ने इस अध्ययन में कुल विश्लेषण किए गए जुर्म में से 91 (या 19 फीसदी) अपराध अंजाम किए हैं। इस अध्ययन से पता चला है कि 429 नामजद आरोपियों में से सिर्फ तीन को दोषी ठहराया गया है जिन्हें पांच से सात साल तक की सजा दी गई है।

नयी दिल्ली। आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में बीते 10 साल में 429 मानव तस्करों में से केवल तीन दोषी साबित हुए हैं। विभिन्न एनजीओ द्वारा 198 ऐसे मामलों के आरोप पत्र, प्राथमिकियों और पुलिस रोज़नामचा का किये गए अध्ययन में यह पाया गया है। यह अध्ययन आंध्र प्रदेश में एचईएलपी और पश्चिम बंगाल में गोरानबोस ग्राम बिकास केंद्र और पार्टनर्स फॉर एंटी-ट्रैफिकिंग (पीएटी) ने किया है जो समुदाय आधारित आठ संगठनों का संघ है। इसने पाया कि 68 मानव तस्करों को जमानत दी गई है और पांच आरोपियों से संबंधित जांच एक दशक से ज्यादा वक्त से चल रही है।

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अध्ययन में यह भी पता चला है कि 429 मानव तस्करों में से 31 मानव तस्करी के कई मामलों में आरोपी हैं और उनके पीड़ित बच्चियां और किशोरियां हैं। इन 31 आरोपियों ने इस अध्ययन में कुल विश्लेषण किए गए जुर्म में से 91 (या 19 फीसदी) अपराध अंजाम किए हैं। इस अध्ययन से पता चला है कि 429 नामजद आरोपियों में से सिर्फ तीन को दोषी ठहराया गया है जिन्हें पांच से सात साल तक की सजा दी गई है। वहीं 10 आरोपियों को ऐसे मामलों में सबूतों के अभावों में बरी कर दिया गया है जो कई सालों तक चलते रहे। अन्य मामलों में जांच चल रही है।

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अदालतों और थानों से दस्तावेज हासिल कर अध्ययन करने वाली स्निग्धा सेन ने बताया कि अध्ययन में पाया गया है कि दोष सिद्धि का आंकड़ा कम है और बरी किए जाने का आंकड़ा ज्यादा है। इससे मानव तस्करी के मामलों में कानून लागू करने वाली एजेंसियों की जांच करने की दक्षता पर संदेह पैदा होता है।सेन ने कहा कि इन मामलों में पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के मानव तस्करी के 173 से ज्यादा पीड़ित हैं।

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