मोदी को हटाने के लिए अवसरवादी तत्व एकजुट हुए हैं: भाजपा

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[email protected] । Jan 20 2019 11:40AM

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी ने रैली को मोदी विरोधी अभियान करार दिया और कहा कि पार्टी ऐसे कार्यक्रमों से डरती नहीं है।

नयी दिल्ली। भाजपा ने कोलकाता में हुई संयुक्त विपक्ष की रैली को ‘‘अवसरवादी तत्वों’’ का जमावड़ा करार देते हुए कहा कि जो लोग कभी एक दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करते थे, वे देश के भविष्य के किसी खाके के बगैर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हटाने के एकमात्र एजेंडा के साथ एकजुट हो गए हैं। इस रैली का आयोजन तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने किया था, जिसमें विपक्षी दलों के कई नेता शामिल हुए।  विपक्ष की रैली पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 2019 का भारत 1990 के दशक का भारत नहीं है, जब प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल कुछ दिनों से लेकर कुछ महीने भर का होता था। उन्होंने कहा कि देश को मजबूर सरकार नहीं, बल्कि मजबूत सरकार की जरूरत है। 

प्रसाद ने कोलकाता में विपक्ष की महारैली में जुटे नेताओं को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उन सभी की महात्वाकांक्षा प्रधानमंत्री बनने की है और इसलिए सबसे मुश्किल चीज उनके नेता की घोषणा करने में है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के पास देश का विकास करने की कोई योजना नहीं है और उनका एकमात्र एजेंडा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराना है। उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग एक दूसरे को देखना तक नहीं पसंद नहीं करते थे वे एकजुट हो गए हैं। उनके पास कोई खाका नहीं है। ’’ प्रसाद ने कहा कि विपक्ष के पास सबसे मुश्किल कार्य अपना नेता चुनने का है क्योंकि राहुल गांधी, मायावती, ममता बनर्जी , इन सभी की प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा है। 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी ने रैली को मोदी विरोधी अभियान करार दिया और कहा कि पार्टी ऐसे कार्यक्रमों से डरती नहीं है।  दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कोलकाता में “एकजुट भारत” रैली का आयोजन किया। इस रैली में सपा प्रमुख अखिलेश यादव, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, तेदेपा नेता एवं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी और भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा भी शामिल हुए।  रूडी ने कहा, “...हम स्पष्ट तौर पर इसे एक विभाजित नेतृत्व के तौर पर देखते हैं। यह विरोधाभासों एवं संघर्ष का सम्मेलन है। वे नये मोर्चे की बात करते हैं लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह कोई दूसरा या तीसरा मोर्चा भी है।” 

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