वायरस के नए स्वरूप की संक्रामकता व टीके पर उसके प्रभाव पर अनुसंधान चल रहा है: आईसीएमआर
आईसीएमआर के संक्रामक रोग एवं महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख पांडा ने कहा, “डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वायरस के जीनोम में हुए बदलाव के कारण, ऐसा हो सकता है कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन के लिए तैयार किये गए टीके, उत्परिवर्तित प्रकार के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता विकसित न कर सकें।”
नयी दिल्ली| भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक समीरन पांडा ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप की जीन और संरचना में परिवर्तन देखा गया है लेकिन इन बदलावों से उसकी संक्रामक क्षमता बढ़ेगी या वह टीके के प्रभाव को कम कर देगा, इसका परीक्षण किया जा रहा है।
आईसीएमआर के संक्रामक रोग एवं महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख पांडा ने कहा, “डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वायरस के जीनोम में हुए बदलाव के कारण, ऐसा हो सकता है कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन के लिए तैयार किये गए टीके, उत्परिवर्तित प्रकार के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता विकसित न कर सकें।”
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उन्होंने कहा, “बड़ी जनसंख्या के स्तर पर वायरस का यह प्रकार किस तरह विकसित होता है यह जानने के लिए हमें इंतजार करना होगा।”
पांडा ने कहा कि भारत में इस्तेमाल किये जा रहे टीके- कोवैक्सीन और कोविशील्ड पूर्व में ज्ञात उत्परिवर्तनों के विरुद्ध कारगर पाए गए हैं। उन्होंने कहा, “बी.1.1.529 उत्परिवर्तन के विरुद्ध वह कारगर होंगे या नहीं यह समय बताएगा।”
उन्होंने कहा, “कोरोना वायरस के नए स्वरूप में अन्य देशों से जीनोम और संरचना में परिवर्तन देखा गया है लेकिन यह बदलाव उसकी संक्रामकता बढ़ाएंगे या टीकों को निष्प्रभावी करेंगे इस पर अभी अनुसंधान चल रहा है।
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