देश की सुरक्षा मुद्दे को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए: उपराष्ट्रपति

वेकटाचलम (आंध्रप्रदेश)। पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले का उल्लेख किये बिना उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि देश की सुरक्षा को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए। नायडू ने यहाँ संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास ऐसे मुद्दे हैं जिन पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। उनका संकेत पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही बयानबाजी की ओर था। इस हमले में सीआरपीएफ के चालीस जवान शहीद हुए थे।
I am delighted to welcome you all to the 18th anniversary celebrations of Swarna Bharat Trust, with which I share a close & an emotional association. I am particularly grateful to Rashtrapathi Ji for graciously accepting the invitation & coming here to bless trust's activities. pic.twitter.com/3eLDX0GpWj
— VicePresidentOfIndia (@VPSecretariat) February 22, 2019
नायडू ने यह भी कहा कि चुनाव मुफ्त में तोहफे बांटने (फ्रीबिज) से नहीं जीते जा सकते। चुनाव अखबार की सुर्खियों और नारों से भी नहीं जीते जाते। उन्होंने कहा कि चुनाव जमीनी स्तर पर उतकर जनता से जुड़े मुद्दों और विकास से ही जीते जाते हैं। नायड़ू ने कहा कि उन्होंने अपने बच्चों को राजनीति में आने से सदा हतोत्साहित किया। उन्होंने अपने बच्चों को जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ने और उनके लिए सेवा भाव से काम करने को कहा है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक वंशवाद ठीक नहीं है। किंतु सेवा के क्षेत्र में वंशवाद में कोई बुराई नहीं। यदि किसी डाक्टर का बेटा डाक्टर बन कर सेवा करता है तो उसमें क्या बुरा है?
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उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनकी पुत्री आई दीपा से पूछा थी क्या वह राजनीति में नहीं आना चाहती, लीडर नहीं बनना चाहती? इस पर दीपा ने राजनीति में आने से इंकार करते हुए वाजपेयी से कहा कि क्या अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले लीडर नहीं होते। उन्होने कहा था कि नानाजी देशमुख के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर वह सेवा के क्षेत्र को पूरा समय देना चाहते है। इसके लिए उन्होंने 12 जनवरी 2020 की एक तारीख तय की थी, जिस दिन वह राजनीति से संन्यास ले लेते। हालांकि ऐसा नहीं हो पाया क्योंकि प्रधानमंत्री ने पार्टी का निर्णय उन्हें सुनाया कि उन्हें उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में उतरना है। वह पार्टी के निर्णय से इंकार नहीं कर पाए।
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