मुरादाबाद में दलित बहनों को जिंदा जलाने के मामले में सात लोगों को उम्र कैद

Dalit sisters in Moradabad

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में विशेष एससी/एसटी (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति) अदालत ने दलित समुदाय की दो बहनों को 2010 में जिंदा जलाने के मामले में सात लोगों को सोमवार को उम्र कैद की सज़ा सुनाई। कोठीवाल नगर में 18 दिसंबर 2010 को प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने दोनों बहनों को जिंदा जला दिया था।

मुरादाबाद (उप्र)। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में विशेष एससी/एसटी (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति) अदालत ने दलित समुदाय की दो बहनों को 2010 में जिंदा जलाने के मामले में सात लोगों को सोमवार को उम्र कैद की सज़ा सुनाई। कोठीवाल नगर में 18 दिसंबर 2010 को प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने दोनों बहनों को जिंदा जला दिया था। भीड़ एक दोहरे हत्याकांड के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी, जिसमें इन दोनों लड़कियों के भाई आरोपी थे। विशेष एससी/एसटी न्यायाधीश संध्या चौधरी ने 26-पन्नों के आदेश में सात आरोपियों को अतिरिक्त जिला सरकारी वकील (एडीजीसी) आनंद पाल सिंह द्वारा पेश किए गए सबूतों के आधार पर दोषी पाया।

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सिंह ने बताया कि अदालत ने सतीश मदान, सागर भांडुला, बंटी मलिक, आशा सचदेवा, अमरजीत कौर, विनोद कजक्कड़ और सानिया कोहली को मामले में दोषी ठहराया तथा उनपर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। उन्होंने बताया कि सभी दोषियों को मुरादाबाद जिला जेल भेज दिया गया। घटना के दिन भीड़ राजो के घर के बाहर जमा हो गई और घर को आग लगा दी। वह (राजो) बाल-बाल बच गई, लेकिन उसकी बेटियां गीता (22) और मोनू (20) वहां जिंदा जल गईं। राजो के बेटे राकेश पर नौ दिसंबर, 2010 को एक डकैती के दौरान 30 वर्षीय महिला और उसकी आठ वर्षीय बेटी की हत्या का आरोप था। इसके बाद पुलिस ने राकेश और उसके भाई राजेश को गिरफ्तार कर लिया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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