Maharashtra Onion Farmers का बुरा हाल, विधानसभा तक पहुँचा प्याज कीमतों में बड़ी गिरावट का मुद्दा

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एक दिन पहले ही राज्य के लासलगांव कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) में प्याज की कीमतों में लगातार आ रही गिरावट से नाराज किसानों ने प्याज की नीलामी रोक दी थी। हालांकि नासिक के प्रभारी मंत्री दादा भूसे के आश्वासन के बाद किसानों ने आंदोलन वापस ले लिया था।

महाराष्ट्र में प्याज किसानों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं क्योंकि उन्हें अपनी उपज को लागत से बहुत कम कीमत पर बाजार में बेचना पड़ रहा है। महाराष्ट्र में चूंकि इस समय विधानसभा का बजट सत्र भी चल रहा है इसलिए इसको लेकर राजनीति भी तेज हो गयी है। विधानसभा परिसर में विपक्षी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक प्याज लेकर आये और प्याज की माला भी पहन कर आये ताकि सरकार का ध्यान प्याज किसानों की समस्याओं की ओर आकर्षित हो सके।

हम आपको बता दें कि अभी एक दिन पहले ही राज्य के लासलगांव कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) में प्याज की कीमतों में लगातार आ रही गिरावट से नाराज किसानों ने प्याज की नीलामी रोक दी थी। हालांकि नासिक के प्रभारी मंत्री दादा भूसे के आश्वासन के बाद किसानों ने आंदोलन वापस ले लिया था। नासिक के प्रभारी मंत्री भूसे ने आंदोलन कर रहे किसानों को आश्वासन दिया कि मुंबई स्थित मंत्रालय में अगले आठ दिनों में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक की जाएगी। दरअसल एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में प्याज की प्रति किलो कीमत घटकर दो से चार रुपये प्रति किलो रह गई है। अपनी लागत की भी वसूली नहीं हो पाने से नाराज किसानों ने मंडी में प्याज की नीलामी ही रोक दी थी। प्याज उत्पादकों के एक प्रतिनिधि ने कहा कि सरकार को तुरंत 1,500 रुपये प्रति क्विंटल प्याज का अनुदान घोषित करना चाहिए और उनकी उपज को 15 रुपये से 20 रुपये प्रति किलोग्राम पर खरीदना चाहिए।

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हम आपको यह भी बता दें कि महाराष्ट्र के सोलापुर के एक किसान को उस समय जबरदस्त झटका लगा था जब उसे पता चला कि जिले के एक व्यापारी को उसके द्वारा बेची गई 512 किलोग्राम प्याज से केवल 2.49 रुपये मिले। पिछले सप्ताह की इस खबर के मुताबिक सोलापुर की बरशी तहसील निवासी किसान राजेंद्र चव्हाण ने कहा कि उनकी प्याज को सोलापुर बाजार परिसर में एक रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत मिली और सभी कटौतियों के बाद उन्हें यह नगण्य राशि प्राप्त हुई। किसान राजेंद्र चव्हाण ने कहा, ‘‘मैंने सोलापुर के एक प्याज व्यापारी को बिक्री के लिए पांच कुंतल से अधिक वजन के प्याज के 10 बोरे भेजे थे। हालांकि, माल चढ़ाने-उतारने, परिवहन, मजदूरी और अन्य शुल्क काटने के बाद, मुझे सिर्फ उससे 2.49 रुपये मिले।’’ राजेंद्र चव्हाण ने कहा कि व्यापारी ने मुझे 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से पेशकश की। उन्होंने कहा कि फसल का कुल वजन 512 किलोग्राम था और उन्हें उपज की कुल कीमत 512 रुपये मिली। किसान ने कहा, ‘‘509.51 रुपये की शुल्क कटौती के बाद मुझे 2.49 रुपये प्राप्त हुए। यह मेरा और राज्य के अन्य प्याज उत्पादकों का अपमान है। यदि हमें ऐसे दाम मिलेंगे, तो हम कैसे जीवित रहेंगे।’’ उन्होंने कहा कि प्याज किसानों को फसल का अच्छा दाम मिलना चाहिए और प्रभावित किसानों को मुआवजा मिले। चव्हाण ने दावा किया कि उपज अच्छी गुणवत्ता की थी जबकि व्यापारी ने कहा कि यह निम्न श्रेणी की थी।

उधर, व्यापारी ने कहा, ‘‘किसान केवल 10 बोरे लाया था और उपज भी निम्न श्रेणी की थी। इसलिए, उसे 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से दाम मिला। इसलिए सभी कटौती के बाद, उसे दो रुपये मिले।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसी किसान ने हाल के दिनों में मुझे 400 से अधिक बोरे प्याज बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया है। इस बार वह बची हुई उपज लेकर आए जो मुश्किल से 10 बोरी थी और चूंकि कीमतें कम हो गई हैं, इसलिए उन्हें यह दाम मिला है।’’

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