बाबरी मस्जिद पर शिया बोर्ड का कानूनी अधिकार क्षेत्र नहीं: पर्सनल लॉ बोर्ड
पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य कमाल फारूकी ने कहा, ‘‘यह बात साफ है कि शिया वक्फ बोर्ड का इसमें कोई कानूनी अधिकार क्षेत्र नहीं है। वह इस मामले में कभी पक्ष नहीं रहा।
नयी दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े कुछ मुस्लिम अपीलकर्ताओं ने इस मामले में शिया वक्फ बोर्ड के कानूनी अधिकार क्षेत्र पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि इस मामले में ‘सरेंडर’ नहीं किया जा सकता और अब सभी पक्षों को उच्चतम न्यायालय के फैसले का इंतजार करना चाहिए। पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य कमाल फारूकी ने कहा, ‘‘यह बात साफ है कि शिया वक्फ बोर्ड का इसमें कोई कानूनी अधिकार क्षेत्र नहीं है। वह इस मामले में कभी पक्ष नहीं रहा।
शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष (वसीम रिजवी) राजनीतिक कारणों से इस मामले में बयान दे रहे हैं।’’ हाल ही में श्री श्री रविशंकर की ओर से किए गए मध्यस्थता के प्रयास का हवाला देते हुए फारूकी ने कहा, ‘‘बोर्ड का रुख स्पष्ट है कि मामले का हल अदालत में होगा। हमें अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग चाहते हैं कि हम इस मामले में सरेंडर कर दें या संपत्ति को गिफ्ट कर दें। ऐसा नहीं हो सकता। वह वक्फ की संपत्ति है। किसी की निजी संपत्ति नहीं है कि उसे गिफ्ट कर दिया जाए। यह दो भाइयों (हिंदू-मुस्लिम) के बीच का मामला है और न्यायालय इस बारे में फैसला करेगा।’’
शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने हाल ही में बाबरी मस्जिद को शिया वक्फ संपत्ति करार देते हुए मामले का अदालत से बाहर समाधान करने की बात की थी। बाबरी मस्जिद के शिया वक्फ संपत्ति होने के उनके दावे को कुछ अपीलकर्ता आधारहीन बता रहे हैं। उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने वाले जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के पदाधिकारी मौलाना महमूदुर रहमान के प्रतिनिधि खालिक अहमद खान ने कहा, ‘‘1946 में फैजाबाद के सब-जज के सामने शिया वक्फ बोर्ड बाबरी मस्जिद पर अपना दावा हार चुका है। उसके बाद उन्होंने न कोई अपील दायर की और न ही कोई दावा किया।’’
खान का कहना है, ‘‘2013 के केंद्रीय वक्फ अधिनियम (संशोधित) की धारा 29 में स्पष्ट लिखा हुआ है कि वक्फ संपत्ति को न बेचा जा सकता है, न गिरवी रखा जा सकता है और न ही किसी को उपहार में दिया जा सकता है।
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