Sandeshkhali मामले के गवाह Bholanath Ghosh को खत्म करने की कोशिश में मारा गया उनका बेटा, Sheikh Shahjahan पर लगाया साजिश का आरोप

हम आपको बता दें कि 64 वर्षीय भोलानाथ घोष कभी तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और वर्तमान में गंभीर आरोपों में जेल में बंद शेख शाहजहां के करीबी थे। वह अब उन्हीं के खिलाफ अदालत में गवाही देने जा रहे थे।
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली गैंगरेप और ईडी की टीम पर हुए हमले के मामले के अहम गवाह भोलानाथ घोष बुधवार सुबह एक संदिग्ध सड़क हादसे में बाल-बाल बचे, जबकि उनके छोटे बेटे सत्यजीत और कार चालक शहनूर मोल्ला की मौके पर ही मौत हो गई। यह दुर्घटना उत्तर 24 परगना ज़िले के बसंती हाईवे पर बॉयामरी पेट्रोल पंप के पास सुबह करीब 9:17 बजे हुई। यह ऐसा इलाका है जहाँ कोई सीसीटीवी कवरेज नहीं है।
हम आपको बता दें कि 64 वर्षीय भोलानाथ घोष कभी तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और वर्तमान में गंभीर आरोपों में जेल में बंद शेख शाहजहां के करीबी थे। वह अब उन्हीं के खिलाफ अदालत में गवाही देने जा रहे थे। घटना के समय वह कार में आगे बैठे थे, जबकि उनका छोटा बेटा सत्यजीत पीछे दाहिनी सीट पर था। ट्रक की जोरदार टक्कर से कार 16 पहियों वाले ट्रक की चपेट में आ गयी। ट्रक घोष की कार को कुछ दूर तक घसीटकर ले गया, जिसके बाद वह राजमार्ग के किनारे स्थित जलाशय में जा गिरी। ट्रक को राजमार्ग के किनारे जलाशय के ऊपर खतरनाक तरीके से लटका हुआ पाया गया, जबकि दोषी ट्रक चालक मौके से फरार हो गया। बाद में ग्रामीणों ने काट-छांटकर गाड़ी का मलबा हटाया। घोष के बेटे सत्यजीत और ड्राइवर शहनूर को मीनाखान अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उन्हें मृत घोषित किया गया। वहीं भोलानाथ घोष घायल अवस्था में कोलकाता के निजी अस्पताल भेजे गए और उन्हें शाम तक छुट्टी दे दी गई।
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वहीं घोष परिवार का कहना है कि यह कोई हादसा नहीं, बल्कि हत्या की सुनियोजित साज़िश है। भोलानाथ घोष के बड़े बेटे बिस्वजीत ने दावा किया कि यह उनके पिता की हत्या का सुनियोजित प्रयास था। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शाहजहां ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए जेल में बैठे-बैठे यह “हमला” करवाया। बिस्वजीत ने कहा, “जब से मेरे पिता ने सीबीआई के साथ सहयोग करना शुरू किया है, तब से शाहजहां और उनके समर्थक हमारे परिवार को लगातार धमकियां दे रहे हैं और हमें परेशान कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि शाहजहां के दो करीबी सहयोगी तृणमूल नजात पंचायत समिति की प्रमुख सबिता रॉय और उनके डिप्टी मुस्लिम शेख ने अपने आका के निर्देश पर इस हमले की साजिश रची।” घोष के परिजनों के अनुसार ट्रक चलाने वाला अलीम मोल्ला उनका परिचित था और उसने जानबूझकर टक्कर मारी। बताया जा रहा है कि अलीम, अब्दुस समद और नज़रुल मोल्ला तीनों ही फरार हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार अलीम मोल्ला शाहजहां का करीबी है और ईडी अधिकारियों पर हमले वाले दिन भी उसके घर के बाहर मौजूद था।
वहीं भोलानाथ घोष ने कहा है कि उन्होंने मुझे मारने की योजना बनाई थी। इतनी रफ्तार और उस एंगल से ट्रक आ ही नहीं सकता था। मैं ड्राइवर को जानता हूँ। यह प्लान किया गया अटैक है। उधर, बशीरहाट के एसपी हुसैन मेहदी रहमान ने बताया है कि पुलिस हर एंगल से जांच कर रही है। ट्रक के ड्राइवर और मालिक की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है।
उधर, विपक्षी दल भाजपा ने इस हादसे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, “खबरों से पता चलता है कि ट्रक शाहजहां के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक अब्दुल हलीम मोल्लाह चला रहा था। उसके साथ नजरुल मोल्लाह भी था। अब्दुल का नाम सीबीआई के रिकॉर्ड में लंबे समय से भगोड़े के रूप में दर्ज है। इसलिए यह स्पष्ट है कि यह कोई दुर्घटना नहीं, बल्कि हत्या की एक सोची-समझी साजिश है।” भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया कि शाहजहां जेल में बैठकर एक-एक करके गवाहों को खत्म करवा रहा है। उन्होंने कहा, “क्या इस बात में संदेह की कोई गुंजाइश है कि शाहजहां को ममता बनर्जी का संरक्षण हासिल है?”
वहीं पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि इस दुर्घटना ने केंद्रीय जांच एजेंसियों को शाहजहां से जुड़े मामलों को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने के लिए पर्याप्त कारण दिए हैं। उन्होंने कहा, “जब तक शाहजहां शेख जैसे लोग पश्चिम बंगाल की जेल में हैं, भोलानाथ घोष जैसे लोग कभी सुरक्षित नहीं रहेंगे। आज उनके बेटे की हत्या कर दी गई। कल वे उन्हें नहीं बख्शेंगे। ये कुख्यात अपराधी हैं, जिन्हें तृणमूल का संरक्षण हासिल है।'' शुभेंदु ने कहा, “मुझे जेल के वरिष्ठ अधिकारियों से लगातार जानकारी मिल रही है कि ऐसे लोगों को नियमित रूप से मोबाइल फोन के इस्तेमाल की सुविधा मिलती है और वे जेल से ही अपना कारोबार चलाते हैं, और ये अधिकारी इसे रोकने में असमर्थ हैं। सीबीआई को इस मामले को बंगाल से बाहर किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित करने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि सीबीआई पहले ही “चुनाव के बाद हुई हिंसा के 18 मामलों को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर चुकी है।''
देखा जाये तो संदेशखाली की राजनीति और अपराध का गंदा गठजोड़ एक बार फिर हमारे सामने खड़ा है और इस बार इसकी कीमत एक निर्दोष बेटे की जान और एक गवाह के परिवार पर टूटे कहर के रूप में सामने आई है। एक गवाह जो अदालत के रास्ते पर था, वह रास्ता अचानक एक ट्रक से जाम कर दिया जाता है। ड्राइवर वही था जिसे परिवार पहचानता है। कुछ बिंदुओं पर गौर करेंगे तो यह पहली नगर में स्पष्ट हो जायेगा कि सब कुछ पहले से सुनियोजित था क्योंकि जिस मार्ग से गवाह जा रहा था ट्रक उसी रूट पर उसी वक़्त था और टक्कर वहां मारी गयी जहाँ सीसीटीवी नहीं है। इसके साथ ही ट्रक ड्राइवर अलीम मोल्ला का घटना के बाद परिवार सहित फरार हो जाना भी साजिश की आशंका को और पुख्ता करता है।
बहरहाल, संदेशखाली पहले दिन से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अपराधों की प्रयोगशाला बना हुआ है। जब भी शाहजहां का नाम सामने आता है, सत्तारुढ़ दल बचाव की मुद्रा में आता है और मशीनरी सुस्त पड़ जाती है। अब जबकि वह जेल में है, तब भी उसके रसूख का असर बाहर तक फैला दिख रहा है। यह संदेश है कि सत्ता की गलियों में पलने वाले अपराधी, जेल की सलाखों के पीछे से भी गवाहों के मुंह बंद करने की क्षमता रखते हैं। संदेशखाली की यह घटना चेतावनी देती है कि जब राजनीति, अपराध और प्रशासन की तिकड़ी मिलकर काम करने लगे तो गवाहों के लिए खतरा पैदा हो जाता है।
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