ताजमहल के पास पार्किग स्थल नहीं टूटेगा, यथास्थिति बनाये रखी जाये: SC
उच्चतम न्यायालय ने विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के निकट निर्माणाधीन बहुमंजिली कार पार्किग को गिराने के अपने आदेश पर रोक लगा दी।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के निकट निर्माणाधीन बहुमंजिली कार पार्किग को गिराने के अपने आदेश पर रोक लगा दी। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से ताज ट्रैपेजियम जोन के संरक्षण और प्रदूषण के बारे में विस्तृत नीति पेश करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की दो सदस्यीय खंडपीठ ने प्राधिकारियों को निर्माणाधीन बहुमंजिले कार पार्किग में यथास्थिति बनाये रखने और इसमें आगे कोई निर्माण नहीं करने का निर्देश दिया है। इस बहुमंजिली पार्किंग का निर्माण ताजमहल के पूर्वी द्वार से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर किया जा रहा है। पीठ ने कहा, ‘‘हमें नहीं पता कि वहां होटल का निर्माण कैसे हो सकता है।
समस्या यह है कि ऐसा लगता है कि सारे कदम अस्थाई रूप से ही उठाये गये हैं। ऐसे नहीं हो सकता।’’ इससे पहले, मामले की सुनवाई शुरू होते ही उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को 17वीं शताब्दी के इस स्मारक के संरक्षण के लिये उसकी नीति के बारे में बताया। ताजमहल को प्रदूषण से संरक्षण प्रदान करने के लिये के इर्दगिर्द के 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र ताज ट्रैपेजियम जोन है। पीठ ने कहा, ‘‘आप (राज्य सरकार) हमें यह बतायें कि संरक्षण (ताजमहल) के लिये आपकी नीति क्या है। आपने इसके लिये कौन सी नीति तैयार की है।
यदि आपके पास कोई नीति है तो क्या हम उसे देख सकते हैं?’’ मेहता ने कहा कि राज्य सरकार के पास इस मुद्दे पर एक विस्तृत नीति है और वह ताजमहल की संरक्षा के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास नीति है। मैं विस्तृत नीति पेश कर दूंगा।’ मेहता ने पीठ से यह भी कहा कि शुरू में ताजमहल से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर एक ओरिन्टेशन केन्द्र बनाने की योजना थी परंतु बाद में यहां पर्यटकों के लिये बहुमंजिली कार पार्किग के निर्माण का फैसला किया गया।
उन्होंने कहा कि बहुमंजिले कार पार्किग स्थल के निर्माण के लिये ताज ट्रैपेजियम जोन और विकास प्राधिकारियों से आवश्यक मंजूरी ली गयी है। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘इस बारे में कोई दिक्कत नहीं है परंतु आप हमें अपनी नीति बतायें। यदि यह आपकी नीति के अनुरूप है तो ठीक है।’’ मेहता ने जब पार्किग स्थल गिराने के बारे में शीर्ष अदालत के 24 अक्तूबर के आदेश का जिक्र किया तो पीठ ने कहा, ‘‘हम यथास्थिति बनाये रखेंगे लेकिन इसमें और निर्माण की अनुमति नहीं होगा।
हम अपने आदेश पर रोक लगा देंगे।’’ राज्य सरकार ने न्यायालय को बताया कि निर्माण कार्य पहले ही रोका जा चुका है। उन्होंने कहा कि वह दो सप्ताह के भीतर यह नीति पेश कर देंगे। इसके बाद न्यायालय ने ताजमहल के संरक्षण और पर्यावरण पर अंकुश के लिये पर्यावरणविद अधिवक्ता महेश चन्द्र मेहता की जनहित याचिका पर सुनवाई 15 नवंबर के लिये स्थगित कर दी।
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