भारत चीन के बीच सीमा वार्ता के 19वें दौर का आयोजन

[email protected] । Apr 20 2016 3:29PM

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने सीमा विवाद हल करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए चीन के विशेष प्रतिनिधि यांग जिची से वार्ता की।

बीजिंग। भारत और चीन ने आज जटिल सीमा विवाद हल करने के लिए 19वें दौर की वार्ता की। यह वार्ता ऐसे समय आयोजित हुई जब जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिशों में चीन की अड़ंगेबाजी से दोनों देशों में तल्खी में इजाफा हो रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने सीमा विवाद हल करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए चीन के विशेष प्रतिनिधि यांग जिची से वार्ता की।

डोभाल और जिची सीमा विवाद पर वार्ता करने के लिए अपने अपने देशों के विशेष प्रतिनिधि हैं। उन्हें इसके अतिरिक्त सभी जटिल द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने की शक्ति भी हासिल है। इस शक्ति के मद्देनजर उम्मीद की जा रही है कि वार्ता के दौरान यह मुद्दा चर्चा में आए। पिछले माह भारत ने कोशिश की थी कि संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति पठानकोट हमले के सरगना अजहर को आतंकवादी के रूप में नामित करे, लेकिन चीन ने यह कहते हुए इसमें अड़ंगा लगा दिया कि यह मामला सुरक्षा परिषद ‘‘की मानदंडों को पूरा नहीं करता।’’ चीन की इस कार्रवाई पर भारत में जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई। भारत ने कहा कि यह समझ से बाहर है कि जहां जैश-ए-मोहम्मद संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित किया गया है, उसके मुखिया पर कोई प्रतिबंध नहीं है। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि जहां आतंकवादियों की सूची में अजहर का नाम शामिल करने के कदम को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के चार स्थाई सदस्यों ने मंजूरी दे दी थी, चीन ने उसे ‘‘तकनीकी तौर पर लंबित’’ कर दिया था। उसने पहले यही काम मुंबई हमले के सरगना जकी-उर-रहमान लखवी के मामले में किया था।

उम्मीद की जा रही है कि डोभाल चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग से भी मुलाकात करेंगे। सरकारी अखबार ‘चाइना डेली’ ने आज अपनी रिपोर्ट में बताया कि ली ने मंगलवार को कहा था कि विवादों को उचित रूप से निबटाया जाना चाहिए और भारत के साथ रिश्तों को प्रगाढ़ किया जाना चाहिए। चीनी प्रधानमंत्री ने कहा कि चीन भारत के साथ अपने द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाते हुए उसके साथ विवादों का प्रबंधन ठीक ढंग से करके एशिया के आर्थिक विकास में योगदान करेगा। सीमा विवाद पर दोनों पक्षों के अधिकारियों का कहना है कि लंबी सीमा वार्ता में प्रगति हुई है और दोनों पक्षों ने 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव से बचने के प्रयास किए।

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