उत्तराखंड सरकार पिथौरागढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज में कक्षाएं शुरू कराए: High Court

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याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि इस संबंध में निविदा प्रक्रिया शुरू करने के बाद राज्य सरकार चार सप्ताह के अंदर अदालत को इसकी प्रगति के बारे में अवगत कराए ताकि इमारत के निर्माण में और देरी न हो।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को मधुरा में नन्ही परी सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज की आधारभूत संरचनाओं को पूरा करने के लिए निविदाएं आमंत्रित करने तथा कॉलेज में नियमित कक्षाएं शुरू कराने का निर्देश दिया है।

उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी तथा न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सरकार को ये निर्देश मंगलवार को दिए। पिथौरागढ़ से 15 किलोमीटर दूर स्थित इस कॉलेज को 14.5 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था।

हालांकि, इमारत के पिछले भाग में सुरक्षा कार्य नहीं किए गए जिसके कारण क्षेत्र में कुछ भूस्खलन के बाद इंजीनियरिंग कॉलेज की पहली मंजिल में मलबा भर गया। इसके बाद कक्षाएं केएनयू राजकीय माध्यमिक विद्यालय में संचालित की गयीं।

राज्य सरकार द्वारा 14.5 करोड़ रुपये खर्च किए जाने के बावजूद वहां कक्षाएं न चलने के कारण विवाद पैदा हो गया। उच्च न्यायालय ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया और प्रशासन से रिपोर्ट तलब की।

अदालत को बताया गया कि निकटवर्ती राजकीय माध्यमिक कॉलेज के परिसर में बनाए गए 10 ‘प्रीफैब्रिकेटेड’ कक्षों में कक्षाएं जारी रहेंगी और पिथौरागढ़ शहर से चांदक होते हुए एक वैकल्पिक मार्ग बनाए जाने का प्रस्ताव है जिससे शहर से संस्थान की दूरी 15 किलोमीटर से घटकर केवल साढ़े तीन किलोमीटर रह जाएगी।

याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि इस संबंध में निविदा प्रक्रिया शुरू करने के बाद राज्य सरकार चार सप्ताह के अंदर अदालत को इसकी प्रगति के बारे में अवगत कराए ताकि इमारत के निर्माण में और देरी न हो।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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