संघवाद के सिद्धांतों से जब भी समझौता हुआ, कर्नाटक ने आवाज उठाई: Thaawarchand Gehlot

Thaawarchand Gehlot
प्रतिरूप फोटो
ANI

थावरचंद गहलोत ने संविधान के साथ-साथ सहकारी संघवाद में विश्वास रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। गहलोत ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपने भाषण में भारतीय संविधान और इसकी सुरक्षा की आवश्यकता का जिक्र करते हुए कहा कि जब भी संविधान में निहित संघवाद के सिद्धांतों के साथ समझौता किया गया कर्नाटक सरकार ने अपनी आवाज उठाई।

बेंगलुरु । कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने संविधान के साथ-साथ सहकारी संघवाद में विश्वास रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। गहलोत ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपने भाषण में भारतीय संविधान और इसकी सुरक्षा की आवश्यकता का जिक्र करते हुए कहा कि जब भी संविधान में निहित संघवाद के सिद्धांतों के साथ समझौता किया गया, कर्नाटक सरकार ने अपनी आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि संविधान अपने पहले ही अनुच्छेद में भारत को राज्यों का संघ घोषित करता है। गहलोत ने कहा कि संविधान संघ और राज्यों के बीच संप्रभु शक्ति को विभाजित करता है।

राज्यपाल ने सैम मानेकशॉ परेड ग्राउंड से राज्य के लोगों को संबोधन करते हुए कहा, ‘‘कर्नाटक सरकार संघ के सिद्धांतों की परंपरा को बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और उसने संविधान के आदर्शों के अनुसार देश के विकास में योगदान दिया है।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय गणतंत्र की असली ताकत विविधता में एकता, लोकतांत्रिक संस्थाओं के परिस्थितियों के अनुसार ढलने और संविधान में निहित मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता में निहित है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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