क्यों बार-बार सेना के शौर्य पर सवाल उठाते हैं कांग्रेस नेता?

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अंकित सिंह । Oct 21 2019 4:00PM

इस स्ट्राइक अगले ही दिन महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव के साथ-साथ कई राज्यों 51 सीटों पर उपचुनाव भी हो रहे हैं। इन चुनावों में भाजपा ने राष्ट्रवाद को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया है जिसके सामने बाकी पार्टियों का एजेंडा फीका ही नजर आया।

सरहद पर भारतीय सेना ने अपने शानदार आक्रमण की बदौलत एक बार फिर से पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को धराशायी कर दिया है। रविवार को अचानक खबर आई कि पाकिस्तान की ओर से अकारण की गई गोलीबारी के जवाब में PoK के नीलम घाटी स्थित कम से कम चार आतंकी शिविरों और पाक सेना के कई ठिकानों पर भीषण हमला किया गया, जिसमें छह पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई और खबर है कि बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए। हालांकि शाम होते-होते सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने ये कह दिया कि जम्मू कश्मीर के तंगधार सेक्टर के दूसरी तरफ भारतीय सेना द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई में छह से 10 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए जबकि तीन आतंकी शिविर नष्ट किये गए। इस घटना क्रम के बाद देश को एक बार फिर भारतीय सेना के पराक्रम पर गर्व करने का मौका मिल गया। हर तरफ भारतीय सेना की वाह-वाही होने लगी। लेकिन यह कैसे हो सकता है कि इस पर राजनीति ना हो। 

खबर आये हुए अभी 24 घंटे भी नहीं हए थे कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की ही तरफ से सेना के इस पराक्रम और उसकी जवाबी कार्यवाई पर सवाल उठा दिया गया। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस ने सेना द्वारा किए कार्य को राजनीति से नहीं जोड़ा है। इससे पहले भी जब भारत ने पाकिस्तान सीमा में घुस कर सर्जिकल और एयर स्ट्राइक की थी तब भी कांग्रेस ने सवाल खड़े किए थे। एक बार तो संदीप दीक्षित जैसे बड़े नेता ने ही सेना प्रमुख को लेकर अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर दिया था। इस बार सेना के इस पराक्रम को राजनीति रंग देते हुए बिहार कांग्रेस के सीनियर नेता और राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह ने कहा कि जब चुनाव होता है तो सर्जिकल स्ट्राइक हो जाती है। उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक एक पैटर्न बनता जा रहा है और जब भी बड़े राज्य में चुनाव होते हैं, मोदी सरकार असली मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति करने लगती है।  

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बता दें कि इस स्ट्राइक अगले ही दिन महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव के साथ-साथ कई राज्यों 51 सीटों पर उपचुनाव भी हो रहे हैं। इन चुनावों में भाजपा ने राष्ट्रवाद को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया है जिसके सामने बाकी पार्टियों का एजेंडा फीका ही नजर आया। अब जबकि एक और स्ट्राइक देश के सामने आ गई तो कांग्रेस को डर सताना लाजमी है। हालांकि अखिलेश सिंह के इस बयान पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई। समय रहते कांग्रेस ने यह कह दिया कि यह अखिलेश सिंह का निजी बयान हो सकता है। पार्टी को भारतीय सेना पर गर्व है। लेकिन भाजपा को एक बार फिर से कांग्रेस पर बरसने का मौका मिल गया है। चुनाव प्रचार थम गया है, चुनाव का दिन भी है लेकिन आने वाले दिनों में कांग्रेस को भाजपा इस मुद्दे को लेकर लगातार घेरती रहेगी। 

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एक बात गौर करने वाली यह है कि इतने दिनों तक सरकार में रहने के बावजूद भी कांग्रेस को राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीरता दिखानी चाहिए यह उसके समझ में नहीं आया है। क्या कांग्रेस ने कभी सोचा कि भारतीय सेवा ना तो कभी चुनाव देखती है और ना ही कोई आपदा देखती है। जब भी दुश्मन नापाक हरकतें करने की कोशिश करे तो सेना उसका मुंह तोड़ जवाब देती है। एक बात और भी गौर करने वाली है कि रविवार को किया गया स्ट्राइक भारतीय सीमा में रहकर किया गया है जिसके लिए सेना को पूरी तरह से छूट है। इससे सरकार का कोई लेना-देना नहीं होता है। ऐसे में कांग्रेस ने यह सवाल कहां से उठाया? मामला भले ही जो भी हो पर यह बात तो सच है कि कांग्रेस के इन्हीं बयानों से भाजपा को राष्ट्रवाद के मुद्दे पर जनता के बीच अपना प्रभाव छोड़ने का मौका मिल गया है। उम्मीद यही है कि कांग्रेस राष्ट्रीय सुरक्षा की गंभीरता को समझे और सेना की वीरता पर शक करना बंद करे। 

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