जानिए पेरिस ओलंपिक में जाने वाली देश की शीर्ष तीरंदाज Deepika Kumari के संघर्ष की कहानी
दीपिका कुमारी ने ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई कर लिया है। पेरिस जाने वाले भारतीय में दल में वे भी शामिल थीं। बांस से बने उपकरणों के साथ तीरंदाजी का अभ्यास करने वाले किसी व्यक्ति के लिए, उसे खेल के शिखर तक पहुंचते देखना किसी आश्चर्य से कम नहीं है, लेकिन महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी ने ऐसा ही किया है।
देश की शीर्ष तीरंदाजों की सूची में शुमार दीपिका कुमारी ने एक बार फिर ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई कर लिया है। पेरिस जाने वाले भारतीय में दल में वे भी शामिल थीं। बांस से बने उपकरणों के साथ तीरंदाजी का अभ्यास करने वाले किसी व्यक्ति के लिए, उसे खेल के शिखर तक पहुंचते देखना किसी आश्चर्य से कम नहीं है, लेकिन महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी ने ऐसा ही किया है। तीन ओलंपिक प्रदर्शन और विश्व कप, एशियाई तीरंदाजी चैंपियनशिप, राष्ट्रमंडल खेलों, विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों में पदकों की श्रृंखला के साथ झारखंड के रांची के पास राम चट्टी गांव में एक छोटी सी झोपड़ी से चैंपियन तीरंदाज की कहानी काफी दिलचस्प है।
महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी का जन्म 13 जून 1994 को झारखंड की राजधानी रांची में हुआ था। उनके पिता एक ऑटो चालक थे और मां मेडिकल कॉलेज में नर्स रह चुकी हैं। सामान्य परिवार में जन्मी दीपिका को बचपन से तीरंदाजी का शौक था। बचपन में वह पेड़ पर लटके आमों पर पत्थर मारकर उन्हें गिराया करती थीं। दीपिका कुमारी अपने माता-पिता को अपना पेट भरने के लिए संघर्ष करते हुए देखकर बड़ी हुई हैं। हालांकि, राज्य सरकार द्वारा संचालित तीरंदाजी अकादमी में शामिल होने में कामयाबी मिलने के बाद भाग्य ने उनका साथ देना शुरू कर दिया। इस अकादमी में वंचित एथलीटों को मुफ्त प्रशिक्षण सुविधाएं और उपकरण दिए जाते थे।
जब वह 15 वर्ष की थी, तब तक दीपिका कुमारी ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी पहली बड़ी छाप छोड़ दी थी। दीपिका का भविष्य इस खेल में बड़ा आकार लेने जा रहा था। अगले वर्ष, उन्होंने दो स्वर्ण पदक जीते, जिसमें एक महिला व्यक्तिगत रिकर्व स्पर्धा में और दूसरा महिला रिकर्व टीम स्पर्धा में। 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेने से पहले इस एथलीट ने अपना कद काफी मजबूत कर लिया। दीपिका कुमारी ने 2012 में तुर्की के अंताल्या में व्यक्तिगत रिकर्व में अपने पहले तीरंदाजी विश्व कप स्वर्ण पदक के लिए बुल्सआई मारा। पिछले वर्ष ओग्डेन में विश्व कप में चार रजत पदक के बाद उन्होंने हासिल किया। उसके बाद उनकी ख्याति दुनिया भर में फैल गई, भारत की उम्मीदों का भार लेकर जब 2012 के लंदन ओलंपिक में वो पहुंची तो उन्होंने दुनिया की नंबर 1 के रूप ओलंपिक में प्रवेश किया।
उन्होंने रियो ओलंपिक में जाने से ठीक पहले अप्रैल 2016 में वूमेंस रिकर्व इवेंट में विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की थी। हालांकि, दीपिका कुमारी का ओलंपिक सपना रियो में 16वें दौर में ही असफल हो गया। 2021 विश्व कप में एक और स्वर्ण के साथ वापसी की और टोक्यो ओलंपिक से कुछ दिन पहले पेरिस विश्व कप में स्वर्ण के करीब पहुंचीं। अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर दीपिका कुमारी लगातार तीसरे ओलंपिक में अपनी जगह बनाई और एक बार फिर दुनिया की नंबर 1 तीरंदाज बन गई हैं। उन्होंने बड़े खेलों में अपने पिछले दो प्रदर्शनों से बेहतर प्रदर्शन किया। उन्हें अर्जुन पुरस्कार और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है और उन्होंने साथी भारतीय तीरंदाज अतनु दास के साथ शादी की है।
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