''आपरेशन ब्लू स्टार'' नहीं करना चाहती थीं इंदिरा गांधी!

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[email protected] । Oct 31 2018 12:41PM

देश के सर्वाधिक ताकतवर प्रधानमंत्रियों में गिनी जाने वाली दिवंगत इंदिरा गांधी के करीबी राजनेताओं और प्रशासकों के अनुसार उन्हें ब्लू स्टार आपरेशन का मलाल था वहीं स्व. कुलदीप नायर जैसे वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि इस तरह की कार्रवाई से बचा जा सकता था।

देश के सर्वाधिक ताकतवर प्रधानमंत्रियों में गिनी जाने वाली दिवंगत इंदिरा गांधी के करीबी राजनेताओं और प्रशासकों के अनुसार उन्हें ब्लू स्टार आपरेशन का मलाल था वहीं स्व. कुलदीप नायर जैसे वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि इस तरह की कार्रवाई से बचा जा सकता था। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से जरनैल सिंह भिंडरावाले और खालिस्तान समर्थक अलगाववादियों को निकालने के लिए जून 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर आपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था जिसमें सेना ने स्वर्ण मंदिर में प्रवेश किया। इस दौरान कई निर्दोष नागरिकों की भी जान गई। सिखों के इस शीर्ष धार्मिक स्थल पर सैन्य कार्रवाई की बाद में कटु आलोचना हुई। 

इंदिरा गांधी के निजी सचिव और करीबी सहयोगी रहे आरके धवन के अनुसार अलगाववादियों को नेस्तनाबूद करने के लिए इंदिरा जी ने आपरेशन ब्लू स्टार का आदेश दिया था जिसे लेकर उन्हें अपने आखिरी समय तक अफसोस रहा था। वर्तमान में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य धवन ने कहा− ब्लू स्टार आपरेशन का फैसला निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण था जिसे लेकर इंदिरा जी को काफी अफसोस रहा। जून में हुए आपरेशन ब्लूस्टार के कुछ ही माह बाद 31 अक्तूबर 1984 को इंदिरा गांधी के आवास पर उन्हीं के सिख अंगरक्षकों ने उन्हें गोलियों से भून डाला। दुर्भाग्यवश उन्हें बचाया नहीं जा सका।

स्व. धवन ने कहा− हालांकि इंदिरा जी को इस बात की जानकारी भी नहीं दी गई थी कि इस अभियान में सैन्य कार्रवाई के तहत टैंकों आदि का इस्तेमाल किया जाएगा। उनका कहना था कि दुर्भाग्यपूर्ण स्थित यिह भी रही कि एक बार सेना की कार्रवाई शुरू हो गई तो उसे रोकना भी असंभव था। इंदिरा गांधी के करीबी और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता माखन लाल फोतेदार ने कहा− ब्लू स्टार आपरेशन इंदिरा जी की मजबूरी थी। उनके सामने इस तरह की उग्रवादी साजिशों को रोकने और खत्म करने के लिए कोई विकल्प नहीं बचा था। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री फोतेदार कहते हैं कि उन्होंने इस समस्या से निपटने के कई विकल्प देखे लेकिन एक यही तरीका कारगर लगा। इस कदम से इंदिरा सरकार की आलोचना और सिख समुदाय की नाराजगी के सवाल पर फोतेदार ने कहा− इंदिरा जी किसी भी कीमत पर किसी धर्म या किसी धार्मिक स्थल की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहती थीं। बाहरी साजिश से देश की सुरक्षा के लिए उनके सामने यही एक मात्र विकल्प था, जो कामयाब भी रहा।

हालांकि वरिष्ठ पत्रकार स्व. कुलदीप नायर ने इंदिरा गांधी सरकार की इस कार्रवाई को गलत बताते हुए कहा कि इस कार्रवाई से बचा जा सकता था।  नायर ने कहा− इस कार्रवाई को जायज नहीं ठहराया जा सकता। आतंकवादियों की कार्रवाई का जवाब इस तरह नहीं दिया जाना चाहिए था। उन्हें घेरकर और सिख समुदाय को पहले ही विश्वास में लेकर किसी और तरह कार्रवाई की जा सकती थी।

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