आधुनिक भारतीय चित्रकला के जनक थे राजा रवि वर्मा

Raja Ravi Varma
Prabhasakshi

राजा रवि वर्मा ने कुल 7000 से भी अधिक पेंटिंग्स बनाईं, जिनमें दमयंती का हंस से बाते करना, शकुंतला को दुष्यंत की तलाश, नायर लेडी की अदाएं, शांतनु और मत्स्यगंधा की पेंटिग इत्यादि कई सारी उनकी फेमस कृतियां हैं।

राजा रवि वर्मा पहले ऐसे चित्रकार थे, जिन्होंने हिंदू देवी-देवताओं की छवियों को कैनवास पर उकेरा। हिन्दू धर्म संस्कृति और पौराणिक कथाओं, महाभारत और रामायण के पात्रों का जितना बेमिसाल चित्रण राजा रवि वर्मा ने किया है, वह अप्रतिम है। उनकी बनाई हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें उनके ईश्वरीय रूप को हमारे सामने यथावत रख देती हैं। राजा रवि वर्मा को आधुनिक भारतीय चित्रकला का जनक (द फादर ऑफ मॉडर्न इंडियन आर्ट) कहा जाता है।

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आज 29 अप्रैल इस महान भारतीय चित्रकार राजा रवि वर्मा का जन्मदिवस है, इस अवसर पर आइए जानते है उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें-

राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल 1848 को केरल के त्रावणकोर के किलिमन्नूर गांव में हुआ था। इनके पिता एज्हुमविल नीलकंठन भट्टातिरिपद एक पारंगत विद्वान थे और माता उमायाम्बा थम्बुरत्ति प्रसिद्ध कवि और लेखिका। चित्रकला का शौक राजा रवि वर्मा को बचपन से ही था, 5 साल की उम्र में वह चारकोल से घर की दीवारों पर चित्र बना दिया करते थे। राजा रवि वर्मा की चित्रकाला को आगे बढ़ाने में उनकी प्रेरणा बने उनके चाचा राज राजा वर्मा, जो स्वयं भी चित्रकार थे।

राजा रवि वर्मा के चित्रकारी के शौक को देखते हुए उनके चाचा उन्हें त्रावणकोर के राजमहल ले गए, जहां वॉटर पेंटिंग के महान चित्रकार रामास्वामी नायडू से उन्हें चित्रकारी की बारीकियां सीखने को मिली। उस समय राजा रवि वर्मा महज 14 साल के थे, चित्रकला में रूचि के चलते जल्दी ही उन्हें इस कला में महारत हासिल हो गई। इसके बाद मदुरै, मैसूर, बड़ौदा सहित देश के कई स्थानों पर घूमकर राजा रवि वर्मा ने अपनी चित्रकला को और भी निखारा। उस समय भारत में वाॅटर कलर पेंटिंग का जोर था।

ऑइल पेंटिंग (तैल चित्रकारी) राजा रवि वर्मा ने नीदरलैंड के मशहूर चित्रकार थियोडोर जेनसन से सीखी जो तब भारत आए हुए थे। थियोडोर जेनसन से ऑइल पेंटिंग की तकनीक को सीखकर राजा रवि वर्मा ने अपने चित्रों को ऑइल पेंट के रंग दिए, जिन्हें इतना पसंद किया गया कि उसके बाद भारत में ऑइल पेंटिंग्स का दौर चल पड़ा। थियोडोर जेनसन दुनिया भर में पोर्टेट कलाकार के लिए भी काफी प्रसिद्ध रहे हैं, राजा रवि वर्मा ने उनसे ही पोर्टेट बनाना भी सीखा और उसमें निपुणता हासिल की। महाराणा प्रताप का बनाया राजा रवि वर्मा का पोर्टेट उनकी चित्रकारी का बेमिसाल नमूना कहा जाता है।

राजा रवि वर्मा ने कुल 7000 से भी अधिक पेंटिंग्स बनाईं, जिनमें दमयंती का हंस से बाते करना, शकुंतला को दुष्यंत की तलाश, नायर लेडी की अदाएं, शांतनु और मत्स्यगंधा की पेंटिग इत्यादि कई सारी उनकी फेमस कृतियां हैं। राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स आज के दौर में भी उतनी ही मशहूर हैं जितनी उस समय में हुआ करती थीं। साल 2007 में उनके द्वारा बनाई गई एक कलाकृति लगभग सवा मिलियन डॉलर में बिकी जिसमें त्रावणकोर के महाराज और उनके भाई को मद्रास के गवर्नर जनरल रिचर्ड टेम्पल ग्रेनविले को स्वागत करते हुए दिखाया गया था और हाल ही में 6 अप्रैल को उनकी 130 साल पुरानी एक प्रतिष्ठित पेंटिंग की नीलामी हुई जो 21.16 करोड़ रुपये में बिकी है। राजा रवि वर्मा की यह पेंटिंग एक निजी संग्राहक के पास थी।

महज 58 वर्ष की उम्र में भारतीय चित्रकला में महान योगदान देने वाले राजा रवि वर्मा 2 अक्तूबर 1906 को इस दुनिया को अलविदा कह गए, आज भले ही वह हमारे बीच में नहीं है किन्तु उनके चित्रों में आज भी वह जीवित हैं।

राजा रवि वर्मा के बनाए चित्रों के एक विशाल संग्रह को वडोदरा के लक्ष्मीविलास पैलेस में देखा जा सकता है। उन्हें उनके बनाए उत्कृष्ट चित्रों के लिए देश-विदेशों में कई पुरस्कार व सम्मानों से सराहा गया। 1878 में विएना की एक प्रदर्शनी में उन्हें पुरस्कार दिया गया, 1893 में शिकागो में ‘वर्ल्डस कोलंबियन एक्स्पोजिसन’ में उनकी कलाकृतियों को तीन स्वर्ण पदक प्राप्त हुए। साल 1904 में ब्रिटिश इंडिया के वायसराय लार्ड कर्जन ने उन्हें ब्रिटिश एम्परर की ओर से कैसर-ए-हिन्द स्वर्ण पदक सम्मान प्रदान किया।

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राजा रवि वर्मा के सम्मान में समस्त भारत में कई सांस्कृतिक संस्थाओं के नाम भी रखे गए हैं। केरल सरकार ने उनके सम्मान में एक पुरस्कार’ की स्थापना की जो कला और संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए हर साल दिया जाता है। केरल मवेलीकारा में राजा रवि वर्मा के सम्मान में एक फाइन आर्ट कॉलेज की स्थापना की गई और किलिमनूर स्थित एक हाई स्कूल का नाम राजा रवि वर्मा के नाम पर रखा गया। सन 2013 में बुध ग्रह पर एक क्रेटर का नाम भी राजा रवि वर्मा के नाम पर रखा गया है।

राजा रवि वर्मा के जीवन पर 2014 में एक हिन्दी फिल्म बनाई गई ‘रंग रसिया’। केतन मेहता के निर्देशन में इस फिल्म को रंजीत देसाई के बायोग्राफिकल नॉवेल पर बनाया गया है। इस फिल्म में अभिनेता रणदीप हुड्डा ने राजा रवि वर्मा का किरदार निभाया है।

- अमृता गोस्वामी

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