...बदला हुआ भारत, बदला लेना जानता है

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ANI

पहलगाम में आतंकी हमला कोई पहली घटना नहीं था जिसको पाक का समर्थन प्राप्त था। दशकों से पाकिस्तान में पले—बढ़े और प्रशिक्षित आतंकी भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देते आए हैं। लेकिन हर बार घटना के बाद भारत सरकार का रवैया जबानी जमा खर्च तक रहा।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के एक पखवाड़े बाद भारत ने इसका जवाब उपयुक्त और निर्णायक ढंग से दिया। 6/7 मई की मध्यरात्रि भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके में आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाकर एयर स्ट्राइक की। इस कार्रवाई में 100 से ज्यादा आतंकवादियों के मारे जाने और कई अन्य के घायल होने की खबरें आ रही हैं।

भारत ने इस जवाबी कार्रवाई को नाम दिया है ‘ऑपरेशन सिंदूर’। ये नाम उन महिलाओं को समर्पित है, जिनके पतियों की पहलगाम में आतंकियों ने धर्म पूछकर हत्या कर दी थी। इस सैन्य कार्रवाई को केवल रणनीतिक पलटवार नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस स्पष्ट संकल्प की पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है, जो उन्होंने हमले के दो दिन बाद बिहार के मधुबनी से दिया था।

24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के मौके पर मधुबनी पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने पहलगाम हमले पर गहरा शोक प्रकट किया और देशवासियों से दो मिनट का मौन रखवाया। इसके बाद उन्होंने एक कड़े और प्रतिज्ञाबद्ध स्वर में कहा था— "मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि जिन्होंने ये हमला किया है, उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सज़ा मिलेगी।" बिहार मधुबनी में प्रधानमंत्री का दिया गया बयान अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रूप में धरातल पर उतर चुका है, जिसमें आतंकी नेटवर्क की जड़ें हिलाकर रख दी गई हैं। ऑपरेशन सिंदूर के लिए जिन आतंकी ठिकानों को मिट्टी में मिलाया गया है, उनमें से चार पाकिस्तान में और पांच पीओके में हैं।

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पहलगाम में आतंकी हमला कोई पहली घटना नहीं था जिसको पाक का समर्थन प्राप्त था। दशकों से पाकिस्तान में पले—बढ़े और प्रशिक्षित आतंकी भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देते आए हैं। लेकिन हर बार घटना के बाद भारत सरकार का रवैया जबानी जमा खर्च तक रहा। दो चार दिन की बयानबाजी और कागजी कार्रवाई के बाद गाड़ी पुरानी पटरी पर दौड़ती रही। और पाकिस्तान अपनी कारस्तानियों से बाज नहीं आया।

26 नवंबर 2008 की रात, भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई उस समय दहल उठी जब पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने समुद्र के रास्ते शहर में प्रवेश किया। हमले के दौरान, भारतीय सुरक्षा बलों, जिसमें मुंबई पुलिस, एनएसजी और अन्य कमांडो शामिल थे, ने तीन दिनों तक ऑपरेशन चलाया। इस ऑपरेशन में 9 आतंकी मारे गए, लेकिन अजमल कसाब को 27 नवंबर 2008 को जुहू चौपाटी पर जिंदा पकड़ लिया गया। इस हमले में 166 लोग मारे गए, जिनमें 26 विदेशी नागरिक भी शामिल थे और 300 से अधिक लोग घायल हुए।

तत्कालीन कांग्रेस नीत यूपीए सरकार केंद्र की सत्ता में थी। प्रधानमंत्री थे डॉ. मनमोहन सिंह। इस घटना के बाद तत्कालीन भारत सरकार का रवैया जगजाहिर है। असल में तत्कालीन सत्तासीन दल का पूरा जोर इस बात पर था कि इस हमले में शामिल लोगों को हिंदू साबित किया जाए, जिससे वो हिंदू आतंकवाद की थ्योरी को स्थापित कर सके। गनीमत यह रही कि आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ लिया गया। वरना सुरक्षाबलों द्वारा मारे गए आतंकियों के हाथों मे षड्यंत्र पूर्वक बंधे कलावे से ही सरकार हिंदू आतंकवाद की थ्योरी स्थापित करने में सफल हो जाती।

12 मार्च 1993 को मुंबई के विभिन्न इलाकों खासकर हिंदू आबादी बहुल में 13 सिलसिलेवार बम धमाके हुए, जिसमें 257 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई और 700 से ज्यादा निर्दोष नागरिक घायल हो गए। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। पीवी नरसिंह राव देश के प्रधानमंत्री थे। 13 दिसंबर 2001 को, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैय्यबा नामक आतंकवादी संगठनों के पांच आतंकवादियों ने भारत की संसद पर एक घातक हमला किया। इस आतंकी हमले का मुख्य आरोपी मोहम्मद अफजल गुरु था। इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, एक महिला कांस्टेबल और दो सुरक्षा गार्ड शहीद हो गए।

24 सितंबर 2002... शाम के करीब पौने पांच बजे का समय, ये वो दिन था जब गुजरात के अक्षरधाम मंदिर को आतंकियों ने अपना निशाना बनाया। इस आतंकी हमले में मंदिर परिसर में मौजूद 32 श्रद्धालुओं और 3 सुरक्षाकर्मियों की जान गई थी। आतंकियों ने हथियारों से लैस होकर श्रद्धालुओं को निशाना बनाया था। इस घातक हमले में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकवादियों का संबंध था। आतंकवादियों को एनएसजी कमांडो ने मार गिराया था। संसद और अक्षरधाम हमले के समय देश में भाजपा नीत एनडीए के नेता प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गठबंधन की सरकार चला रहे थे।

देश में आतंकी घटनाओं की लंबी फेहरिस्त है। चूंकि देश में सबसे ज्यादा लंबे समय तक कांग्रेस का राज रहा है। ऐसे में पाक समर्थित आतंकवाद से निपटने के लिए बयानबाजी और डोजियर भेजने का जो तरीका कांग्रेस की सरकार ने शुरू किया, वो रिवायत 2014 तक जारी रही। हर आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस तरह रिएक्ट किया, उससे पूरी दुनिया में यह मैसेज गया कि भारत एक 'सॉफ्ट स्टेट' है। भारत के इस टालू और ठंडे रवैये से पाकिस्तान के हौसले बुलंद हुए। 2004 से 2014 में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के शासन में आतंकियों के हौसले इतने बुलंद थे कि वो जहां चाहते थे आसानी से हमले को अंजाम दे देते थे। उन्हें पता था कि भारत सरकार का रवैया बयानबाजी और कागजी लिखा पढ़ी से ज्यादा कुछ नहीं होगा।

वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता में भाजपा नीत एनडीए सरकार का आगमन हुआ। जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। मोदी सरकार ने सत्ता संभालने के साथ आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करना शुरू किया। जिसका नतीजा यह रहा है कि कश्मीर को छोड़कर देश के किसी हिस्से में आतंकी घटनाओं की खबर सामने नहीं आई। कश्मीर में स्थानीय लोगों की मदद से आतंकियों और उनके सरगनाओं के हौसले बुलंद है। 2019 में धारा 370 को हटाने के बाद घाटी के हालात तेजी से बदले। के बाद से देश में आतंकी घटनाओं का ग्राफ गिरा है।

18 सितंबर 2016 में जम्मू-कश्मीर स्थित उरी भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकवादियों ने सुबह सवेरे घात लगाकर हमला किया। हमले में हमारे कई जवान शहीद हुए। इस हमले के महज 10 दिन बाद भारतीय जवानों ने 28-29 सितंबर की दरम्यानी रात को पीओके में सीमा के भीतर तीन किलोमीटर अंदर तक घुसकर आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर डाला। पाकिस्तान को सबक सिखाने का इससे बेहतर तरीका नहीं हो सकता था। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 की शाम करीब तीन बजे सीआरपीएफ के एक काफिले को श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले का बदला लेने के लिए भारत ने एयर स्ट्राइक का विकल्प चुना था। 

इन दो बड़ी घटनाओं के बाद मोदी शासनकाल में पहलगाम घटना सामने आई है। जिसका प्रत्युत्तर मोदी सरकार ऑपरेशन सिंदूर के तौर पर दिया है। चूंकि आतंकियों ने धर्म पूछकर हिंदू पुरुषों की हत्या उनकी पत्नी और परिवार के सामने की। आतंकियों ने हिंदू महिलाओं का सुहाग उजाड़ कर उनके माथे के गौरव सुहाग चिह्न सिंदूर को पोंछने का कुकृत्य किया था। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने नापाक पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए हुए ऑपरेशन का नामकरण सिंदूर रखकर दुनिया को यह संदेश दिया है कि निर्दोष नागरिकों को मारकर सुहाग उजाड़ने और सिंदूर मिटाने वाले ज्यादा दिन सांस नहीं ले पाएंगे।

पहलगाम आतंकी घटना में हुई नृंशसता के बारे में भारत की बेटियों ने रो—रोकर पूरी दुनिया को बताया था। पाकिस्तान के आतंकी ठिकाने उजाड़ने के बाद भारतीय सैनिकों की वीरता की कहानी  भी प्रेस वार्ता के माध्यम से भारत की दो बेटियों कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ही पूरी दुनिया के सामने रखी।  इस ऑपरेशन के जरिये भारत ने फिर स्पष्ट किया है कि अब कोई आतंकी हमला बिना जवाब के नहीं जाएगा। यह कार्रवाई सिर्फ एक सैन्य उपलब्धि नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की सामूहिक इच्छा का परिणाम है। प्रधानमंत्री के शब्दों में—“अब आतंकियों की बची-खुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है।”

डॉ. आशीष वशिष्ठ

(राजनीतिक विश्लेषक और स्तंभकार)

(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)
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