हम बोलेगा तो बोलोगे के... (राजनीतिक व्यंग्य)

विजय कुमार । Feb 27 2017 3:55PM

अब न किशोर कुमार हैं न प्राण; लेकिन ये गीत पिछले कुछ दिनों से फिर सुनाई देने लगा है। यद्यपि इस बार ये संसद के बाहर बज रहा है और इसे बजाने वाले हैं श्री नरेन्द्र मोदी और राहुल बाबा।

छात्र जीवन में एक फिल्म देखी थी ‘कसौटी’। फिल्म में एक हास्य गीत ‘‘हम बोलेगा तो बोलोगे के बोलता है..’’ गोरखा चौकीदार बने प्राण के ऊपर फिल्माया गया था। किशोर कुमार के मधुर स्वर से सजा यह गीत उन दिनों खूब लोकप्रिय हुआ था।

अब न किशोर कुमार हैं न प्राण; लेकिन ये गीत पिछले कुछ दिनों से फिर सुनाई देने लगा है। यद्यपि इस बार ये संसद के बाहर बज रहा है और इसे बजाने वाले हैं श्री नरेन्द्र मोदी और राहुल बाबा। नरेन्द्र मोदी कह रहे हैं कि उन्हें संसद में नहीं बोलने दिया जा रहा, इसलिए वे बाहर बोल रहे हैं। दूसरी ओर राहुल बाबा कह रहे हैं कि उन्हें भी संसद में नहीं बोलने दिया जा रहा, इसलिए वे बाहर भी चुप हैं।

कल पार्क में शर्मा जी मिले, तो बहुत नाराज थे। उन्हें ये सब मोदी का ही षड्यंत्र लगता है।

- लेकिन शर्मा जी, जब कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुलाम नबी आजाद जैसे नेता संसद में बोल रहे हैं, तो राहुल बाबा को बोलने के लिए किसने रोका था ? 

- तुम समझते नहीं वर्मा, बाकी के बोलने और राहुल बाबा के बोलने में बहुत अंतर है। वे पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं। उनके बोलने से भूकंप आ जाता।

- फिर तो उनका न बोलना अच्छा ही रहा। यदि भूकंप के कारण संसद भवन गिर जाता, तो सैकड़ों नेता मारे जाते; लेकिन इससे पहले भी उनके बोलने से कहीं भूकंप आया है क्या ?

- बेकार की बात मत करो वर्मा। ये एक कहावत है।

- पर इस कहावत में भी काफी सच्चाई है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में राहुल बाबा जहां भी गये, वहां भूकंप आया और कांग्रेस पार्टी साफ होती चली गयी। लोकसभा चुनाव से शुरू हुआ ये ‘सफाई अभियान’ अभी तक चल रहा है। महाराष्ट्र, गुजरात और अब चंडीगढ़ के स्थानीय चुनावों में जो भूकंप आया है, उससे बाकी का तो पता नहीं, पर कांग्रेस भवन की दीवारें जरूर हिल गयी हैं। 

- वर्मा जी, राहुल बाबा के पास नरेन्द्र मोदी के व्यक्तिगत भ्रष्टाचार के प्रमाण थे। उन्हें वे संसद में रखना चाहते थे।

- लेकिन अब तो संसद का सत्र समाप्त हो गया। अब उन्हें वे किसी जनसभा या प्रेस वालों के सामने रख सकते हैं।

- लेकिन उनका महत्व तभी था, जब वे संसद में रखे जाते।

- जी नहीं। संसद में झूठ बोलने पर भी सांसद पर मुकदमा नहीं चलता; लेकिन यदि बाहर बोलें, तो फिर जेल, बेल और कोर्ट के फेर में पड़ना होगा। संघ पर झूठा आरोप लगाकर वे फंसे ही हुए हैं। और सुना ये भी है कि उनके ‘जीजाश्री’ को सपने में जेल की सलाखें दिखायी देने लगी हैं।

- ये सब बेकार की बात है। सच तो ये है कि मोदी का ग्राफ बहुत तेजी से गिर रहा है।

- ग्राफ कहां जा रहा है, ये तो चुनावों के परिणाम बता रहे हैं; लेकिन शर्मा जी, आप चाहे जो कहें, पर मोदी के बारे में दो मुद्दों पर पूरा देश एकमत है। पहला तो ये कि वो बहुत दिलेर नेता हैं। जो कहते हैं, वो करके दिखाते हैं। दूसरी बात ये कि वो और चाहे जो हों, पर भ्रष्टाचारी नहीं हो सकते।

- अच्छा?

- जी हां। ऐसे ही राहुल बाबा के बारे में भी दो मुद्दों पर पूरा देश एकमत है। पहला ये कि राहुल बाबा बड़े हो जाएं या बूढ़े; पर रहेंगे पप्पू ही। दीवार पर लिखी इबारत, जो सारे देश को दिखायी दे रही है, वह उनके पढ़ने में नहीं आ रही। और दूसरा ये कि भले ही लंदन से धुलवा लें या पेरिस से, भ्रष्टाचार के मामले में उनकी चादर दागदार ही रहेगी। क्योंकि एक तो वो जन्मजात कांग्रेसी, दूसरा गांधी-नेहरू परिवार के फ्यूज बल्ब। यानि करेला और ऊपर से नीम चढ़ा। बोफोर्स में कमीशन, तेल और कोयले में दलाली, स्पैक्ट्रम की नीलामी और गुलाममंडल खेलों में हुए फर्जीवाड़े के बाद अब अगस्ता हैलिकॉप्टर के पंखों में भी उनके कपड़े फंस रहे हैं। कहां तक बचेंगे तुम्हारे बाबा और उनकी मम्मीश्री?

यह सुनते ही शर्मा जी भड़क गये। हाथ की छड़ी हिलाते हुए बोले, ‘‘वर्मा, तुम हद से आगे निकल रहे हो। अब आगे जरो भी बोले तो..’’

शर्मा जी मेरे सुख-दुख के पुराने साथी हैं। इसलिए मैंने उनसे बहस करना ठीक नहीं समझा। पार्क से बाहर निकला, तो गोरखा चौकीदार के मोबाइल पर वही पुराना गीत बज रहा था - हम बोलेगा तो बोलोगे के बोलता है..।

- विजय कुमार

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