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कैलाश को मिल सकता है भाजपा अध्यक्ष पद, बंगाल में दिलाई है पार्टी को बंपर जीत
- दिनेश शुक्ल
- जून 6, 2019 13:19
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अंतिम फैसला अमित शाह और नरेन्द्र मोदी को ही करना है बावजूद इसके कैलाश और उनके खास कार्यकर्ताओं को इस बात की उम्मीद जरूर है कि उन्हें पश्चिम बंगाल में मिली सफलता का तोहफा अध्यक्ष पद के रूप में अवश्य ही मिलेगा।
लोकसभा चुनाव के नतीजों ने जहां पूरे देश को चौंका दिया वहीं अमित शाह के केंद्रीय गृह मंत्री बनने के बाद भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए कवायद शुरू हो गई है। इस दौड़ में जहाँ भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य जेपी नड्डा का नाम चल रहा है तो वहीं पश्चिम बंगाल फतह करने वाले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी प्रमुख रूप से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल दिख रहे हैं। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाले इंदौर के भाई के रूप के पहचान रखने वाले कैलाश विजयवर्गीय अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किचिन कैबिनेट के सदस्य माने जाते हैं।
हालांकि अंतिम फैसला अमित शाह और नरेन्द्र मोदी को ही करना है बावजूद इसके कैलाश और उनके खास कार्यकर्ताओं को इस बात की उम्मीद जरूर है कि उन्हें पश्चिम बंगाल में मिली सफलता का तोहफा अध्यक्ष पद के रूप में अवश्य ही मिलेगा।
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कैलाश विजयवर्गीय वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कार्यरत हैं। इंदौर में भारतीय जनता पार्टी से अपना राजनितिक कैरियर प्रारंभ कर वे इंदौर नगर के महापौर बने। बिना कोई चुनाव हारे वे लगातार छ: बार विधानसभा के सदस्य चुने गये और वर्तमान में महू विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। भाजपा में राष्ट्रीय महासचिव बनने से पहले वे बारह वर्ष तक मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। यही नहीं मध्य प्रदेश में उन्हें शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी माना जाता रहा है।
वर्ष 2014 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए विजयवर्गीय बीजेपी के चुनाव प्रभारी नियुक्त हुए थे, उसके बाद ही विधानसभा चुनाव में वहां बीजेपी स्पष्ट बहुमत में आई। इस जीत से तय लग रहा था कि निकट भविष्य में केन्द्रीय स्तर पर उन्हें महत्वपूर्ण भूमिका मिल सकती है। जून 2015 में यह सच हो गया जब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया। हरियाणा में उनके चमकीले प्रदर्शन के बाद जैसी उम्मीद की जा रही थी, पश्चिम बंगाल में वे पार्टी के नए प्रभारी बनाये गए और 18 सीटें जीतने में सफल रहे। जुझारू नेता के तौर पर उन्होंने ममता बनर्जी की सरकार से लोहा लेते हुए भाजपा को पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 2 से 18 सीटों तक पहुँचाया।
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मौजूदा अध्यक्ष अमित शाह लोकसभा चुनाव जीतकर मोदी सरकार में केन्द्रीय गृह मंत्री बनाए गए हैं और उनकी जगह अब नये अध्यक्ष की तलाश की जा रही है। अध्यक्ष की दौड़ में कैलाश विजयवर्गीय के अलावा पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं संसदीय बोर्ड के सचिव जेपी नड्डा और पार्टी महासचिव भूपेन्द्र यादव भी शामिल हैं। वहीं जिस तरह से कैलाश विजयवर्गीय ने लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के किले को ध्वस्त किया है उससे उनका कद अवश्य ही बीजेपी में बढ़ा है। जिसके चलते उन्हें व उनके खास सिपहसालारों को भी उम्मीद बंधी हुई है कि कैलाश को अध्यक्ष पद से नवाज कर पश्चिम बंगाल में मिली सफलता का तोहफा दिया जायेगा।
मुश्किल समय में अच्छा बजट लेकर आई है राजस्थान की गहलोत सरकार
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
- फरवरी 27, 2021 14:58
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निवेशकों को आकर्षित कर धरातल पर उद्यमों की स्थापना बड़ी बात है। हालांकि मुख्यमंत्री गहलोत ने बजट पेश करते हुए राजस्थान फाउण्डेशन के माध्यम से देश-विदेश में रोड़ शो आयोजित करने की बात कही है वहीं राजस्थान इंवेस्टर्स समिट के आयोजन का प्रस्ताव किया है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सबसे लंबे बजट भाषण का रिकॉर्ड बनाते हुए कोरोना प्रभावित उद्योग जगत को बड़ी राहत देने का प्रयास किया है। कोरोना के कारण प्रभावित प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का ठोस विजन प्रस्तुत करते हुए उन्होंने बजट प्रस्तावों में एक और नई एमएसएमई पॉलिसी लाने की बात की है तो दूसरी और प्रदेश में नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के प्रस्ताव किए हैं। राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना 2019 का दायरा बढ़ाते हुए हेल्थ केयर को ट्रस्ट क्षेत्र के रूप में शामिल करने के साथ ही अनुसूचित जाति, जनजाति उद्यमियों को आगे लाने के लिए डॉ. बीआर अंबेडकर एससी-एसटी उद्यमी प्रोत्साहन योजना लागू करते हुए रिप्स, 2019 में लाभ देने के प्रावधान किए हैं। इसके अलावा आदिवासी जिलों के औद्योगिक विकास के लिए रिप्स योजना का दायरा बढ़ाया गया है तो पुरानी रिप्स योजना की अवधि बढ़ाकर लाभार्थियों को राहत दी है। भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र का दायरा बढ़ाते खुशकेड़ा, भिवाड़ी, नीमराणा और टपूकड़ा को शामिल करते हुए ग्रेटर भिवाड़ी इण्डस्ट्रियल टाउनशिप विकसित करने के लिए एक हजार करोड़ का प्रावधान किया है। इसी तरह से मारवाड़ इण्डस्ट्रियल कलस्टर बनाना प्रस्तावित है। युवाओं को ऋण, बुनकरों को 3 लाख तक का ब्याज मुक्त ऋण, मेगा व मिनी फूड पार्कों को बनाने, स्टार्टअप्स को सहयोग देने के प्रावधान कर बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने की दिशा दी है।
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दरअसल औद्योगिक निवेश की दृष्टि से राजस्थान की ओर आज निवेशक रुख कर रहे हैं। पिछले सालों में राजस्थान में निवेश भी बढ़ा है और राज्य सरकार द्वारा निरीक्षण राज खत्म कर एमएसएमई एक्ट के सरलीकरण और वन स्टॉप शॉप जैसी व्यवस्थाएं निश्चित रूप से निवेशकों को आकर्षित करने में सहायक सिद्ध हो रही हैं। इसके साथ ही राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना में विशेष रियायतें और अब उसका दायरा बढ़ाकर उद्यमियों को आकर्षित करने से नए उद्यम लगेंगे। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार एमएसएमई उद्योग ही उपलब्ध कराते हैं। राज्य में सरकार आने के बाद जिस तरह से औद्योगिक निवेश का वातावरण का प्रयास किया गया है उसके परिणाम सामने आने लगे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि निरीक्षणों व अनुमतियों से तीन साल से मुक्त करने का सकारात्मक असर रहा है। उद्यमी एमएसएमई पोर्टल पर आगे आ भी रहे हैं।
निवेशकों को आकर्षित कर धरातल पर उद्यमों की स्थापना बड़ी बात है। हालांकि मुख्यमंत्री गहलोत ने बजट पेश करते हुए राजस्थान फाउण्डेशन के माध्यम से देश-विदेश में रोड़ शो आयोजित करने की बात कही है वहीं राजस्थान इंवेस्टर्स समिट के आयोजन का प्रस्ताव किया है। निश्चित रूप से यह अच्छी सोच है। अब देखना यह होगा की सरकारी मशीनरी इन आयोजनों को कहां तक ले जाती है और नए निवेशकों को राजस्थान की यूएसपी से प्रभावित करने में कितनी सफल होती है, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है। समिट व रोड शो के आयोजन में सतर्कता भी बरतनी होगी ताकि पूर्व के आयोजनों की तरह अपने उद्देश्यों से यह आयोजन भटक नहीं जाए।
आशा की जानी चाहिए कि लंबे समय से धरातल पर उतरने से तरस रही दिल्ली मुबई इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना एक हजार करोड़ रु. से विकसित होने वाला ग्रेटर भिवाड़ी इण्डस्ट्रियल टाउनशिप और 500 करोड़ रु. की लागत से विकसित होने वाला मारवाड़ इण्डस्ट्रियल कलस्टर धरातल पर आ सकेगी। देखा जाए तो डीएमआईसी परियोजना औद्योगिक विकास के लिए गेम चेंजर परियोजना है और इसके क्रियान्वयन से औद्योगिक विकास के साथ ही रोजगार के अवसरों का अंबार ही लग जाएगा। इसी तरह से एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडियंट्स से जुड़े विनिर्माण क्षेत्र को रिप्स के दायरे में लाते हुए अतिरिक्त परिलाभ देने से फार्मास्यूटिकल सेक्टर में निवेश बढ़ेगा। राज्य में उपखण्ड स्तर पर 64 औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की घोषणा से समग्र औद्योगिक विकास संभव हो सकेगा अन्यथा कुछ क्षेत्र विशेष तक ही उद्यमों के विकास से संपूर्ण राजस्थान का संतुलित औद्योगिक विकास नहीं हो पाता है। जयपुर को फिनटेक सिटी बनाने की अच्छी पहल होगी।
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जयपुर के राजस्थान हाट को दिल्ली हाट की तर्ज पर विकसित करने का प्रस्ताव आज समय की मांग व आवश्यकता है। इसका कारण भी है। जयपुर पर्यटन की दृष्टि से प्रमुख डेस्टिनेशन होने से दस्तकारों, बुनकरों, हस्तशिल्पियों को नई पहचान मिल सकेगी। जहां तक मुख्यमंत्री लघु उद्यम प्रोत्साहन योजना को दस साल तक लागू रखने, 50 करोड़ के अनुदान का प्रावधान, स्टार्टअप्स को 5 लाख तक की सीडमनी, उनको प्राथमिकता से कार्य देने, स्ट्रीट वेंडर्स के लिए प्रावधान किए गए हैं।
देखा जाए तो पिछला लगभग एक साल कोरोना से प्रभावित रहा है। लंबे लॉकडाउन के दौर के कारण औद्योगिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित रही हैं। उद्योगों के सामने दिक्कतें आई हैं तो रोजगार के अवसर कम हुए हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस तरह के बजट प्रस्ताव रखे हैं उनसे निश्चित रूप से निवेश को बढ़ावा मिलेगा वहीं फार्मास्यूटिकल और बायोफार्मा सेक्टर में नए उद्योग लग सकेंगे। सबसे बड़ी बात यह कि डीएमआईसी परियोजना को राजस्थान में अमली जामा पहनाने के लिए कदम बढ़ाते हुए ग्रेटर भिवाड़ी टाउनशिप और मारवाड़ कलस्टर धरातल पर आ जाता है तो प्रदेश का औद्योगिक स्वरूप ही बदल जाएगा। स्वयं मुख्यमंत्री गहलोत ग्रेटर भिवाड़ी इण्डस्ट्रियल टाउनशिप को औद्योगिक विकास की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होना मान रहे हैं।
मुख्यमंत्री गहलोत ने समन्वित, संतुलित और समग्र औद्योगिक विकास के लिए नए निवेश और युवाओं के लिए रोजगार दोनों से जुड़े अधिकांश बिन्दुओं को अपने बजट प्रस्तावों में प्रभावी तरीके से रखा है। अब इन प्रस्तावों को अमली जामा महनाने की जिम्मेदारी सरकारी मशीनरी पर आ जाती है। यदि समयबद्ध कार्य योजना बनाकर क्रियान्विति के प्रयास किए जाते हैं तो प्रदेश के औद्योगिक विकास को दिशा मिल सकेगी। होना तो यह चाहिए कि नए वित्तीय वर्ष के शुरू होने से पहले आवश्यक सभी औपचारिकताएं पूरी कर एक अप्रैल से अमली जामा पहनाने का काम आरंभ हो जाता है तो यह घोषणा मात्र ना रह कर वास्तविकता में धरातल पर आ सकेगी।
-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक
- फरवरी 26, 2021 14:49
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हो सकता है कि ओली लालच और भय का इस्तेमाल करें और अपनी सरकार बचा ले जाएं। वैसे उन्होंने पिछले दो माह में जितनी भी नई नियुक्तियां की हैं, अदालत ने उन्हें भी रद्द कर दिया है। अदालत के इस फैसले से ओली की छवि पर काफी बुरा असर पड़ेगा।
नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला दे दिया है। उसने संसद को बहाल कर दिया है। दो माह पहले 20 दिसंबर को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नेपाली संसद के निम्न सदन को भंग कर दिया था और अप्रैल 2021 में नए चुनावों की घोषणा कर दी थी। ऐसा उन्होंने सिर्फ एक कारण से किया था। सत्तारुढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में उनके खिलाफ बगावत फूट पड़ी थी। पार्टी के सह-अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ ने मांग की कि पार्टी के सत्तारुढ़ होते समय 2017 में जो समझौता हुआ था, उसे लागू किया जाए। समझौता यह था कि ढाई साल ओली राज करेंगे और ढाई साल प्रचंड ! लेकिन वे सत्ता छोड़ने को तैयार नहीं थे। पार्टी की कार्यकारिणी में भी उनका बहुमत नहीं था। इसीलिए उन्होंने राष्ट्रपति विद्या देवी से संसद भंग करवा दी।
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नेपाली संविधान में इस तरह संसद भंग करवाने का कोई प्रावधान नहीं है। ओली ने अपनी राष्ट्रवादी छवि चमकाने के लिए कई पैंतरे अपनाए। उन्होंने लिपुलेख-विवाद को लेकर भारत-विरोधी अभियान चला दिया। नेपाली संसद में हिंदी में बोलने और धोती-कुर्त्ता पहन कर आने पर रोक लगवा दी। (लगभग 30 साल पहले लोकसभा-अध्यक्ष दमननाथ ढुंगाना और गजेंद्र बाबू से कहकर इसकी अनुमति मैंने दिलवाई थी।) ओली ने नेपाल का नया नक्शा भी संसद से पास करवा लिया, जिसमें भारतीय क्षेत्रों को नेपाल में दिखा दिया गया था लेकिन अपनी राष्ट्रवादी छवि मजबूत बनाने के बाद ओली ने भारत की खुशामद भी शुरू कर दी। भारतीय विदेश सचिव और सेनापति का उन्होंने काठमांडो में स्वागत भी किया और चीन की महिला राजदूत हाउ यांकी से कुछ दूरी भी बनाई।
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उधर प्रचंड ने भी, जो चीनभक्त समझे जाते हैं, भारतप्रेमी बयान दिए। इसके बावजूद ओली ने यही सोचकर संसद भंग कर दी थी कि अविश्वास प्रस्ताव में हार कर चुनाव लड़ने की बजाय संसद भंग कर देना बेहतर है लेकिन मैंने उस समय भी लिखा था कि सर्वोच्च न्यायालय ओली के इस कदम को असंवैधानिक घोषित कर सकता है। अब उसने ओली से कहा है कि अगले 13 दिनों में वे संसद का सत्र बुलाएं। जाहिर है कि तब अविश्वास प्रस्ताव फिर से आएगा। हो सकता है कि ओली लालच और भय का इस्तेमाल करें और अपनी सरकार बचा ले जाएं। वैसे उन्होंने पिछले दो माह में जितनी भी नई नियुक्तियां की हैं, अदालत ने उन्हें भी रद्द कर दिया है। अदालत के इस फैसले से ओली की छवि पर काफी बुरा असर पड़ेगा। फिर भी यदि उनकी सरकार बच गई तो भी उसका चलना काफी मुश्किल होगा। भारत के लिए बेहतर यही होगा कि नेपाल के इस आंतरिक दंगल का वह दूरदर्शक बना रहे।
-डॉ. वेदप्रताप वैदिक
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- अजय कुमार
- फरवरी 25, 2021 11:33
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प्रियंका वाड्रा इधर कुछ दिनों से मिशन-2022 को लेकर प्रदेश में काफी सक्रिय नजर आ रही थीं, लेकिन अब राहुल के बयान के चलते प्रियंका बैकफुट पर आ गई हैं। कांग्रेसी भी नहीं समझ पा रहे हैं कि वह राहुल गांधी के नासमझी वाले बयान का कैसे बचाव करें।
उत्तर भारत के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश ने जिस नेहरू-गांधी परिवार को ‘पाला-पोसा' और देश की सियासत में उसे सत्ता की सीढ़ियां तक चढ़ाया। यूपी के बल पर ही कांग्रेस ने दशकों तक देश पर राज किया। इतना ही नहीं यूपी की बदौलत ही इस खानदान से देश को तीन-तीन प्रधानमंत्री मिले। नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य ऐसा नहीं होगा जो उत्तर प्रदेश से चुनाव जीत कर सांसद नहीं बना हो, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को अमेठी की जनता ने क्या नकारा, राहुल बाबा उसी प्रदेश की जनता की समझ पर सवाल खड़े करने लगे हैं। अपने नये संसदीय क्षेत्र वायनाड में राहुल गांधी ने उत्तर भारतीयों के लिए ऐसा कुछ कह दिया कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने दिल्ली से यूपी-बिहार तक में उनके खिलाफ ‘तलवारें’ खींच लीं। निश्चित ही राहुल के विवादित बयान से उनके मिशन 2022 को बड़ा झटका लग सकता है। राहुल गांधी ने यूपी चुनावों में कांग्रेस की वापसी के लिए प्रियंका वाड्रा को राज्य का प्रभारी बनाया था। प्रियंका वाड्रा इधर कुछ दिनों से मिशन-2022 को लेकर प्रदेश में काफी सक्रिय नजर आ रही थीं, लेकिन अब राहुल के बयान के चलते प्रियंका बैकफुट पर आ गई हैं। कांग्रेसी भी नहीं समझ पा रहे हैं कि वह राहुल गांधी के नासमझी वाले बयान का कैसे बचाव करें।
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दरअसल, राहुल को इस बात का अफसोस है कि जिस उत्तर प्रदेश से वह 15 वर्षों तक सांसद रहे, वहां लोग मुद्दों की सतही राजनीति करते हैं। केरल में अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड के दौरे पर गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तिरुवनंतपुरम में एक सभा में कहा, ''पहले के 15 साल मैं उत्तर भारत से सांसद था। मुझे वहां दूसरी तरह की राजनीति का सामना करना पड़ता था। यहां के लोग मुद्दों की राजनीति करते हैं और सिर्फ सतही नहीं, बल्कि मुद्दों की तह तक जाते हैं। राहुल का यह बयान सुर्खियों में आते ही भारतीय जनता पार्टी हमलावर हो गई। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड़डा ने ट्वीट किया, ‘कुछ ही दिन पहले वह (गांधी) पूर्वोत्तर में थे, देश के पश्चिमी भाग के खिलाफ जहर उगल रहे थे। आज दक्षिण में वह उत्तर के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। जेपी नड्डा ने कहा कि बांटो और राज करो की राजनीति अब नहीं चलने वाली है, इसी लिए राहुल गांधी को लोगों ने खारिज कर दिया है।
उधर, राहुल गांधी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निशाना साधते हुए ट्वीट किया, 'राहुल जी, सनातन आस्था की तपस्थली केरल से लेकर प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली उत्तर प्रदेश तक सभी लोग आपको समझ चुके हैं। विभाजकारी राजनीति आपका राजनीति संस्कार है। हम उत्तर या दक्षिण में नहीं, पूरे भारत को माता के रूप में देखते हैं। एक अन्य ट्वीट में सीएम योगी ने राहुल को संबोधित करते हुए लिखा- श्रद्धेय अटल जी ने कहा था कि भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्र पुरूष है। कृपया आप इसे अपनी ओछी राजनीति की पूर्ति के लिए ‘क्षेत्रवाद‘ की तलवार से काटने का कुत्सित प्रयास न करें। भारत एक था एक है, एक ही रहेगा।
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अमेठी में राहुल गांधी को हार का स्वाद चखाने वाली भाजपा सांसद और केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी राहुल गांधी के बयान से काफी आहत हैं। उन्होंने राहुल पर तंज कसते हुए उन्हें एहसान फरामोश बताया। स्मृति ईरानी ने कहा कि राहुल जिस उत्तर भारत पर सवाल खड़े कर रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि सोनिया गांधी भी यहां से ही सांसद हैं। स्मृति ने कहा कि अगर उत्तर भारत के लोगों के प्रति हीन भावना है, तो ये उत्तर भारत में क्यों राजनीति कर रही हैं। प्रियंका वाड्रा ने अभी तक राहुल के बयान का खंडन क्यों नहीं किया। अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी ने कहा कि गांधी परिवार जब फिर से अमेठी लौटेगा, तो उन्हें इस बात का जवाब देना होगा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जिस उत्तर भारत का अपमान कर रहे हैं, वो भूल रहे हैं कि उसी इलाके से उनकी माता सोनिया गांधी भी सांसद हैं, ऐसे में राहुल गांधी ने जो बात कही, वो माफ करने लायक ही नहीं है। स्मृति ईरानी ने राहुल पर निशाना साधते हुए कहा कि यह अमेठी की जनता का अपमान है। अमेठी की जनता मेरा परिवार है और मेरे परिवार का अपमान करके माफी से काम नहीं चलता। उन्होंने कहा कि जब गांधी परिवार अमेठी आएगा, तब उन्हें अमेठी की जनता अपने अपमान का करारा जवाब देगी। उन्होंने कि राहुल गांधी को अमेठी की जनता ने नकार दिया तो वे वायनाड पहुंचे और वहां पहुंच कर अमेठी की जनता का अपमान कर रहे हैं। बता दें कि ईरानी ने पिछले आम चुनाव में गांधी को उनके पारिवारिक गढ़ माने जाने वाली अमेठी में हराया था, लेकिन वह केरल में वायनाड से जीत गए थे।
राहुल गांधी ने उत्तर भारतीयों को लेकर ऐसे समय में बयान दिया है जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में एक वर्ष का समय शेष बचा है। राहुल के इस बयान को भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर ली है। बीजेपी ही नहीं राहुल के बयान से यूपी में कांग्रेस की वापसी के लिए मेहनत कर रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं में भी काफी नाराजगी है। कांग्रेसी खुलकर कह रहे हैं कि राहुल के इस तरह के बयानों से कांग्रेस के मिशन-2022 को करारा झटका लग सकता है।
-अजय कुमार
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