दुनियाभर में फिर से रूप बदल कर पाँव पसार रहा है कोविड-19, भारत को सतर्क रहना जरूरी

Covid variant

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान- नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) ने पुष्टि की कि दक्षिण अफ्रीका में बी.1.1.529 का पता चला है और जीनोम अनुक्रमण के बाद बी.1.1.529 के 22 मामलों की पुष्टि हुयी है।

भारत में भले कोरोना की चाल कुछ धीमी पड़ी हो लेकिन यह खत्म नहीं हुआ है यूरोपीय देशों में तो इसका कहर जारी है और जिस तरह दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के नये वैरिएंट का पता चला है उसको देखते हुए भारत में भी चिंता व्यक्त की जा रही है। केंद्र ने तो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग और बोत्सवाना से आने वाले या इन देशों के रास्ते आने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की कड़ी स्क्रीनिंग और जांच की जाए क्योंकि इन देशों में कोविड-19 के गंभीर जनस्वास्थ्य प्रभावों वाले नये स्वरूप सामने आने की सूचना है।

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दक्षिण अफ्रीका की स्थिति

दक्षिण अफ्रीका की बात करें तो वहां कोरोना वायरस के एक नए स्वरूप का पता लगा है जिससे अधिक तेजी से संक्रमण फैलने की आशंका है और अधिकारियों ने इससे जुड़े 22 मामलों की पुष्टि की है। इंपीरियल कॉलेज लंदन के विषाणु विज्ञानी डॉ. टॉम पीकॉक ने इस सप्ताह की शुरुआत में अपने ट्विटर अकाउंट पर वायरस के नए स्वरूप (बी.1.1.529) का विवरण पोस्ट किया था। उसके बाद वैज्ञानिक इस स्वरूप पर गौर कर रहे हैं। हालांकि ब्रिटेन में इसे चिंता पैदा करने वाले स्वरूप की श्रेणी में अभी औपचारिक रूप से वर्गीकृत नहीं किया गया है। दुनिया भर के वैज्ञानिक तेजी से फैलने के संकेतों के लिए नए स्वरूप पर अब गौर करेंगे। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान- नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) ने पुष्टि की कि दक्षिण अफ्रीका में बी.1.1.529 का पता चला है और जीनोम अनुक्रमण के बाद बी.1.1.529 के 22 मामलों की पुष्टि हुयी है। एनआईसीडी के कार्यवाहक कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर एड्रियन प्यूरेन ने कहा, "इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि दक्षिण अफ्रीका में एक नए स्वरूप का पता चला है... हालांकि आंकड़े अभी सीमित हैं, हमारे विशेषज्ञ नए स्वरूप को समझने के लिए सभी स्थापित निगरानी प्रणालियों के साथ लगातार काम कर रहे हैं।’’

डब्ल्यूएचओ का क्या कहना है?

दूसरी ओर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि पिछले सप्ताह यूरोप में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई और दुनिया का यह एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां कोविड-19 के मामले अक्टूबर के मध्य से लगातार बढ़ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने महामारी को लेकर अपने साप्ताहिक मूल्यांकन में कहा कि वैश्विक स्तर पर संक्रमण के मामलों और मौतों में लगभग छह प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले सप्ताह संक्रमण के लगभग 36 लाख मामले आए तथा 51,000 लोगों की मौतें हुईं। डब्ल्यूएचओ के यूरोप के निदेशक डॉ. हैंस क्लूज ने आगाह किया है कि जल्द एहतियाती कदम नहीं उठाए गए तो महाद्वीप में वसंत के मौसम तक 700,000 और मौतें हो सकती हैं। क्लूज ने कहा, ‘‘यूरोपीय क्षेत्र कोविड-19 महामारी की मजबूत गिरफ्त में बना हुआ है।’’ उन्होंने देशों से टीकाकरण बढ़ाने और ‘‘लॉकडाउन के अंतिम उपाय’’ से बचने के लिए मास्क लगाने तथा सामाजिक दूरी जैसे अन्य उपाय का पालन करने का आह्वान किया।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि आसानी से फैलने वाला डेल्टा स्वरूप वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस का प्रमुख स्वरूप बना हुआ है। पिछले सप्ताह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटाबेस पर अपलोड 840,000 से अधिक जीनोम अनुक्रमण मामलों में से करीब 99.8 प्रतिशत मामले डेल्टा स्वरूप के थे। म्यू, लैम्ब्डा और गामा सहित कोरोना वायरस के अन्य स्वरूपों का योगदान एक प्रतिशत से भी कम है। हालांकि, लातिन अमेरिका में नमूनों के जीनोम अनुक्रमण में इन स्वरूपों का बड़ा अनुपात है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूरोप कार्यालय ने कहा है कि पूर्वानुमानों के मुताबिक इस महाद्वीप के 53 देशों में अगले वसंत तक कोरोना वायरस महामारी से सात लाख और लोगों की मृत्यु हो सकती है, जिससे संक्रमण से मौत के कुल मामले 20 लाख से अधिक हो सकते हैं।

बच्चों के लिए टीके को मंजूरी

इस बीच एक बड़ी खबर आई है कि यूरोपीय संघ (ईयू) के औषधि नियामक ने पांच से 11 साल के बच्चों के लिए फाइजर कंपनी के कोविड-19 रोधी टीके को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही यूरोप में कोरोना वायरस के नए मामलों में वृद्धि के बीच लाखों स्कूली बच्चों के टीकाकरण का रास्ता साफ हो गया। हम आपको बता दें कि यह पहला मौका है जब यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने बच्चों के टीकाकरण के लिए किसी कोविड टीके को मंजूरी दी है। एजेंसी ने कहा कि उसने पांच से 11 वर्ष की आयु के बच्चों के टीकाकरण के लिए कोविड-19 टीके ‘कॉमिरनेटी’ को मंजूरी दी है।

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इटली का हाल

वहीं अगर इटली की बात करें तो वहां की सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने और अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए उन लोगों पर कुछ पाबंदियां लगाने का फैसला किया है, जिन्होंने अभी तक कोविड-19 रोधी टीके नहीं लगवाए हैं। नए दिशानिर्देशों के अनुसार, छह दिसंबर से रेस्तरां में भोजन करने, सिनेमा घर जाने या किसी खेल प्रतियोगिता देखने जाने के लिए लोगों को कोविड-19 से हाल ही में उबरने का या टीकाकरण का प्रमाणपत्र दिखाना होगा। इटली में नए नियमों के तहत कानून प्रवर्तन, सैन्य तथा सभी स्कूली कर्मचारियों के लिए टीकाकरण अनिवार्य कर दिया गया है। इससे पहले टीकाकरण केवल स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए अनिवार्य था।

जर्मनी में कोरोना का कहर

बात अगर जर्मनी की करें तो इस देश में कोविड-19 महामारी की शुरुआत से अब तक एक लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस संक्रमण से जान गंवा चुके हैं तथा यूरोप में रूस, ब्रिटेन, इटली और फ्रांस के बाद इस सूची में शामिल होने वाला वह पांचवां देश बन गया है। जर्मनी की रोग नियंत्रण एजेंसी ने बताया कि पिछले 24 घंटे में संक्रमण से 351 लोगों की मौत के बाद देश में महामारी से जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 100,119 हो गयी है। जर्मनी से पहले यूरोप में रूस, ब्रिटेन, इटली और फ्रांस में कोविड-19 से एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। जर्मनी के अस्पतालों ने कहा है कि सघन देखभाल कक्ष यानि आईसीयू में अब कोई बिस्तर खाली नहीं हैं और देश के दक्षिण तथा पूर्व के कुछ स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों ने मरीजों को अन्यत्र स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है।

फ्रांस लॉकडाउन नहीं बूस्टर डोज लगायेगा

वहीं फ्रांस ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए लॉकडाउन या कर्फ्यू लगाने के बजाय वयस्क आबादी को कोविड रोधी टीके की बूस्टर खुराक लगाने का फैसला किया है। देश में पिछले कुछ दिनों से संक्रामक रोग के मामले बढ़ रहे है और रोज़ाना 30 हजार से ज्यादा कोविड-19 पीड़ित लोगों की पुष्टि हो रही है। फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री ओलिवियर वेरन ने एक प्रेस वार्ता में बताया कि टीके की दूसरी और तीसरे खुराक के बीच की अवधि को छह महीने से कम करके पांच महीने कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि फ्रांस के पास बूस्टर खुराक लगाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने के वास्ते टीकों का पर्याप्त स्टॉक है। वेरन ने यह भी कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर मास्क लगाने के नियम को सख्ती से लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि टीके की दूसरी खुराक लेने के सात माह के अंदर तीसरी खुराक नहीं लेने पर देश का कोविड पास अमान्य हो जाएगा।

स्वीडन में भी मामले बढ़े

वहीं स्वीडन ने 18-65 साल के आयुवर्ग के सभी लोगों को टीके की दूसरी खुराक लगने के छह महीने बाद बूस्टर खुराक लेने की सिफारिश की है। सामाजिक मामलों की मंत्री लीना हालेनग्रेन ने कहा कि स्वीडन में 70 लाख लोगों ने टीके की दोनों खुराक ली है। यहां की कुल आबादी एक करोड़ है। लेकिन उन्होंने कोविड-19 के मामलों में वृद्धि पर चिंता जताई है। हालेनग्रेन ने कहा कि दुनिया भर में संक्रमण के प्रसार के मुद्दे को सरकार गंभीरता से लेती है और बूस्टर खुराक का उद्देश्य स्थिति के बिगड़ने की आशंका में खुद को तैयार करना है। 

क्या कहता है नया अध्ययन?

इस बीच एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। दरअसल ब्रिटेन में एक नये अध्ययन में पता चला है कि कोविड-19 का हवा में संक्रमण बड़ा बेतरतीब है और इसे फैलने से रोकने के लिए केवल सामाजिक या शारीरिक दूरी ही प्रभावी नहीं है। अध्ययन में टीकाकरण और मास्क के महत्व पर जोर दिया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के इंजीनियरों के एक दल ने इस बारे में निर्धारण के लिए कम्प्यूटर मॉडलिंग का उपयोग किया कि लोगों के खांसने पर उसकी बहुत छोटी-छोटी बूंदें (ड्रॉपलेट) कैसे फैलती हैं। उन्होंने पाया कि मास्क नहीं होने की स्थिति में कोविड-19 से ग्रस्त कोई व्यक्ति बंद स्थान से बाहर भी दो मीटर की दूरी पर किसी और को संक्रमित कर सकता है। ब्रिटेन में इस दूरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। अनुसंधानकर्ता दल ने यह भी पाया कि लोगों के खांसने का असर बड़े क्षेत्र में होता है और किसी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकार के बताये अनुसार तथाकथित ‘सुरक्षित’ दूरी एक से तीन या और अधिक मीटर के बीच हो सकती है।

दक्षिण कोरिया में भी नई लहर!

वहीं अगर दक्षिण कोरिया की बात करें तो देश में कोविड-19 महामारी के दस्तक देने के बाद पहली बार एक दिन में संक्रमण के 4,000 से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। हाल के सप्ताह में अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सामाजिक दूरी के नियमों में छूट दी गई थी। कोरिया बीमारी नियंत्रण व रोकथाम एजेंसी ने बताया कि बुधवार को सामने आए 4,116 नए मामलों में से ज्यादातर राजधानी सियोल और इसके आसपास के इलाकों से सामने आए हैं, जहां अस्पतालों में मरीजों के भर्ती होने की संख्या में वृद्धि के बीच आईसीयू की कमी की आशंका पैदा हो गई है। पिछले 24 घंटे में 35 मरीजों की मौत के बाद कुल मृतकों की संख्या बढ़कर 3,363 हो गई है।

- नीरज कुमार दुबे

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