Chai Par Sameeksha: Rahul को संसद में नहीं चुप करा सके तो बाहर कर दिया गया, इस आरोप में कितना दम है

प्रभासाक्षी के साथ साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह भी हमने देश-दुनिया की राजनीतिक खबरों पर चर्चा की। हमेशा की तरह इस सप्ताह भी चाय पर समीक्षा कार्यक्रम में प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे मौजूद रहे। नीरज दुबे से हमने पहला सवाल राहुल गांधी और लोकतंत्र को लेकर पूछा। जिस तरीके से राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने के बाद वह हल्ला मचा हुआ है। उस पर नीरज दुबे ने अपनी राय रखी। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि लोकतंत्र खतरे में नहीं है। देश में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार शासन कर रही है। हमारी संवैधानिक संस्थाएं अपने-अपने तरीके से काम कर रही हैं। उन्होंने साफ-साफ कहा कि जिस देश को लोकतंत्र की जननी के रूप में देखा जाता है, माना जाता है, उस देश का लोकतंत्र भला कैसे खत्म हो सकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं के जो क्रियाकलाप है उससे पार्टी को नुकसान जरूर हो रहा है।
प्रभासाक्षी के संपादक ने राहुल गांधी को लेकर कहा कि यह फैसला मोदी सरकार ने नहीं, बल्कि सूरत की कोर्ट ने किया है। सूरत की कोर्ट ने राहुल गांधी को मौका दिया था कि आप अपना अपराध स्वीकार करेंगे या फिर माफी मांग लेंगे? इसके बाद राहुल गांधी ने अपना अपराध स्वीकार किया था। राहुल गांधी को सजा अपराध स्वीकार करने पर मिली है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के खिलाफ पहले के मामलों का भी जिक्र किया। सुप्रीम कोर्ट में जो मामले चल रहे थे, उसका भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि किसी का सरनेम उसका स्वाभिमान होता है। अगर किसी के सरनेम को लेकर कुछ गलत बातें कहीं जाए तो जाहिर सी बात है कि उस सरनेम को मानने वाले को बुरा लगेगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी जब भी नेरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हैं तो उनकी ओर से कोई पलटवार नहीं किया जाता है।
नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि अगर वह कानून बाकी के सदस्यों पर लागू होता है तो राहुल गांधी पर भी लागू होगा। इस कानून के तहत कई सदस्यों को अपनी सदस्यता गवानी पड़ी है तो राहुल गांधी कानून से ऊपर कैसे लागू नहीं होगी? उन्होंने कहा कि राहुल गांधी द्वारा अपराध स्वीकार्य करने के बाद वह सजा मिली है तो इसमें कहां से लोकतंत्र की हत्या हो रही है, यहां कहां उनकी आवाज दबाने का प्रयास किया जा रहा है। राजनीति में कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं जिसको इस तरीके से हमेशा प्रसारित करते हैं ताकि उन्हें सहानुभूति मिल सके। लेकिन जनता सब कुछ जानती हैं।
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नीरज दुबे से हमने विपक्षी एकता को लेकर भी सवाल पूछा। कैसे राहुल गांधी मामले को लेकर सभी विपक्ष एकजुट नजर आ रहे हैं और भाजपा पर निशाना साध रहे हैं। इसको नीरज दुबे ने कहा कि हमने विपक्षी एकता पहले भी देखा है। राष्ट्रपति चुनाव में भी विपक्षी एकता दिखी थी। लेकिन जैसे ही सीट बंटवारे पर बात आती है, वैसे ही विवाद शुरू हो जाता है। उन्होंने कहा कि जितने भी लोग अब इकट्ठे होने की कोशिश कर रहे हैं, सभी के खिलाफ कोई ना कोई केस है। सभी अपने स्वार्थ के लिए इकट्ठा होते हैं। जब सीटों के बंटवारे के बात होती हैं तो हर दल को लगता है कि मुझे कम मिल रहा है और तब ही निकलने की बात आती है। हर दल गठबंधन से बाहर निकलने की कोशिश करने लगते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल और कांग्रेस की लड़ाई है। लेकिन जब कुछ मुद्दों पर यह दोनों घिरते हैं तो एक साथ हो जाते हैं।
नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि यह जो समय है, वह स्पष्ट बहुमत के सरकार का समय है और ऐसे में जनता सब कुछ जानती है। इसके अलावा हमने मोदी हटाओ देश बचाओ वाले पोस्टर पर भी चर्चा की। नीरज दुबे ने कहा कि जो राजनीतिक डरपोक लोग होते हैं, वह ऐसा ही करते हैं। पोस्टर पर आप अपना नाम नहीं दे रहे हैं। प्रिंटिंग प्रेस का नाम नहीं दे रहे हैं। लोकतंत्र में एक दूसरे की राजनीति के खिलाफ बोलने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन आप ऐसे समय पर दिल्ली की गलियों में पोस्ट लगवाने की कोशिश कर रहे हैं जब जी-20 की बैठक के लिए दुनिया से विदेशी मेहमान देश में आ रहे हैं। क्या आप चाहते हैं वह भारत की छवि खराब लेकर अपने मन में यहां से जाएं।
- अंकित सिंह
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