डिजिटल कक्षाओं का ऑनलाइन देखा हाल, बाढ़ और बारिश से गाँव-शहर बेहाल...क्या यही न्यू इंडिया है?

online education flood

इस सप्ताह के कई बड़े राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे रहे। टीवी चैनलों पर चौबीसों घंटे दिखाये जाने वाले कई मुद्दे देश के वास्तविक मुद्दों से बड़े हो गये हैं। ऐसे में हम आपके समक्ष आज उन मुद्दों को लेकर आये हैं जो देखने-सुनने में सामान्य या छोटे भले लगें लेकिन यही वास्तविक मुद्दे हैं।

भारत में कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा प्रदान की जा रही है ताकि बच्चों का कोर्स पूरा कराया जा सके लेकिन शहरों और गाँवों के बीच खाई इतनी ज्यादा है कि गांव तो छोड़ दीजिये शहरों में भी अधिकांश बच्चों के पास स्मार्ट फोन या लैपटॉप नहीं है। गाँवों में इंटरनेट की समस्या है तो डेटा पैक रिचार्ज कराने का एक नया खर्च बढ़ जाने से अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं कई जगह से तो ऐसे भी समाचार आ रहे हैं कि चूँकि अभिभावक बच्चों की स्कूल की फीस देने में असमर्थ दिखे तो उनके बच्चों को ऑनलाइन कक्षा में बैठने ही नहीं दिया जा रहा है। हालाँकि जब-जब ऐसे मामले प्रशासन के संज्ञान में लाये जाते हैं तो कार्रवाई होती है। इसके अलावा सरकार ने कम्युनिटी लर्निंग की व्यवस्था की है और शिक्षा के लिए कुछ टीवी चैनल भी शुरू किये गये हैं जोकि विभिन्न भाषाओं में पढ़ाई करा रहे हैं साथ ही रेडियो के माध्यम से भी पढ़ाई करवाई जा रही है लेकिन यह भी दिक्कत है कि पिछड़े इलाकों में कई घरों में अब भी टीवी नहीं होते तो ऐसे में उनके बच्चों की शिक्षा का क्या होगा?

इसे भी पढ़ें: बिहार में तय समय पर ही होंगे विधानसभा चुनाव! दिशानिर्देश तैयार करने में जुटा निर्वाचन आयोग

इसके अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ और वर्षाजनित हादसों में लोगों के मरने का सिलसिला जारी है। इस साल मानसून को देखें तो पिछले वर्ष से ज्यादा कहर बरपाया है। वर्षाजनित हादसे हर साल पिछले साल की तुलना में ज्यादा बड़ी आपदा लेकर आते हैं और हम सिर्फ उसे देखते रहते हैं और जब आपदा सामने आ खड़ी होती है तो बचाव और राहत कार्य शुरू करते हैं। आजादी के 7 दशक से ज्यादा गुजर जाने के बाद भी यदि हम बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं तो फिर कैसे कह सकते हैं कि यह न्यू इंडिया है या फिर हम विकासशील से विकसित देश बनने की ओर बढ़ रहे हैं। इस साल बाढ़ और वर्षाजनित हादसों में लगभग 1000 लोग मारे गये हैं यही नहीं लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। सवाल है कि आखिर कौन है इसका जिम्मेदार?

इसे भी पढ़ें: कोरोना काल में खेती-किसानी ने ही बचाया है भारत की अर्थव्यवस्था को

दूसरी ओर भारतीय रेलवे की ओर से नये कीर्तिमान रचे जाने का दौर जारी है। रेलवे अपनी पुख्ता तैयारियों की बदौलत देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देना जारी रखे हुए है। रेलवे की फ्रेट कॉरिडोर योजना और घर से घर तक सामान पहुँचाने की योजना आने वाले दिनों में रेलवे की तसवीर बदल कर रख देगी। इसके अलावा बुलेट ट्रेन परियोजना पर भी काम जारी है। रेलवे ने जिस तरह कोरोना काल में लोगों की सेवा का कार्य जारी रखा हुआ है वह सराहनीय है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़