फीफा अंडर 17 विश्व कप के लिये बुनियादी ढांचा तैयार: सेप्पी

[email protected] । Feb 17 2017 2:58PM

राष्ट्रमंडल खेल 2010 की तरह अंडर 17 फीफा विश्व कप की तैयारियों को लेकर अंतिम समय पर कोई परेशानी नहीं होगी और स्थानीय आयोजन समिति के प्रमुख ने भी कह दिया है कि सभी छह आयोजन स्थल समय रहते तैयार हो जायेंगे।

नयी दिल्ली। राष्ट्रमंडल खेल 2010 की तरह अंडर 17 फीफा विश्व कप की तैयारियों को लेकर अंतिम समय पर कोई परेशानी नहीं होगी और स्थानीय आयोजन समिति के प्रमुख ने भी कह दिया है कि सभी छह आयोजन स्थल समय रहते तैयार हो जायेंगे। अंडर 17 विश्व कप के मैच छह से 28 अक्तूबर तक दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी, मडगांव, कोच्चि और नवी मुंबई में खेले जायेंगे। इस टूर्नामेंट को भारत में फुटबाल क्रांति के तौर पर देखा जा रहा है। इसमें मेजबान भारत समेत 24 टीमें भाग लेंगी और 52 मैचों को करीब 200 देशों के 20 करोड़ से अधिक लोग देखेंगे। स्थानीय आयोजन समिति के निदेशक जेवियर सेप्पी ने कहा कि छह स्टेडियम और चार अभ्यास मैदानों का काम अप्रैल के आखिर तक पूरा हो जायेगा। उन्होंने कहा कि सभी स्टेडियम और अभ्यास मैदान विश्व स्तरीय होंगे। उन्होंने प्रेस ट्रस्ट से कहा, ''फीफा अंडर 17 विश्व कप में अभी सात महीने बाकी हैं लेकिन सारी तैयारियां समय पर चल रही है। सभी स्टेडियमों में मरम्मत और बाकी काम अप्रैल के आखिर तक पूरा जायेगा। बुनियादी ढांचे को लेकर अभी कोई मसला नहीं है जो भारत में नयी बात है।’’ उन्होंने कहा, ''सीवेज, इलेक्ट्रिकल फिटिंग, मीडिया परिसर, ड्रेसिंग रूम जैसे बाकी काम जल्दी ही पूरे हो जायेंगे।''

नवंबर 2014 में पद पर नियुक्त किये गए सेप्पी ने कहा कि मरम्मत का काम धीमा था लेकिन शुरू होने के बाद रफ्तार पकड़ ली। भारत को दिसंबर 2013 में टूर्नामेंट की मेजबानी मिली थी और फीफा की टीम ने पहला दौरा दिसंबर 2014 में किया। इसके बाद पिछले साल फरवरी और अक्तूबर में दो दौरे किये गए। सेप्पी ने कहा, ''यह लंबी प्रक्रिया रही। भारत में चीजें शुरू करने में समय लगता है लेकिन शुरू होने के बाद काम रफ्तार से पूरा होता है। काम पूरा करने के मामले में भारत में कोई परेशानी नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ''भारत दूसरे देशों से अलग है। पहली बार अंडर 17 विश्व कप छह अलग अलग शहरों में अलग अलग भाषा बोलने वाले और संस्कृति वाले लोगों के बीच होगा। सरकारी अधिकारियों से निपटने में काफी परेशानियां आती है। यहां समस्या यह है कि अलग अलग राज्य सरकारों से वास्ता पड़ा था लेकिन अच्छी बात यह है कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी समझी।''

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